________________
*
आत्म-भाव और समत्व *
कृष्ण यही कह रहे हैं कि अर्जुन, तू व्यर्थ ही परेशान हो रहा है। उन मित्र से मैंने पूछा कि तकलीफ क्या है ? किस वजह से गुण अपनी गति से चल रहे हैं। गुण अपनी गति से पक रहे हैं। और अशांत हैं? तो उन्होंने कहा, अशांति का कारण यह है कि मेरा जहां से तू भागना चाहता है, वहां से भागकर तू कभी मुक्त न हो लड़का मेरी मानता नहीं। सकेगा। क्योंकि तू छाया खोज रहा है। इस युद्ध से भागकर तू बचा | किसका लड़का किसकी मानता है? इसमें लड़का कारण नहीं लेगा अपने को उस महापीड़ा से गुजरने से, जो कि मुक्ति का कारण | है। इसमें आप मनाना क्यों चाहते हैं? लड़का अपना जीवन बन जाएगी। तू इस युद्ध से गुजर जा। तू इस युद्ध को हो जाने दे। | जीएगा। मैंने उनसे पूछा, आपने अपने बाप की मानी थी? तू रोक मत। तू डर भी मत। तू संकोच भी मत ले। तू निर्भय भाव ___ कौन अपने बाप की मानता है? लड़का और रास्तों पर चलेगा, से इसमें प्रवेश कर जा। और जो घटना तेरे चारों तरफ इकट्ठी हो | जिन पर बाप कभी नहीं चला। लड़का और दूसरी दुनिया में जीएगा, गई है, उसको उसकी पूर्णता में तेरे भीतर बिंध जाने दे। यह आग | जिसमें बाप कभी नहीं जीया। लड़के और बाप के समय में भेद है, पूरी जल उठे। तू इसमें पूरी तरह राख हो जा। उस राख से ही तेरे | उनके मार्गों में भेद होगा। उनकी परिस्थितियों में भेद है, उनके नए जीवन का अंकुरण होगा। उस राख से ही तू अमृत को जानने | विचारों में भेद होगा। लड़का अगर जिंदा है, तो बाप से भिन्न में समर्थ हो पाएगा।
चलेगा। लड़का अगर मुर्दा है, तो बाप की मानकर चलेगा। ___ जो भी, जो भी जीवन में है, वह अकारण नहीं है। दुख है, संसार | __ अब बाप का दुख यह है कि लड़का अगर मुर्दा है, तो वह है, बंधन हैं, वे अकारण नहीं हैं। उसकी उपादेयता है। और बड़ी | | परेशान है। अगर लड़का जिंदा है, तो वह परेशान है। लड़का मुर्दा उपादेयता यह है कि वह अपने से विपरीत की तरफ इशारा करता है। | है, तो वह समझता है कि न होने के बराबर है।
आपकी चेतना बंध सकती है, क्योंकि आपकी चेतना स्वतंत्र हो __ आपको खयाल में नहीं है, अगर लड़का बिलकुल आप जैसा सकती है। और यह आपके हाथ में है। और जब मैं कहता हूं, कहें, वैसा ही करे, तो भी आप दुखी हो जाएंगे। आप कहें बैठो, आपके हाथ में है, तब आपको ऐसा लगता है, तो फिर मैं इसी वक्त तो वह बैठ जाए। आप कहें उठो, तो उठ जाए। आप कहें बाएं स्वतंत्र क्यों नहीं हो जाता? आप सोचते ही हैं कि आप इसी वक्त | घूमो, तो बाएं घूम जाए। आप जो कहें उसको रत्ती-रत्ती वैसा ही स्वतंत्र क्यों नहीं हो जाते! लेकिन उपाय आप सब कर रहे हैं कि करे, तो आप सिर पीट लेंगे। आप कहेंगे, यह लड़का क्या हुआ, आप बंधे रहें।
एक व्यर्थता है। इससे तो होता न होता बराबर है। इसके होने का एक मित्र मेरे पास आए। कहते थे, मन बड़ा अशांत है; शांति | | कोई अर्थ ही नहीं है। होने का पता ही भिन्नता से चलता है। का कोई उपाय बताएं। मैंने उनसे पूछा कि शांति की फिक्र ही न | __ तो आप इसलिए दुखी नहीं हैं, मैंने उनसे कहा कि लड़का मानता करें, पहले मुझे यह बताएं कि अशांत क्यों हैं? क्योंकि मैं शांति का | | नहीं है। आप मनाना क्यों चाहते हैं कि माने? आपका दुख आपके उपाय बताऊं और आप अशांति का आयोजन किए चले जाएं, तो | | कारण आ रहा है। आप अपने अहंकार को थोपना चाहते हैं। और कुछ हल न होगा। और उससे और असुविधा होगी। वैसी हालत | | मेरे पास आप शांति की तलाश करने आए हैं। लड़के को अपने हो जाएगी कि एक आदमी कार में एक्सीलरेटर भी दबा रहा है और मार्ग पर चलने दें, अशांति फिर कहां है? ब्रेक भी लगा रहा है।
| तब उनका घाव छू गया। तब उन्होंने कहा, आप क्या कह रहे __इसीलिए कार में इंतजाम करना पड़ा-क्योंकि आदमी का | | हैं! अगर उसको मार्ग पर चलने दें, तो सब बर्बाद कर देगा। सब स्वभाव परिचित है हमें-कि उसी पैर से एक्सीलरेटर दबाएं और | धन मिटा डालेगा। उसी से ब्रेक। क्योंकि आपसे डर है कि आप दोनों काम एक साथ | ___ मैंने उनको पूछा, आप कब तक धन की सुरक्षा करिएगा? कल कर सकते हैं। आप एक साथ दोनों काम कर सकते हैं, एक्सीलरेटर | | आप समाप्त हो जाएंगे और धन मिटेगा। आपका लड़का मिटाए, भी दबा दें और ब्रेक भी दबा दें। तो कठिनाई खड़ी हो जाए। तो ब्रेक | | कोई और मिटाए; धन मिटेगा। धन मिटने को है। तो आपका दुख दबाने के लिए एक्सीलरेटर से पैर हट आए।
लड़के से नहीं आ रहा है। आपका दुख धन पर जो आपकी पकड़ लेकिन मन के साथ हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। मन के साथ | है, उससे आ रहा है। आप मरेंगे दुखी। क्योंकि मरते वक्त आपको हमारी हालत ऐसी है कि हम दोनों काम एक साथ करना चाहते हैं। लगेगा, अब धन का क्या होगा! कोई न कोई मिटाएगा।
| 139