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________________ 0 गीता दर्शन भाग- 60 बुद्ध में, महावीर में गाली डालिए, खाली वापस लौट आएगी। | आपके कारण दिखाई पड़ रहा है। जैसे ही आप बदले, आपकी कोई प्रत्युत्तर नहीं आएगा। वहां क्रोध नहीं है। दृष्टि बदली, देखने का ढंग बदला, संसार तिरोहित हो जाता है और और आपको जो आदमी गाली देता है, अगर समझ हो, तो आप पाते हैं कि चारों तरफ वही है। फिर वृक्ष में वही दिखाई पड़ता आपको उसका धन्यवाद करना चाहिए कि आपके भीतर जो छिपा | है और पत्थर में भी वही दिखाई पड़ता है। मित्र में भी वही दिखाई था, उसने बाहर निकालकर बता दिया। उसकी बड़ी कृपा है। वह पड़ता है और शत्रु में भी वही दिखाई पड़ता है। फिर जीवन का सारा न मिलता, तो शायद आप इसी खयाल में रहते कि आप अक्रोधी | विस्तार उसका ही विस्तार है। हैं, बड़े शांत आदमी हैं। उसने मिलकर आपकी असली हालत बता ___ संसार आपकी दृष्टि के अतिरिक्त और कहीं भी नहीं है। और दी कि भीतर आप क्रोधी हैं; बाहर-बाहर, ऊपर-ऊपर से रंग-रोगन | | परमात्मा भी आपकी दृष्टि के ही अनुभव में उतरेगा; आपके दृष्टि किया हुआ है। सब व्हाइट-वाश है; भीतर आग जल रही है। यह | के परिवर्तन में उतरेगा। के इसने आपके रोग की खबर दी। यह आदमी क्रांति चाहिए आंतरिक, भीतरी, स्वयं को बदलने वाली। भागने डाक्टर है, इसने आपका निदान कर दिया। इसकी डायग्नोसिस से | में समय खराब करने की कोई भी जरूरत नहीं है। भागने में व्यर्थ पता चल गया कि आपके भीतर क्या छिपा है। इसे धन्यवाद दें और उलझने की कोई भी जरूरत नहीं है। संसार परमात्मा को पाने का अपने को बदलने में लग जाएं। अवसर है; एक मौका है। उस मौके का उपयोग करना आना चाहिए। __पत्नी आपको नहीं बांधे हुए है। स्त्री के प्रति आपका आकर्षण । सुना है मैंने कि एक घर में एक बहुत पुराना वाद्य रखा था, है, वह बांधेगा। पत्नी से क्या तकलीफ है? या पति से क्या लेकिन घर के लोग पीढ़ियों से भूल गए थे उसको बजाने की कला। तकलीफ है? आप भाग सकते हैं। लेकिन आकर्षण तो भीतर भरा वह कोने में रखा था। बड़ा वाद्य था। जगह भी घिरती थी। घर में है। कोई दूसरी स्त्री उसे छू लेगी, और वह आकर्षण फिर फैलना | भीड़ भी बढ़ गई थी। और आखिर एक दिन घर के लोगों ने तय शुरू हो जाएगा। फिर आप संसार खड़ा कर लेंगे। किया कि यह उपद्रव यहां से हटा दें। वह जो बेटा है आपका, वह आपको बांधे हए नहीं है। बेटे से । वह उपद्रव हो गया था। क्योंकि जब संगीत बजाना न आता हो आप बंधे हैं, क्योंकि आप अपने को चलाना चाहते हैं मृत्यु के बाद और उसके तारों को छेड़ना न आता हो...। तो कभी बच्चे छेड़ देते भी। बेटे के कंधों से आप जीना चाहते हैं। आप तो मर जाएंगे; यह | थे, तो घर में शोरगुल मचता था। कभी कोई चूहा कूद जाता, कभी पता है कि यह शरीर गिरेगा; तो आप अब बेटे के सहारे इस जगत कोई बिल्ली कूद जाती। आवाज होती। रात नींद टूटती। वह उपद्रव में रहना चाहते हैं। कम से कम नाम तो रहेगा मेरा मेरे बेटे के साथ। | हो गया था। वह आपको बांधे हुए है। तो उन्होंने एक दिन उसे उठाकर घर के बाहर कचरेघर में डाल बेटे को छोड़कर भाग जाइए; शिष्य मिल जाएगा। फिर आप | | दिया। लेकिन वे लौट भी नहीं पाए थे कि कचरेघर के पास से उसके सहारे संसार में बचने की कोशिश में लग जाएंगे। बाकी | | अनूठा संगीत उठने लगा। देखा, राह चलता एक भिखारी उसे उठा कोशिश वही रहेगी, जो आप भीतर हैं। नाम बदल जाएंगे, रंग लिया है और बजा रहा है। भागे हुए वापस पहुंचे और कहा कि बदल जाएंगे, लेबल बदल जाएंगे, लेकिन आप इतनी आसानी से लौटा दो। यह वाद्य हमारा है। पर उस भिखारी ने कहा, तुम इसे नहीं बदलते हैं। फेंक चुके हो कचरेघर में। अगर यह वाद्य ही था, तो तुमने फेंका तो ध्यान रखें, क्षुद्र धर्म परिस्थिति बदलने की कोशिश करता है। | क्यों? और उस भिखारी ने कहा कि वाद्य उसका है, जो बजाना सत्य धर्म मनःस्थिति बदलने की कोशिश करता है। आप बदल | जानता है। तुम्हारा वाद्य कैसे होगा? जाएं, जहां भी हैं। और आप पाएंगे, संसार मिट गया। आप बदले | | जीवन एक अवसर है। उससे संगीत भी पैदा हो सकता है। वही कि संसार खो जाता है; और जो बचता है, वही परमात्मा है। यहीं संगीत परमात्मा है। लेकिन बजाने की कला आनी चाहिए। अभी संसार की हर पर्त के पीछे वह छिपा है। तो सिर्फ उपद्रव पैदा हो रहा है, पागलपन पैदा हो रहा है। आप आपको संसार दिखाई पड़ता है. क्योंकि आप संसार को ही गुस्सा होते हैं कि इस वाद्य को छोड़कर भाग जाओ, क्योंकि यह देखने वाला मन लिए बैठे हैं। जो आपको दिखाई पड़ रहा है, वह | उपद्रव है। 70
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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