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* गीता दर्शन भाग-7 *
नहीं बचा। सात दिन उसके साथ चपचाप होना काफी था। मोस्ट | क्योंकि किसी तरह का ओढ़ना नहीं कर सकते उपयोग। किसी तरह आर्डिनरी, एकदम साधारण आदमी! वहां गुरु मिल गया। का बिछौना उपयोग नहीं कर सकते। कमरे को चारों तरफ से
हर परंपरा अलग लक्षण गिनाती है। हर परंपरा को लक्षण गिनाने | बिलकुल बंद कर देते हैं। पड़े हैं, क्योंकि पूछने वाले लोग मौजूद हैं। पूछने में थोड़ी भूल है। | महावीर किसी कमरे में नहीं ठहरे। न किसी ने कभी पुआल लेकिन स्वाभाविक भूल है। क्योंकि हम जानना चाहते हैं, वैसा | | बिछाई। और कोई बिछाता भी तो वे पुआल में छिपते नहीं। क्योंकि पुरुष कैसा होगा।
| बिछाने वाला बिछा रहा होगा, आपको उसमें छिपने की कोई अर्जुन पूछता है, तीनों गुणों से अतीत हुआ पुरुष किन-किन | जरूरत नहीं है। और कौन कह रहा है कि आप कमरे में रहो? लक्षणों से युक्त होता है?
पुआल भरी है, आप बाहर चले जाओ। लक्षण का मतलब है, जिन्हें हम बाहर से पहचान सकें। जिनसे लेकिन यह आदमी बेचारा सिर्फ नग्न हो गया है। इसको वस्त्रों हम कछ अंदाज लगा सकें। पर इससे एक दसरा खतरा...। की अभी जरूरत थी। इसको सर्दी लगती है. गर्मी लगती है। और
एक खतरा तो यह पैदा हुआ कि सब धर्मों ने अलग लक्षण | इसमें कोई एतराज नहीं है कि इसको लगती है। कठिनाई यह है कि गिनाए। क्योंकि लक्षण गिनाने वाले ने जो लक्षण अपने जीवन में | नाहक एक लक्षण को आरोपित करके चल रहा है। पाए थे, वही उसने गिनाए। इसलिए सब धर्मों में एक वैमनस्य पैदा ___महावीर ने कहा है कि तुम भिक्षा मांगने जाओ। तुम किसी द्वार हुआ। और एक के तीर्थंकर को दूसरा अवतार नहीं मान सकता। | पर पहले से खबर मत करना कि मैं भिक्षा लेने आऊंगा। क्योंकि
और एक के क्राइस्ट को दूसरा क्राइस्ट नहीं मान सकता। एक के तुम्हारे निमित्त जो भोजन बनेगा, उसमें जितनी हिंसा होगी, वह पैगंबर को दूसरा पैगंबर नहीं मान सकता। क्योंकि लक्षण अलग तुम्हारे ऊपर चली जाएगी। तो तुम तो अनजाने द्वार पर खड़े हो हैं। और लक्षण मेल नहीं खाते हैं।
जाना। जो उसके घर बना हो, वह दे दे। तुम्हारे भाग्य में होगा, तो दसरा खतरा यह हुआ. जो इससे भी बड़ा है. वह यह कि लक्षणों कोई दे देगा। नहीं भाग्य में होगा. तो तम भखे रहना. वापस लौट के कारण कुछ लोग लक्षण आरोपित कर लेते हैं। तब वे दूसरों को | आना; बिना किसी मन में बुराई को लिए, कि लोग बुरे हैं इस गांव तो धोखा देते ही हैं, खुद भी धोखे में पड़ जाते हैं। क्योंकि लक्षण के, किसी ने भिक्षा नहीं दी। पूरे के पूरे आरोपित किए जा सकते हैं।
और महावीर ने एक शर्त लगा दी, कि अगर तुम्हारे भाग्य में है, . अगर यह लक्षण हो कि साधु पुरुष मौन होगा, तो आप मौन हो | | तो तुम पक्की कसौटी कर लेना। तो तुम एक चिह्न लेकर निकलना सकते हैं। गुणातीत पुरुष बोलेगा नहीं, तो न बोलने में कोई बहुत | सुबह ही। उठते ही सोच लेना कि आज भिक्षा उस द्वार से मांगूंगा, बड़ी अड़चन नहीं है। गुणातीत पुरुष, जो भी करने का हम लक्षण | जिस द्वार पर एक बैलगाड़ी खड़ी हो। बैलगाड़ी में गुड़ भरा हो। बना लें, वह लक्षण लोग नकल कर सकते हैं।
गुड़ में एक बैल सींग लगा रहा हो। और सींग में गुड़ लग गया हो। _ और ध्यान रहे, नकल में कोई अड़चन नहीं है। कोई भी अड़चन ऐसा कोई भी एक लक्षण ले लेना। नहीं है। महावीर नग्न खड़े हैं, तो सैकड़ों लोग नग्न खड़े हो गए। | यह महावीर का एक लक्षण था, जिसमें वे तीन महीने तक गांव लेकिन नग्नता से कोई दिगंबरत्व तो पैदा नहीं होता। दिगंबरत्व में भटके और भोजन नहीं मिला। अब यह बड़ा अजीब-सा, जो भाव शब्द का अर्थ है कि आकाश ही मेरा एकमात्र वस्त्र है। मैं और | आ गया सुबह, वह...। अब यह बड़ा कठिन है कि किसी घर के किसी चीज से ढंका हुआ नहीं हूं। जैसे मैं पूरा अस्तित्व हो गया हूं। सामने बैलगाड़ी में भरा हुआ गुड़ हो। फिर कोई बैल उसमें सींग लगा सिर्फ आकाश ही मेरा वस्त्र है।
रहा हो। और फिर उस घर के लोग देने को राजी हों। कोई उनकी लेकिन आप नंगे खड़े हो सकते हैं। फिर उसमें तरकीबें | मजबूरी तो है नहीं। उन्होंने कोई कसम खाई नहीं कि देंगे ही। निकालनी पड़ती हैं। दिगंबर जैन मुनि जहां ठहरता है, तो भक्तों को | तो महावीर कहते थे, भाग्य में नहीं है, तुम वापस लौट आना। इंतजाम करना पड़ता है। पुआल बिछा देते हैं उसके कमरे में। वह | गुणातीत खुद से नहीं जीता, गुणों से जीता है। प्रकृति को बचाना नहीं कहता कि बिछाओ। क्योंकि वह कहे, तो लक्षण से नीचे गिर होगा, तो बचा लेगी। गया। पुआल बिछा देते हैं। वह पुआल में छिपकर सो जाता है। और एक दिन—एक दिन जरूर ऐसा हुआ। तीन महीने बाद
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