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________________ o संदेह की आग है। अब यह जल्दी ही मरने वाला है। अपन यहां से निकल भागें। | है। तो फिर आपको रुकना पड़ेगा। फिर किसी के वश के बाहर हैं कहीं हम भी न फंसें इस उपद्रव में कि यह कैसे मर गया! और यह | | आप। फिर आप इंपासिबल हैं, असंभव हैं। फिर आपके साथ कुछ मरेगा पक्का। यही हालत अपने बकरे की हो गई थी, जब वह इस | किया नहीं जा सकता। तरह की आवाजें कर-करके मरा था। | तो रुकें। धीरे-धीरे थक जाएंगे अपने से किसी दिन, तो शायद संगीत की समझ कान से नहीं होती। कान से तो सुनाई पड़ रहा आप राजी हो जाएं कि ठीक; चखेंगे पहले, प्रमाण बाद में खोज लेंगे। है उसे भी। संगीत की समझ भीतर एक हारमनी, एक समस्वरता | और जो चखने को राजी हो जाता है, उसे प्रमाण मिल जाता है। पैदा हो, तो पकड़ में आती है। ईश्वर तो विराटतम समस्वरता है; वह तो महानतम संगीत है। उसके योग्य हृदय बनाना होगा, तो उसका प्रमाण मिलेगा। उसका | आखिरी प्रश्न। आपने कहा है कि दो विपरीत मार्ग प्रमाण खोजकर आप सोचते हैं कि हम अपने को बदलेंगे, तो हैं, ध्यान और प्रेम; बुद्धि या भाव। तो बताएं कि आपको जन्मों-जन्मों तक उसकी कोई खबर न मिलेगी। आप ध्यान-साधना और प्रेम-साधना में क्या फर्क है? क्या अपने को बदलें, तो उसका प्रमाण आपको आज भी मिल सकता ध्यानी व्यक्ति समाधि के पहले प्रेमपूर्ण नहीं होता? है। जन्मों तक रुकने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन हम उलटे हैं। हम कहते हैं, पहले प्रमाण चाहिए, तभी तो हम उसको खोजने निकलेंगे! और उसकी खोज ही शुरू तब | एमान और प्रार्थना में बहुत फर्क है; भाषाकोश में चाहे होती है, जब आप अपने हृदय को उसके प्रमाण को पाने योग्य व्या फर्क न भी मिले। जो लोग प्रयोग करते हैं, उनके बनाते हैं। यह अड़चन है। लिए बहुत फर्क है। दोनों की प्रक्रियाएं विपरीत हैं। अगर आपकी तैयारी हो, कि बिना इसकी फिक्र किए कि वह है | | परिणाम जब आता है, तो फर्क नहीं रह जाता। लेकिन मार्ग पर या नहीं, हम अपने हृदय को शांत करने को तैयार हैं। और हर्ज क्या बहुत फर्क है। हो जाएगा? अगर वह न भी हुआ और आपका हृदय शांत हो गया, | __ ऐसा समझें कि आप एक बड़ा वर्तुल बनाएं, एक सर्किल तो क्या हर्ज हो जाएगा? फायदा ही होगा। और अगर वह न भी बनाएं। और वर्तुल का एक केंद्र हो, और वर्तुल की परिधि से आप हुआ और आपका हृदय प्रेम से भर गया, तो नुकसान क्या है? लकीरें खींचें केंद्र की तरफ। तो परिधि से जब आप दो लकीरें केंद्र फायदा ही होगा। और अगर वह न भी हआ और आप मौन हो गए की तरफ खींचेंगे, तो दोनों में फासला होगा। फिर जैसे-जैसे वे केंद्र और ध्यान में उतर गए, तो क्या खो देंगे आप? कुछ पा ही लेंगे। के करीब पहुंचने लगेंगी, फासला कम होता जाएगा। और जब वे लेकिन जो भी उस ध्यान में गए हैं, जो भी उस मौन में गए हैं, | बिलकुल केंद्र पर पहुंचेंगी, तो फासला समाप्त हो जाएगा। एक ही उन्होंने तत्क्षण कहा कि मिल गया प्रमाण उसका। वह है। लेकिन | | बिंदु पर दोनों मिल जाएंगी। परिधि पर फासला होगा; केंद्र पर वे भी हमें प्रमाण नहीं दिला सकते। उनको ही प्रमाण मिला है। फासला समाप्त हो जाएगा। धर्म की सभी अभिव्यक्तियां निजी और वैयक्तिक हैं। और धर्म सभी मार्ग संसार की परिधि से परमात्मा के केंद्र की तरफ जाते के सभी गवाह निजी और वैयक्तिक हैं। वे दूसरे के लिए गवाही हैं। मार्गों में बड़ा फर्क है। विपरीतता भी हो सकती है। लेकिन केंद्र नहीं दे सकते हैं। पर पहुंचकर सारी विपरीतता खो जाती है, और वे एक हो जाते हैं। मैं अपने लिए गवाही दे सकता हूं कि मिल गया। पर मेरी गवाही | | प्रेम के मार्ग का अर्थ है, दूसरा महत्वपूर्ण है मुझ से, पहली बात। आपके लिए क्या मतलब की होगी? आप फिर भी कहेंगे, प्रमाण? | मझे अपने को समाप्त करना है और दूसरे को बढ़ाना है। वह दूसरा तो फिर मैं आपसे भी कहूंगा, स्वाद लेना पड़ेगा, चखना पड़ेगा। कोई भी हो। वह क्राइस्ट हों, कृष्ण हों। कोई भी प्रतीक हो। गुरु हो, तो तैयार हों चखने के लिए, स्वाद लेने के लिए। लेकिन अगर कोई धारणा हो, कोई भी भाव हो। दूसरा महत्वपूर्ण है; मैं महत्वपूर्ण आप कहें कि जब तक हम मानें न कि वह है, तब तक हम चखें | | नहीं हूं। मुझे अपने को छांटना है और दूसरे को बड़ा करना है। कैसे? स्वाद तो हम पीछे लेंगे, पहले पक्का प्रमाण हो जाए कि वह और एक ऐसी जगह आ जाना है, जहां मैं बिलकुल शून्य हो 59
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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