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________________ * संदेह की आग आपके भीतर पैदा होगा। नहीं मालूम पड़ती। बिना ईश्वर के चैन नहीं मालूम पड़ता। इसलिए नास्तिक होने से मत डरें अगर आस्तिक होना है। और अगर | श्रद्धा बढ़ाना चाहते हैं। पहले अपने भीतर की इस बात को समझिए किसी दिन ईश्वर के चरणों में पूरा सिर रखकर हां भर देनी है, तो कि मेरे भीतर कोई बेचैनी है, जिसकी वजह से ईश्वर की श्रद्धा अभी जब तक आपको लगे कि वह नहीं है, तब तक ईमानदारी से | बढ़ाना चाहता हूं। और अगर बेचैनी ठीक से समझ में आ जाए, तो इनकार करना। जल्दी हां मत भरना। जल्दी भरी गई हां गर्भपात है, | आप फिर प्रमाण नहीं पूछेगे, सबूत नहीं पूछेगे। एबार्शन है। उससे जो बच्चा पैदा होता है, वह मुर्दा पैदा होता है। । प्यासा आदमी यह नहीं पूछता कि पानी है या नहीं! प्यासा अनास्था के गर्भ को कम से कम नौ महीने तक तो चलने दें। आदमी पूछता है, पानी कहां है? प्यास न लगी हो, तो आदमी और अगर यह गर्भ पूरा हो गया हो, तो फिर मुझसे पूछने की | पूछता है, पता नहीं, पानी है या नहीं! प्यासे आदमी ने अब तक जरूरत न रह जाएगी। अगर आप सच में ही ऊब गए हों अपनी | नहीं पूछा है कि पानी है या नहीं। प्यासा आदमी पूछता है, पानी अश्रद्धा से, तो आप उसे छोड़ ही देंगे, फेंक ही देंगे। न ऊबे हों, | कहां है? कैसे खोजूं? तो थोड़ी प्रतीक्षा करें। थोड़ा ऊबें। __ईश्वर के प्रमाण की जरूरत क्या है? आपके भीतर ईश्वर के डर इसलिए नहीं है मुझे, क्योंकि अश्रद्धा से कभी आनंद मिलता | बिना बेचैनी है, यह काफी प्यास है। और यही उसका प्रमाण है। नहीं. इसलिए आप तप्त नहीं हो सकते। आज नहीं कल आप उसे इस बात के फर्क को समझ लें। फेंक ही देंगे। श्रद्धा से ही आनंद मिलता है। और बिना आनंद के एक आदमी पूछता है, ईश्वर है या नहीं, इसका प्रमाण चाहिए। कोई व्यक्ति कब तक जीवित रह सकता है? | मैं प्रमाण नहीं देता। मैं कहता हूं, छोड़ो फिक्र। जिसका प्रमाण नहीं, धर्म को पृथ्वी से मिटाया नहीं जा सकता तब तक, जब तक कि | | उसकी फिक्र क्यों करनी? ईश्वर को जाने दो; उसकी बला। तुम आदमी आनंद की मांग कर रहा है। जिस दिन आदमी आनंद के | | अपने रास्ते पर जाओ। ईश्वर तुमसे कभी कहने आता नहीं कि मेरा बिना जीने को राजी हो जाएगा, उस दिन धर्म को मिटाया जा सकता | प्रमाण तुमने अभी तक पता लगाया कि नहीं। तो झंझट में पड़ते क्यों है, उसके पहले नहीं। हो? क्यों अपने मन को खराब करते हो? शांति से सोओ। क्यों धर्म परमात्मा की खोज नहीं है, आनंद की खोज है। और जिन्हें | नींद खराब करनी! अनिद्रा मोल लेनी! क्या बात है? आनंद खोजना है, उन्हें परमात्मा खोजना पड़ता है। और आनंद की | चैन नहीं है भीतर। कहीं भीतर कोई एक प्यास है, जो बिना ईश्वर खोज हमारे भीतर का नैसर्गिक स्वर है। के नहीं बुझ सकती। बिना ईश्वर के प्यास नहीं बुझ सकती। वह प्यास भीतर से धक्के देती है कि पता लगाओ ईश्वर का।। अपनी प्यास को समझो; ईश्वर को छोड़ो। पानी उतना . इससे ही संबंधित एक प्रश्न और एक मित्र ने पूछा | महत्वपूर्ण नहीं है, जितनी प्यास महत्वपूर्ण है। पानी तो गौण है। है, ईश्वर की ओर श्रद्धा बढ़ाना बहुत कठिन लगता | अगर प्यास न हो, तो पानी का करिएगा भी क्या! और अगर प्यास है, क्योंकि उसके अस्तित्व को मानने का कोई ठोस | हो, तो हम पानी खोज ही लेंगे। सबूत या कारण नहीं मिलता! एक नियम जीवन का है कि उसी चीज की प्यास होती है, जो है। जो नहीं है, उसकी प्यास भी नहीं होती। जो नहीं है, उसका कोई अनुभव भी नहीं होता; प्यास का भी अनुभव नहीं होता। उसके है श्वर की श्रद्धा बढ़ाना बहुत ही कठिन मालूम पड़ता | | अभाव का भी अनुभव नहीं होता। २ है। बढ़ाइए ही क्यों? ऐसी झंझट करनी क्यों! | आदमी की प्यास ही प्रमाण है। इसका मतलब यह हुआ कि कौन-सी अडचन आ रही है आपको कि ईश्वर की | आपको सब कुछ मिल जाए, तो भी तृप्ति न होगी, जब तक कि श्रद्धा बढ़ानी है! मत बढ़ाइए। छोड़िए ईश्वर की बात ही। बेचैनी | आपको ईश्वर न मिल जाए। अगर आपको तृप्ति हो सकती है बिना क्या है? क्यों चाहते हैं कि ईश्वर की श्रद्धा बढ़े? | उसके, तो आप तृप्त हो जाएं; ईश्वर को कोई एतराज नहीं है। आप तो अपने भीतर तलाश करिए। बिना ईश्वर के आपको शांति | मजे से तृप्त हो जाएं। वह आपकी तृप्ति में बाधा डालने नहीं आएगा। 55]
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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