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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-60 हर भूल से सीखें और पार निकल जाएं और नई भूल करने की | | तेरा हृदय बैठा जा रहा है; वह दुखी हो गया। उसके हृदय की हिम्मत रखें। संसार में भूलें करने से नहीं डरते, तो परमात्मा में भूलें | पंखुड़ियां बंद हो गईं। तरंगों में खबर आने लगी कि वह दुख से करने से क्या डरना है! और जब संसार भी भूलों को क्षमा कर देता | भरा हुआ है। ठीक गुलाब के पौधे से भी तरंगें आने लगीं कि वह है और आप सफल हो जाते हैं, तो परमात्मा भी क्षमा कर ही देगा। बहुत दुखी है। उसकी पंखुड़ियां मुरझा गई हैं और बंद हो गई हैं। क्षमा किया ही हुआ है। और जब पहली दफा कोई तुतलाता है। । आप आनंदित हैं, तो आपके पास रखा हुआ गुलाब का पौधा प्रार्थना, तो सारा अस्तित्व खुश होता है, प्रसन्न होता है। | भी आंदोलित होता है। तो फिर झूठ नहीं लगता, कुछ आश्चर्य नहीं कहा है हमने कि जब बुद्ध को पहली दफा ज्ञान हुआ, तो जिन | है कि बुद्ध का भीतर का कमल खिला हो, तो बेमौसम फूल भी आ वृक्षों पर फूल नहीं खिलने थे, खिल गए।झूठी लगती है बात। कहा गए हों। क्योंकि साधारण आदमी के खुश होने से अगर फूल खुश है हमने कि महावीर जब रास्ते पर चलते थे, तो अगर कोई कांटा होते हैं, तो बुद्ध तो कभी-कभी करोड़ वर्ष में कोई बुद्ध होता है। पड़ा हो, तो महावीर को देखकर उलटा हो जाता था। झूठी लगती | | उस वक्त अगर बेमौसम फूल ले आते हों पौधे, तो कुछ आश्चर्य है बात। कांटे को क्या मतलब होगा? और बेमौसम फूल खिलते नहीं लगता। हैं कहीं? कि बुद्ध को जब ज्ञान हुआ, तो सारी दिशाएं सुगंध से भर पुश्किन की बात से तो ऐसा लगता है, फूल जरूर खिले होंगे। गईं। भरोसा नहीं आता। बुद्ध के पास के पौधे इतने आनंदित हो गए होंगे-ऐसा तो कभी लेकिन अभी रूस में एक प्रयोग हुआ है और रूस के वैज्ञानिक होता है, करोड़ वर्षों में तो अगर बेमौसम भी थोड़े से फूल खिला पुश्किन ने घोषणा की है कि पौधे भी आपकी खुशी से प्रभावित दिए हों, स्वाभाविक लगता है। होते हैं और खुश होते हैं; और आपके दुख से दुखी होते हैं, जब आप पहली दफा तुतलाते हैं प्रार्थना, तो यह सारा अस्तित्व पीड़ित होते हैं। खुश होता है। इस अस्तित्व की खुशी ही प्रभु का प्रसाद है। पुश्किन की खोज मूल्यवान है और पुश्किन ने पौधों को | तो डरें मत। हिम्मत करें। गिरेंगे ही न; फिर उठ सकते हैं। नौ सम्मोहित करने का, हिप्नोटाइज करने का प्रयोग किया है। और बार जो गिरता है, दसवीं बार उसके गिरने की संभावना समाप्त हो पुश्किन ने यह भी प्रयोग किया है कि पास में एक गुलाब का पौधा जाती है। रखा है और एक व्यक्ति को पास में ही बेहोश किया, सम्मोहित अब हम सूत्र को लें। किया। जब सम्मोहित होकर कोई बेहोश हो जाता है, फिर उससे किंतु उन सच्चिदानंदघन निराकार ब्रह्म में आसक्त हुए चित्त जो भी कहा जाए, वह आज्ञा मानता है। पुश्किन ने उस बेहोश | वाले पुरुषों के साधन में क्लेश अर्थात विशेष परिश्रम है। क्योंकि आदमी से कहा कि तू आनंद से भर गया है। तेरा चित्त प्रफुल्लित | देह-अभिमानियों में अव्यक्त विषयक गति दुखपूर्वक प्राप्त की है और सुख की धारा बह रही है। जाती है। अर्थात जब तक शरीर में अभिमान है, तब तक शुद्ध वह आदमी डोलने लगा आनंद में। उस आदमी के मस्तिष्क में सच्चिदानंदघन निराकार ब्रह्म में स्थिति होनी कठिन है। और जो मेरे इलेक्ट्रोड लगाए गए, जो यंत्र पर खबर दे रहे हैं कि उसमें आनंद परायण हुए भक्तजन संपूर्ण कर्मों को मेरे में अर्पण करके मुझ की लहरें उठ रही हैं; उसका मस्तिष्क नई तरंगों से भर गया है। सगुणरूप परमेश्वर को ही अनन्य भक्ति-योग से निरंतर चिंतन उसके साथ ही उसी तरह के इलेक्ट्रोड गुलाब के पौधे पर भी लगाए | करते हुए भजते हैं, उनका मैं शीघ्र ही उद्धार करता हूं। गए हैं। जैसे ही यह आदमी आनंदित होकर भीतर प्रफल्लित हो । | इस सूत्र में दो बातें कही गई हैं। एक, कि वे भी पहुंच जाते हैं, गया और यंत्र ने खबर दी कि वह आनंद से भर रहा है; जिस तरह | जो निराकार, निर्गुण, शून्य की उपासना करते हैं। वे भी मुझ तक का ग्राफ उसके मस्तिष्क की तरंगों का बना, ठीक उसी तरह का ही पहुंच जाते हैं, कृष्ण कहते हैं। वे भी परम सत्य को उपलब्ध हो ग्राफ गुलाब के पौधे से भी बना। और पुश्किन ने लिखा है, गुलाब | जाते हैं। लेकिन उनका मार्ग कठिन है। उनका मार्ग दुर्गम है। और के पौधे के भीतर भी वैसी ही आनंद की तरंगें फैलने लगीं। | उनके मार्ग पर क्लेश है, पीड़ा है, कष्ट है। क्या क्लेश है उनके __ और जब उस आदमी को कहा गया कि तू दुख से परेशान है; | मार्ग पर? तेरी पत्नी की मृत्यु हो गई है; कि तेरे घर में आग लग गई है और । जो निराकार की तरफ चलता है, उसे कुछ अनिवार्य कठिनाइयों
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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