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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * और तमोगुण के बढ़ने पर मरा हुआ पुरुष मूढ़ योनि में उत्पन्न | | जो सत्व-प्रधान हैं, वे भी पांच प्रतिशत होते हैं। यह बड़ी होता है। | आश्चर्यजनक बात है। मनोविज्ञान के आधार पर पांच प्रतिशत मूढ़ योनि की बड़ी गलत परिभाषाएं हुई हैं। अनेक गीता के लोग टैलेंटेड होते हैं, प्रतिभाशाली होते हैं। वैज्ञानिक हैं, कवि हैं, व्याख्याकारों ने मूढ़ योनि का अर्थ लिया है कि वह पशुओं में | दार्शनिक हैं, संत हैं। पांच प्रतिशत लोग एक छोर पर प्रतिभासंपन्न चला जाता है। वह गलत है। क्योंकि लौटकर नीचे गिरने का कोई | होते हैं। और ठीक पांच प्रतिशत लोग दूसरे छोर पर मूढ़ होते हैं। उपाय जगत में नहीं है। कोई मनुष्य की स्थिति में एक बार आ बाकी नब्बे प्रतिशत लोग बीच में होते हैं। ये मध्यवृत्तीय लोग हैं, जाए, तो वापस पशु नहीं हो सकता। क्योंकि वापस पशु होने का मध्यवर्गीय लोग हैं। तो मतलब यह हुआ कि मनुष्यता तक पहुंचने की जो कमाई थी, ये जो मध्यवर्गीय लोग हैं, इनमें मूढ़ता भी सम्मिलित है, उसका क्या होगा। बद्धिमत्ता भी सम्मिलित है। ये दोनों का मिश्रण हैं। चेतना कभी पीछे नहीं लौटती। रुक सकती है। आगे न जाए, मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि स्थिति करीब-करीब ऐसी है, जैसा यह हो सकता है। अवरुद्ध हो जाए, लेकिन पीछे नहीं लौट सकती। | शिव का डमरू होता है, उसको हम उलटा कर लें। शिव का डमरू एक बच्चा अगर दूसरी कक्षा में आ गया, तो उसको पहली कक्षा बीच में तो पतला होता है, दोनों तरफ बड़ा होता है। बीच में संकरा में वापस भेजने का कोई उपाय नहीं। वह दूसरी में पचास साल | | हो जाता है। इसको हम उलटा कर लें। दोनों तरफ संकरा और बीच रुके, तो रुक सकता है, कोई हर्जा नहीं। लेकिन उसको पहली में | में चौड़ा। तो दोनों तरफ संकरे छोरों पर पांच-पांच प्रतिशत लोग हैं। वापस करने की कोई व्यवस्था नहीं है। क्योंकि वह पहली पार कर | | वे जो पांच प्रतिशत लोग हैं, वे सत्व के कारण इस जगत में ही चुका। और जो हम जान चुके, उसे न-जाना नहीं किया जा प्रतिभा से भरे हुए पैदा होते हैं। प्रतिभासंपन्न होना ही स्वर्ग में होना सकता। जो हम कर चके, उस अनकिया नहीं किया जा सकता। है। प्रतिभा सख है। सख की सक्ष्म अनभति। और पांच प्रतिशत इसलिए मेरी दृष्टि में जिन-जिन व्याख्याओं में कहा गया है कि | लोग मूढ़ होते हैं, जिनको कुछ भी होश नहीं, जिनको खाने-पीने तमस से भरा हुआ व्यक्ति पशुओं की योनि में चला जाता है, ये | का भी होश नहीं, जिनको उठने-बैठने का भी पता नहीं। बाकी लोग व्याख्याएं गलत हैं। और जिन्होंने की हैं, वे केवल शब्दों के आधार बीच में हैं, नब्बे प्रतिशत लोग। पर व्याख्याएं कर रहे हैं। ठीक मध्य में बड़े से बड़ा वर्ग है। करीब पचास प्रतिशत लोग मूढ़ योनि का मतलब है कि मनुष्यों में ही, जैसे कर्म से भरे हुए | ठीक मध्य में हैं। ये पचास प्रतिशत लोग दोनों तरफ यात्रा कर लोग हैं, सत्व से भरे हुए लोग हैं, वैसे ही तमस से भरे हुए मूढ़ सकते हैं। चाहें तो कभी भी मूढ़ हो सकते हैं, और चाहें तो कभी लोग हैं। भी प्रतिभा अर्जित कर सकते हैं। और यह निर्धारण मरने के क्षण में मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पांच प्रतिशत बच्चे मूढ़ योनि में हैं, | हो जाता है कि आप कैसे मर रहे हैं। तम से भरे हुए मर रहे हैं, रज जिनको हम ईडियट कहें, इम्बेसाइल कहें। पांच प्रतिशत बच्चे। न | से भरे हुए मर रहे हैं, सत्व से भरे हुए मर रहे हैं। बीच के जो लोग कोई बुद्धि है, न कुछ करने का भाव है। अपने जीवन की रक्षा तक | हैं, ये रजो-प्रधान हैं। तमो-प्रधान एक छोर पर हैं। सत्व-प्रधान की सामर्थ्य नहीं है। जो मूढ़ बच्चा है, घर में आग लग जाए, तो | दूसरे छोर पर हैं। भागकर बाहर नहीं जाएगा। उसको यह भी पता नहीं है कि मुझे | ___ इस पूरी व्यवस्था को बदलने का एक ही उपाय है कि आप अपने अपने को बचाना है। इतना भी कर्म पैदा नहीं होता। यह योनि मूढ़ | | भीतर गुणों की तारतम्यता को बदल लें। और यह कोई मरते क्षण योनि है। जिसको मनोवैज्ञानिक ईडियोसि कहते हैं, उसको ही कृष्ण | के लिए मत रुके रहें कि मरते वक्त एकदम से सत्व-प्रधान हो ने मूढ़ कहा है। | जाएंगे। कोई कभी नहीं हो सकता। मढ़ का मतलब पश नहीं है। अगर पश ही कहना होता. तो पश मरते वक्त कछ किया नहीं जा सकता। आपने जो जीवनभर में ही कह दिया होता, मूढ़ कहने की कोई जरूरत न थी। पशु मूढ़ नहीं | | किया है, उसको ही इकट्ठा किया जा सकता है। जो कमाया है, होते, सिर्फ मनुष्य ही मूढ़ हो सकता है। पशु मूर्ख नहीं होते, सिर्फ | वही। और आपके हाथ में फिर बदलाहट नहीं है। क्योंकि जीवन मनुष्य ही मूर्ख हो सकता है। क्षीण हो रहा है, आप कुछ कर नहीं सकते। 80
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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