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ॐ गीता दर्शन भाग-60
शायद आपको भी यह साफ नहीं हुआ है कि बुद्धि का जाल कुछ कोशिश भी मत करना। उससे कोई संबंध नहीं है। विज्ञान की कोई अर्थ नहीं रखता है।
| उलझन हो, बुद्धि हल कर देगी। टेक्नालाजी का कोई सवाल हो, आदमी की बुद्धि कितनी छोटी है! इस छोटी-सी बुद्धि से हम | बुद्धि हल कर देगी। जो भी मृत है, पदार्थ है, उसकी उलझन बुद्धि क्या हल कर रहे हैं? इस जीवन की विराट पहेली को! कितने दर्शन हल कर देती है। बुद्धि का उपयोग यही है। हैं, कितने शास्त्र हैं, कुछ भी हल नहीं हुआ। बुद्धि अब तक एक लेकिन जहां भी जीवित है, और जहां भी जीवन की धारा है, नतीजे पर नहीं पहुंची है। अभी तक जीवन की पहेली पहेली की और जहां अमृत का प्रश्न है, वहीं बुद्धि थक जाती है और व्यर्थ पहेली बनी हुई है। अभी तक कोई जवाब नहीं है।
हो जाती है। हजारों साल की निरंतर हजारों मस्तिष्कों की मेहनत के बाद भी, | ___ सुना है मैंने कि एक बहुत बड़े सूफी फकीर हसन के पास एक जीवन क्या है, इसका कोई उत्तर नहीं है। मनुष्य इतने दिन से | युवक आया। वह बहुत कुशल तार्किक था, पंडित था, शास्त्रों का कोशिश करके भी बुद्धि से कुछ पा नहीं सका है। जीवन के सभी | ज्ञाता था। जल्दी ही उसकी खबर पहुंच गई और हसन के शिष्यों में प्रश्न अभी भी प्रश्न हैं। कुछ हल नहीं हुआ।
| वह सब से ज्यादा प्रसिद्ध हो गया। दूर-दूर से लोग उससे पूछने धर्म या भक्ति केवल इसी बात की पहचान है कि बुद्धि से एक | आने लगे। यहां तक हालत आ गई कि लोग हसन की भी कम भी उत्तर मिल नहीं सका। शायद बुद्धि से उत्तर मिल ही नहीं सकता। फिक्र करते और उसके शिष्य की ज्यादा फिक्र करते। क्योंकि हसन हम गलत दिशा से खोज रहे हैं। लेकिन यह स्मरण आ जाए, यह तो अक्सर चप रहता। और उसका शिष्य बड़ा कशल था सवालों खयाल में आ जाए, तो आप दूसरी दिशा में खोज शुरू कर दें। । | को सुलझाने में।
आपके पास बुद्धि है। अच्छा है होना; क्योंकि अगर बुद्धि न हो, | । एक दिन एक आदमी ने हसन से आकर कहा, इतना अदभुत तो यह भी समझ में आना मुश्किल है कि बुद्धि से कुछ मिल नहीं | | शिष्य है तुम्हारा! इतना वह जानता है कि हमने तो दूसरा ऐसा कोई सकता। इतना उसका उपयोग है।
आदमी नहीं देखा। धन्यभागी हो तुम ऐसे शिष्य को पाकर। हसन बायजीद ने कहा है कि शास्त्रों को पढ़कर एक ही बात समझ में | | ने कहा कि मैं उसके लिए रोता है, क्योंकि वह केवल जानता है। आई कि शास्त्रों से सत्य नहीं मिलेगा। लेकिन काफी बड़ी बात | | और जानने में इतना समय लगा रहा है कि भावना कब कर पाएगा? समझ में आई।
भाव कब कर पाएगा? जानने में ही जिंदगी उसकी खोई जा रही है, झेन फकीर रिझाई ने कहा है कि सोच-सोचकर इतना ही पाया | तो भाव कब करेगा? मैं उसके लिए रोता हूं। उसको अवसर भी कि सोचना फिजूल है। लेकिन बहुत पाया। इतना भी मिल जाए| | नहीं है, समय भी नहीं है। वह बुद्धि से ही लगा हुआ है। बुद्धि से, तो बुद्धि का बड़ा दान है। लेकिन इसके लिए भी | बुद्धि से सब कुछ मिल जाए, जीवन का स्रोत नहीं मिलता। वह साहसपूर्वक बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।
| वहां नहीं है। बुद्धि एक यूटिलिटी है; एक उपयोगिता है; एक यंत्र हम तो बुद्धि का प्रयोग भी नहीं करते हैं। इसलिए हम बुद्धिमान | है, जिसकी जरूरत है। लेकिन वह आप नहीं हैं। जैसे हाथ है, ऐसे बने रहते हैं। अगर हम बद्धि का प्रयोग कर लें. तो आज नहीं कल | बुद्धि एक आपका यंत्र है। उसका उपयोग करें, लेकिन उसके साथ हम उस जगह पहुंच जाएंगे, जहां खाई आ जाती है और रास्ता | | एक मत हो जाएं। उसका उपयोग करें और एक तरफ रख दें। समाप्त हो जाता है। वहां से लौटना शुरू हो जाता है।
लेकिन हम उससे एक हो गए हैं। सभी बुद्धिमान बुद्धि के विपरीत हो गए हैं। चाहे बुद्ध हों, और आप चलते हैं, तो पैर का उपयोग कर लेते हैं। फिर बैठते हैं, चाहे जीसस, चाहे कृष्ण, सभी बुद्धिमानों ने एक बात एक स्वर से | | तब आप पैर नहीं चलाते रहते हैं। अगर चलाएं, तो लोग पागल कही है कि बुद्धि से जीवन का रहस्य हल नहीं होगा। जीवन का | | समझेंगे। पैर चलने के लिए है, बैठकर चलाने के लिए नहीं है। रहस्य हृदय से हल होगा।
बुद्धि, जब पदार्थ के जगत में कोई उलझन हो, उसे सुलझाने के हां, बुद्धि से संसार की उलझनें हल हो सकती हैं। क्योंकि संसार | लिए है। लेकिन आप बैठे हैं, तो भी बुद्धि चल रही है। नहीं है कोई की सब उलझनें मृत हैं। गणित का कोई सवाल हो, बुद्धि हल कर | | सवाल, तो भी बुद्धि चल रही है! देगी। और ध्यान रखना, गणित का सवाल हृदय से हल करने की आज एक मित्र मेरे पास आए थे। वे कह रहे थे, कोई तकलीफ