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ॐ गीता दर्शन भाग-60
लेकिन आप तृप्त हो नहीं सकते। यह कठिनाई ईश्वर की नहीं | | प्यास है। है। यह आदमी के होने के ढंग की कठिनाई है। आदमी इस ढंग का | | नीत्शे ने कहा है, जिस दिन आदमी अपने से ऊपर जाना बंद कर है कि बिना ईश्वर के तृप्त नहीं हो सकता। और इसलिए जब हम देगा, उस दिन मर जाएगा। यह अपने से ऊपर जाने की एक प्यास आदमी से ईश्वर छीन लेते हैं, तो वह न मालूम किस-किस तरह | है आदमी के भीतर। के ईश्वर गढ़ लेता है।
जैसे बीज टूटता है और आकाश की तरफ उठना शुरू हो जाता रूस में एक बड़ा प्रयोग हुआ कि कम्युनिस्टों ने ईश्वर छीन | है। वह आकाश की तरफ उठने की आकांक्षा ही वृक्ष बन जाती है। लिया। तो आपको पता है क्या हुआ? जैसे ही ईश्वर छिन गया, | आदमी भी निरंतर अपने से ऊपर उठकर आकाश की तरफ जाना लोगों ने राज्य को ईश्वर मानना शुरू कर दिया। चर्च से जीसस की | चाहता है। वह आकाश की तरफ जाने की आकांक्षा ही ईश्वर है। मूर्ति तो हट गई, लेकिन क्रेमलिन के चौराहे पर लेनिन की लाश आप तब तक बीज ही रहेंगे, जब तक ईश्वर का वृक्ष आप में न रख दी गई। लोग उसको ही फूल चढ़ाने लगे; उसके ही चरणों में | लग जाए। जब तक आप ईश्वर न हो जाएं, तब तक कोई संतोष सिर रखने लगे!
संभव नहीं है। ईश्वर से कम में कोई तृप्ति नहीं है। यह बड़े मजे की बात है। लेनिन तो नास्तिक था। मानता नहीं है यही प्रमाण है कि आपके भीतर प्यास है। इसके अतिरिक्त और कि मृत्यु के बाद कुछ भी बचता है। लेकिन उसकी लाश रखी है | | कोई प्रमाण नहीं है। कोई गणित नहीं है ईश्वर का, कि सिद्ध किया क्रेमलिन में। लाखों लोग प्रतिवर्ष चरण छू रहे हैं। किसके चरण छू | जा सके कि दो और दो चार होते हैं, ऐसा कोई गणित हो। कोई तर्क रहे हैं? जो नहीं है अब उसके? और जो अब नहीं है, वह कभी भी नहीं है, जिससे साबित किया जा सके कि वह है। - नहीं था। इस मुद्दे को क्यों छू रहे हैं?
| और अच्छा है कि कोई तर्क नहीं है। क्योंकि तर्कों से जो सिद्ध गहरी प्यास है। कहीं किसी चरण में सिर रखने की आकांक्षा है। | | होता है, वह और कुछ भी हो-गणित की थ्योरम हो, विज्ञान का किसी अज्ञात के सामने झुकने का मन है। तृप्ति न होगी; तो लेनिन | | फार्मूला हो-धर्म की अनुभूति नहीं होगी। और अच्छा है कि तर्क के ही चरणों में सिर रख रहे हैं। ईश्वर को हमने छीन लिया है। तो | | से वह सिद्ध नहीं होता, क्योंकि तर्क से कोई चीज कितनी ही सिद्ध हमने फिर कुछ भी गढ़ लिया है। लेकिन आदमी बिना श्रद्धा के नहीं हो जाए, उससे प्यास नहीं बुझती।
। रह पाता। ईश्वर की श्रद्धा छीनो, राज्य की श्रद्धा करेगा, नेता की समझें। प्यास तो पानी से बुझती है। लेकिन एच टू ओ का श्रद्धा करेगा। यहां तक कि अभिनेता की श्रद्धा करेगा! कुछ चाहिए, | फार्मूला कागज पर लिखा रखा हो, बिलकुल गणित से व्यवस्थित, जो उसके श्रद्धा का आश्रय बन जाए। कुछ चाहिए, जिसके लिए | उससे नहीं बुझती। एच टू ओ के फार्मूले को आप पी जाना वह समझे कि जी सकता हूं।
घोलकर, प्यास नहीं बुझेगी। प्यास तो पानी से बुझेगी। क्योंकि लेकिन आदमी बिना ईश्वर के नहीं रह सकता। आदमी ईश्वर प्यास एक अनुभव मांगती है; एक ठंडक मांगती है, जो आपके के बिना बेचैन ही रहता है। एक परम आश्रय चाहिए। प्राणों में उतर जाए। एक रस मांगती है, जो आपके भीतर जाए और
तो मैं आपसे नहीं कहता कि कोई प्रमाण है उसका। कोई प्रमाण | आपको रूपांतरित कर दे। फार्मूला तो किताब पर होता है। नहीं है आपकी प्यास के अतिरिक्त। अपनी प्यास को मिटा लो, । ईश्वर का कोई फार्मूला नहीं है। और जितनी किताबें ईश्वर के आपने ईश्वर को मिटा दिया। ईश्वर को मिटाने की फिक्र मत करो। लिए लिखी गई हैं. वे केवल इशारे हैं. उनमें ईश्वर का कोई फार्मला वह आपके वश की बात नहीं है। अपनी प्यास को मिटा लो; ईश्वर नहीं है। मिट गया।
सब शास्त्र हार गए हैं; अब तक उसे कह नहीं पाए हैं। कभी और आपकी प्यास के मिटाने का कोई उपाय नहीं है। आप ही | | उसे कहा भी नहीं जा सकेगा। लेकिन शास्त्रों ने कोशिश की है। हो वह प्यास। अगर प्यास आपसे कोई अलग चीज होती, तो हम | कोशिश इशारे की तरह है; मील के पत्थर की तरह है कि और उसे मिटा भी लेते। आप ही हो प्यास। आदमी परमात्मा की एक आगे, और आगे। हिम्मत देने के लिए है, कि बढ़े जाओ; दो कदम प्यास है। आदमी अलग होता, तो प्यास को हम काट देते। कोई | और; ज्यादा दूर नहीं है; पास ही है। सर्जरी कर लेते। और आदमी को अलग कर लेते। आदमी खुद ही | हिम्मत से कोई बढ़ा चला जाए, तो एक दिन उस अनुभव में उतर