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पाप और प्रार्थना 0
से गुजरना पड़ता है। पहली तो यह कि वह अकेला है यात्रा पर। सारा जाल-परिवार, पति-पत्नी, मित्र, क्लब, होटल, समूह, कोई उसका संगी-साथी नहीं। और आपको पता है, कभी आप संघ, मंदिर, चर्च-अकेले होने से बचने की तरकीबें हैं। अकेले अंधेरी गली से गुजरते हैं, तो खुद ही गीत गुनगुनाने लगते हैं, सीटी होने से घबड़ाहट होती है। बजाने लगते हैं। कोई है नहीं वहां। अकेले में डर लगता है। लेकिन | मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी मर गई थी, तो उसकी लाश के पास अपनी ही सीटी सुनकर डर कम हो जाता है। अपनी ही सीटी, बैठकर रो रहा था। नसरुद्दीन का मित्र भी था एक, फरीद। वह अपना ही गीत!
उससे भी ज्यादा छाती पीटकर रो रहा था। नसरुद्दीन को बड़ा अखर उस अज्ञात के पथ पर जहां कि गहन अंधेरा है, क्योंकि कोई रहा था। पत्नी मेरी, और ये सज्जन इस तरह रो रहे हैं कि किसी को संगी-साथी नहीं है, और इस जगत का कोई प्रकाश काम नहीं आता शक हो सकता है कि इनकी पत्नी मरी हो। नसरुद्दीन भी काफी है; निराकार का यात्री अकेले जाता है। कोई परमात्मा, कोई ताकत लगा रहा था, लेकिन मित्र भी गजब का था, नसरुद्दीन से परमात्मा की धारणा का सहारा नहीं है। तो पहली तो कठिनाई यह हमेशा आगे! है कि अकेले की यात्रा है।
भीड बढ़ गई थी। कई अजनबी लोग भी इकटे हो गए थे। और भरोसा भी हो कि परमात्मा है, तो दो हैं आप। अकेले नहीं हैं। | नसरुद्दीन को बड़ी बेचैनी हो रही थी। पत्नी के मरने की इतनी नहीं,
एक ईसाई फकीर औरत हुई। वह एक चर्च बनाना चाहती थी। | जितना यह आदमी बाजी मारे लिए जा रहा है! आखिर नसरुद्दीन से कुल दो पैसे थे उसके पास। और गांव में जाकर उसने कहा कि नहीं रहा गया, उसने कहा कि ठहर भी फरीद! इतना दुख मत मना; घबड़ाओ मत, संपत्ति कुछ मेरे पास है, कुछ और आ जाएगी। और ज्यादा मत घबड़ा। मैं फिर दुबारा शादी कर लूंगा। जहां संपत्ति है, वहां और संपत्ति आ जाती है। दो पैसे मेरे पास हैं। ___ लोग बहुत चकित हुए। किसी ने पूछा कि नसरुद्दीन, अभी पत्नी चर्च हम बना लेंगे।
मरे देर नहीं हुई। लाश घर में रखी है; अभी लाश गरम है। और गांव के लोग बहुत हंसे कि तू पागल हो गई है। दो पैसे से कहीं | तुम कह रहे हो, दूसरी शादी कर लोगे! तो नसरुद्दीन ने कहा, कोई चर्च बना है! तू अकेली एक फकीर औरत और दो पैसे। बस! | शादी करने के लिए तो शादी की नहीं थी। अकेले होने की तकलीफ इससे हो जाएगा? चर्च बन जाएगा?
है। उसके मरते ही मैं फिर अकेला हो गया। और इतना अकेला तब ___ उस स्त्री ने कहा कि नहीं, एक और मेरे साथ है। एक मैं हूं, मैं भी नहीं था, जब पहली दफा शादी की थी। अब और ज्यादा अकेला फकीर औरत हूँ। और ये दो पैसे हैं। ये भी काफी कम हैं। लेकिन | | हो गया, क्योंकि साथ का अनुभव हो गया। परमात्मा भी मेरे साथ है। तीनों का जोड़ काफी से ज्यादा है। मगर रास्ते पर जा रहे हैं। अंधेरे में एक कार निकल जाती है; कार के तुम्हें वह तीसरा दिखाई नहीं पड़ता। मुझे वह दिखाई पड़ता है, | प्रकाश में आंखें चौंधिया जाती हैं। जब कार चली जाती है, अंधेरा इसलिए दो पैसे की भी फिक्र नहीं है। और मैं भी फकीर औरत हूं, और ज्यादा हो जाता है। पहले इतना नहीं था। पहले कुछ दिखाई इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। हम तीनों मिलकर जरूरत से | भी पड़ता था, अब कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। ज्यादा हैं।
नसरुद्दीन ने कहा कि इस पत्नी की वजह से ही तो अब और वह जो भक्त का रास्ता है, उस पर परमात्मा साथ है। भक्त जल्दी दूसरी पत्नी की जरूरत है। यह खाली कर गई; बहुत अकेले कितना ही कमजोर हो, परमात्मा से जुड़कर बहुत ज्यादा है। सारी | | हो गए। कमजोरी खो जाती है।
__ आपकी पत्नी जब मर जाती है या पति जब मर जाता है, तो जो निराकार का पथिक अकेला है; किसी का उसे साथ नहीं है। पीड़ा होती है, वह उसके मरने की कम है; अगर ठीक से खोज कठिनाई होगी। अकेले होने से बड़ी और कठिनाई भी क्या है! | करेंगे, तो अकेले हो जाने की ज्यादा है। शायद नसरुद्दीन बहुत
जिंदगी में कभी आप अकेले हए हैं? अकेला होने का आपको | नासमझ है. इसलिए तत्काल उसने सच्ची बात कह दी। आप छ पता है? जरा देर अकेले छूट जाते हैं, तो जल्दी से अखबार पढ़ने महीने बाद कहेंगे। और अगर जरा मंद बुद्धि हुए, छः साल बाद लगते हैं, रेडियो खोल लेते हैं, किताब उठा लेते हैं। कुछ न कुछ | | कहेंगे। यह दूसरी बात है। लेकिन बात उसने ठीक ही कह दी। करने लगते हैं, ताकि अकेलापन पता न चले। हमारे जीवन का अकेले होने की पीड़ा है। किसी को भी हाथ में हाथ लेकर
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