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________________ o पाप और प्रार्थना आपसे ही प्रार्थना होगी। और पाप प्रार्थना में बाधा नहीं है। यह भी नहीं है। ऐसा ही है, जैसे आपके घर में अंधेरा हो; और आप कहें कि अंधेरा | और संतों का काम इतना ही है, जो मां-बाप का काम है। बच्चा बहुत है, दीया कैसे जलाएं! और अंधेरा इतना ज्यादा है कि दीया चलता है, तो मां-बाप उसके उस भूल भरे चलने पर भी इतने प्रसन्न जलेगा कैसे! और अंधेरा हजारों साल पुराना है, दीए को बुझाकर | होते हैं। फिर जब वह ठीक चलने लगेगा, तो कोई प्रसन्न नहीं होगा। रख देगा! नाहक मेहनत क्या करनी। जब अंधेरा नहीं होगा, तब आपको पता है! जब पहली दफा बच्चा खड़ा हो जाता है डगमगाता, दीया जला लेंगे। तो घरभर में खुशी और उत्सव छा जाता है। ऐसी क्या बड़ी घटना अंधेरा आपके दीए के जलने को रोक नहीं सकता। अंधेरे की हो रही है? दुनिया चल रही है! ये और एक सज्जन खड़े हो गए, ताकत क्या है ? पाप से कमजोर दुनिया में कोई चीज नहीं है। पाप | तो कौन-सा फर्क पड़ा जा रहा है? लेकिन उसका यह खड़ा होना, की ताकत क्या है? अंधेरा कमजोर है। अंधेरा है ही कहां? दीया | उसका यह साहस, उसका जमीन पर से झके होने से खड़ा हो जाना, जलते ही तिरोहित हो जाएगा। और चाहे हजारों वर्ष पुराना हो, तो | अपने पैरों पर यह भरोसा, मां-बाप खुश हो जाते हैं; बैंड-बाजे भी एक क्षण टिक न सकेगा। और छोटा-सा दीया मिटा देगा। और | बजाते हैं। घर में गीत; फूल सजाते हैं। बच्चा उनका खड़ा हो गया! दीए से अंधेरा यह नहीं कह सकेगा कि मैं हजारों साल से यहां रह जब पहली दफा बच्चा आवाज निकाल देता है, बेतुकी, बेमतलब रहा हूं और तू अभी अतिथि की तरह आया और मुझ मेजबान को | की, कोई अर्थ नहीं होता, उसमें से मां-बाप अर्थ निकालते हैं कि वह हटाए दे रहा है! मैं नहीं हटता। नहीं, अंधेरा खड़ा होकर जवाब भी | मामा कह रहा है, पापा कह रहा है। वह कुछ नहीं कह रहा है। वह न दे सकेगा। अंधेरा पाया ही नहीं जाएगा। केवल पहली दफा टटोल रहा है। कुछ नहीं कह रहा है। लेकिन बड़ी प्रार्थना के लिए पाप बाधा नहीं है। नहीं तो वाल्मीकि जैसा पापी, | खुशी छा जाती है। फिर वह भाषा भी अच्छी बोलने लगेगा, बड़ा राम में ऐसा नहीं डूब सकता था। कि अंगुलिमाल जैसा पापी, बुद्ध | विद्वान भी हो जाएगा, तब भी यह खुशी नहीं होगी। में ऐसा लीन नहीं हो सकता था। संतों का, गुरुओं का इतना काम है कि जब पहली दफा कोई ___ पाप बाधा नहीं है। और जब प्रार्थना कोई करता है, तो पाप वैसे | तुतलाने लगे प्रार्थना, तो उसको सहारा दें। पहली दफा जब कोई ही हट जाता है, जैसे दीया जलता है और अंधेरा हट जाता है। और | प्रार्थना के जगत में कदम रखे, तो उसको आसरा दें। इसको उत्सव जले हुए दीए में पाप नहीं होता। जले हुए दीए के साथ जो होता है, | की घड़ी बना लें। तो जो आज डांवाडोल है, कल थिर हो जाएगा। उसी का नाम पुण्य है। जो आज तुतला रहा है, कल ठीक से बोलने लगेगा। आज जो तो प्रार्थना को रोकें मत। कल पर टालें मत। स्थगित मत करें। | केवल आवाज है, कल गीत-संगीत भी बन सकती है। वे प्रार्थना को शुरू होने दें। संभावनाएं हैं। . और क्या फर्क पड़ता है! जब बच्चा पहली दफा चलता है, तो लेकिन पहला कदम बिलकुल जरूरी है। पहले कदम में ही जो गिरता ही है। अगर कोई भी बच्चा यह तय कर ले कि मैं चलूंगा| | चूक करता है...। और चूक एक ही है पहले कदम की। गिरना तभी जब गिरूंगा नहीं, तो चलेगा ही नहीं कभी। और जब पहली चूक नहीं है। गलत कदम का उठ जाना चूक नहीं है। गलत उठेगा दफा कोई तैरना सीखता है, तो दो-चार दफे मुंह में पानी भी भर | ही; गिरना होगा ही। चूक एक ही है, स्थगित करना। कि पहला जाता है और डुबकी भी लग जाती है। लेकिन कोई अगर यह तय कैसे उठाऊं; कहीं गलती न हो जाए! तो जो रुक जाता है पहले को कर ले कि तैरूंगा तभी जब परी तरह सीख लंगा. फिर वह कभी उठाने से. वही एकमात्र चक है। बाकी कोई चक नहीं है। तैरेगा नहीं। तैरने के लिए भी बिना सीखे पानी में उतरना जरूरी है। | भूलें करना बुरा नहीं है। भूल करने के डर से रुक जाना बरा है। और बच्चा चल पाता है। गिरता है; घुटने टूट जाते हैं। घसिटता भूल को दोहराना बुरा है, एक ही भूल को बार-बार करना नासमझी है। बार-बार खड़ा होता है, फिर बैठ जाता है। एक दिन चलने है। लेकिन पहली दफा ही भूल न हो, ऐसा जो परफेक्शनिस्ट हो, लगता है। प्रार्थना भी ऐसे ही शुरू होगी क ख ग से। आप कभी | | ऐसा जो पूर्णतावादी हो, वह इस दुनिया में मूढ़ की हालत में ही पूरी प्रार्थना पहले दिन नहीं कर पाएंगे। आप पहले ही दिन कोई | | मरेगा। वह कुछ भी सीख नहीं पाएगा। चैतन्य और मीरा नहीं हो जाने वाले हैं। लेकिन होने की कोई जरूरत __भूल करें, दिल खोलकर करें। एक ही भूल दुबारा भर न करें। 41
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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