________________
* गीता दर्शन भाग-73
चाहिए, जितनी ताजगी सुबह की है। यह तो नैसर्गिक क्रम है। | उन्होंने सुबह जल्दी उठाने की चेष्टा की। सच तो यह है कि भारत
सात्विक व्यक्ति सुबह सूरज के साथ उठ आएगा। न तो वह में रिवाज यह था कि पुरुष के पहले स्त्री उठ आए। घर का काम आलसी की तरह पड़ा रहेगा और घंटों लगाएगा उठने में, न वह | कर ले। सब साफ-सुथरा कर दे। वह गृहिणी है। इसके पहले कि राजसी की तरह छलांग लगाकर बाहर निकलेगा। वह उठेगा | | पुरुष उठे, वह घर को ताजा स्वच्छ पाए। आहिस्ता से, शांति से, आश्वस्त; उसमें कोई भाग-दौड़ नहीं है। लेकिन पश्चिम की खोजें यह बता रही हैं कि किसी भी स्त्री को पड़े रहने का भी कोई मोह नहीं है। दौड़कर संसार में उतर जाने की सरज उगने के पहले भलकर नहीं उठना चाहिए। पति को पहले भी कोई वृत्ति नहीं है। वह नींद से बाहर आएगा, सरलता से। नींद उठना चाहिए; वह राजसिक है। उसमें ज्यादा क्रिया का जोर है। और जागरण के बीच कोई फासला नहीं है उसे बड़ा, जिसको चाय वगैरह का काम पति को कर लेना चाहिए, फिर पत्नी को छलांग लगानी है या जिसको समय देकर पूरा करना है। उसकी नींद उठना चाहिए। वैसे पति अपने आप धीरे-धीरे उस रास्ते पर जा रहे एक शांत, प्रशांत, गहरी धारा है।
हैं बिना किसी खोज के। सात्विक व्यक्ति सुबह सबसे ज्यादा ताजा होगा। रात होते-होते और स्त्रियां अगर जल्दी सुबह उठ आएं, तो दिनभर आलस्य थक जाएगा। जब राजसी क्लब जाने की तैयारी कर रहा होगा, तब | अनुभव करेंगी। पश्चिम की खोज किन्हीं दूसरे कारणों से है, उसकी आंखें झप रही होंगी, तब वह बैठ भी नहीं सकता, तब वह लेकिन सार्थक है। सो जाने के लिए तैयार है। पर यही नैसर्गिक भी है। दिनभर के काम वैज्ञानिक कहते हैं कि चौबीस घंटे में दो घंटे शरीर का तापमान के बाद थक जाना नैसर्गिक है।
| नीचे गिर जाता है। वे ही दो घंटे गहरी नींद के घंटे हैं। चौबीस घंटे पर भेद हैं। और आपको अपना गुण देखकर चलना चाहिए कि | में दो घंटे प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का तापमान नीचे गिरता है। वे नैसर्गिक क्या है।
ही दो घंटे गहरी नींद के घंटे हैं। और हर व्यक्ति का अलग-अलग यह जो नींद के संबंध में निरंतर गहरी खोज हुई हैं, उससे कई | समय गिरता है। पुरुषों का आमतौर से तीन बजे रात और पांच बजे बातें...। जैसा मैंने कल आपको कहा कि स्त्री ज्यादा तमस से भरी | सुबह के बीच गिरता है, आमतौर से। इसलिए तीन और पांच के है, पुरुष ज्यादा राजस से। लेकिन चूंकि भारत जैसे मुल्कों में पुरुषों | बीच पुरुष को गहरी से गहरी नींद का क्षण है। स्त्रियों का आमतौर ने सभ्यता बनाई और मनु जैसे महावेत्ताओं ने बड़ी कोशिश की कि | से छः और आठ के बीच गिरता है। इसलिए छः और आठ के बीच एक सात्विक सभ्यता का जन्म हो जाए।
उनके लिए गहरी से गहरी नींद का क्षण है। सारी ब्राह्मण संस्कृति एक बड़ी चेष्टा है, एक महान प्रयोग, कि ___जब आपका तापमान गिरता है, अगर उस समय आप उठ आएं, सारी संस्कृति सात्विक हो जाए। कठिन है। क्योंकि इसमें जो | तो आप दिनभर परेशान होंगे। और इसे तो आप थर्मामीटर लगाकर सात्विक नहीं हैं, वे अड़चन में पड़ेंगे। और उनकी संख्या काफी | जांच भी ले सकते हैं। चौबीस घंटे की रिपोर्ट आप ले सकते हैं बड़ी है। इसलिए यह प्रयोग सफल नहीं हो सका। यह प्रयोग अपनी और आप पा सकते हैं कि किन दो घंटों में आपका तापमान असफल हुआ। महान प्रयोग था। और महान प्रयोग के असफल | गिरता है। वे दो घंटे तो आपको सोना ही है। उन दो घंटों में आप होने की संभावना सदा ज्यादा है।
| उठेंगे, तो आप दिनभर बेचैन होंगे। ऐसा लगेगा, कुछ चूक गया; इसलिए हिंदुओं ने बड़ी चेष्टा की पांच हजार साल तक एक बड़े | | कुछ कठिनाई है; कुछ अड़चन है। एक भीतरी कठिनाई का बोध गहरे प्रयोग को व्यवस्था देने के लिए। लेकिन वह असफल हुआ। | दिनभर बना रहेगा। क्योंकि राजसी और तामसी लोगों का बहु-संप्रदाय है। सात्विक | लेकिन हमारे हिसाब से भी, रजस और तमस के विश्लेषण के लोग बहुत थोड़े-से हैं। वे थोड़े-से लोग कितने ही सुख में जी रहे हिसाब से भी स्त्री ज्यादा तामसी है। तामसी का मतलब है कि हों और वे सबको बताएं कि तुम भी इतने ही सुख में पहुंच सकते ज्यादा आलस्य, कम श्रम और ज्यादा विश्राम, वह उसका स्वभाव हो, मगर उनकी बात उन लोगों के किसी काम की नहीं है, जिनके है। इसमें कुछ बुराई नहीं है। ऐसा है, यह तथ्य है। पुरुष का स्वभाव गुण विपरीत हैं।
है, ज्यादा काम और कम विश्राम। चूंकि पुरुषों ने इस सात्विकता का प्रयोग किया, स्त्रियों को भी सात्विक व्यक्ति की साधना मूल रूप से ध्यान की साधना होगी।
90