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पाप और प्रार्थना
आती है प्रौढ़ता से, अनुभव से। सार जब बच जाता है सब अनुभव गहराई होगी, वह संत की गहराई है। का, तो गहराई आती है।
विपरीत का अनुभव उपयोगी है। बच्चे को जवान होना जरूरी ___एक बूढ़ा आदमी सरल नहीं हो सकता, लेकिन गहरा हो सकता | है। जवान का अर्थ है, वासना। सभी बच्चे जवान हो जाते हैं, है। एक बच्चा गहरा नहीं हो सकता, सरल हो सकता है। और जब | लेकिन सभी जवान बूढ़े नहीं हो पाते हैं! शरीर बूढ़ा हो जाता है, कोई बूढ़ा आदमी अपनी गहराई के साथ सरल हो जाता है, तो संत चित्त बूढ़ा नहीं हो पाता। और जिसका चित्त बूढ़ा होता है, वह संत का जन्म होता है।
हो गया। चित्त के बूढ़े होने का अर्थ यह है कि जवानी में जो तूफान इसलिए जीसस ने कहा है कि वे लोग मेरे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश उठे थे, वे समझ लिए और पाया कि व्यर्थ हैं। कर सकेंगे, जो बच्चों की भांति भोले हैं।
बूढ़े भी कहते हैं कि सब बेकार है। कहते हैं; ऐसा उन्होंने पाया लेकिन ध्यान रहे. जीसस ने यह नहीं कहा है कि बच्चे मेरे स्वर्ग नहीं है। अगर कोई चमत्कारी उनसे कहे कि हम तम्हें फिर जवान के राज्य में प्रवेश कर सकेंगे। बच्चे नहीं; जो बच्चों की भांति भोले बनाए देते हैं, तो वे अभी तैयार हो जाएंगे। खो गया है, हाथ से हैं। इसका मतलब साफ है कि पहली तो बात बच्चे नहीं हैं। तभी ताकत खो गई है, वासना नहीं खो गई है। मरते दम तक वासना तो कहा कि बच्चों की भांति। बच्चे नहीं हैं; जो बूढ़े हैं सब अर्थों पीछा करती है। में, लेकिन फिर भी बच्चों की भांति भोले हैं, वे ही स्वर्ग के राज्य सब बच्चे जवान हो जाते हैं, लेकिन सभी जवान बूढ़े नहीं हो में प्रवेश कर सकेंगे।
पाते हैं। बूढ़े तो बहुत थोड़े से लोग होते हैं। बूढ़े का मतलब है, एक बच्चा सरल है, अज्ञानी है। अभी उसकी जिंदगी में | | जिनके लिए जवानी अनुभव से व्यर्थ हो गई। और जो बूढ़े होकर जटिलता नहीं है, लेकिन जटिलता आएगी। अभी जटिलता आने | फिर वापस उस सरलता को पहुंच गए, जिस सरलता को लेकर का वक्त करीब आ रहा है। जल्दी ही वह भटकेगा, उलझेगा, | पैदा हुए थे। लेकिन इस सरलता में एक गुणात्मक, क्वालिटेटिव वासना से भरेगा। जमानेभर की आकांक्षाएं उसे घेर लेंगी। उसकी | | फर्क है। इस सरलता के नीचे जो तूफान छिपा था, ज्वालामुखी, वह सरलता के नीचे ज्वालामुखी छिपा है।
नहीं है। इस सरलता को भ्रष्ट नहीं किया जा सकता। यह सरलता ___ गांव का आदमी सरल दिखाई पड़ता है। वह भी बच्चे की तरह | बोधपूर्वक है। सरल है। उसके भीतर वह सारा ज्वालामुखी छिपा है, जो शहर के बच्चे की सरलता भ्रष्ट की जा सकती है। भ्रष्ट होगी ही; होनी आदमी में प्रकट हो गया है। उसे शहर ले आओ, वह शहर के चाहिए। नहीं तो उसके जीवन में गहराई नहीं आएगी। उसे भ्रष्ट भी आदमी जैसा ही जटिल हो जाएगा। और यह भी हो सकता है, होना पड़ेगा और उसे भ्रष्टता के ऊपर भी उठना पड़ेगा। जीवन एक ज्यादा जटिल हो जाए। जब गांव के लोग चालाक होते हैं, तो शहर शिक्षण है। उसमें भूल करके हम सीखते हैं। के लोगों से ज्यादा चालाक हो जाते हैं। क्योंकि उनकी जमीन बहुत बुद्धि की भूल हमने कर ली है इस युग में। अब अगर हम सीख दिन से बिना उपयोग की पड़ी है। उसमें चालाकी के बीज पड़ जाते | जाएं, तो हम हृदय की तरफ वापस लौट सकते हैं। हैं, तो जो फसल आती है, वह आप में नहीं आ सकती। आपकी पृथ्वी पर भक्ति के एक बड़े युग के आने की संभावना है। उलटा जमीन काफी फसल ला चुकी है चालाकी की।
लगेगा, क्योंकि हमें तो लग रहा है कि सब नष्ट हुआ जा रहा है। गांव का आदमी चालाक हो जाए, तो बहुत चालाक हो जाता है। लेकिन तूफान के बाद ही शांति आती है। और यह जो नष्ट होना गांव का आदमी सरल है, लेकिन उसकी सरलता की कोई कीमत | दिखाई पड़ रहा है, यह तूफान का आखिरी चरण है। और इसके नहीं है। उसकी सरलता बच्चे की सरलता है। उसके भीतर | पीछे एक गहन सरलता उत्पन्न हो सकती है। ज्वालामुखी छिपा है। वह कभी भी भ्रष्ट होगा। शायद उसे भ्रष्ट मगर आप, सारी दुनिया कब सरल होगी, इसकी प्रतीक्षा में मत होना ही पड़ेगा। क्योंकि इस जगत में भ्रष्ट हुए बिना कोई अनुभव | | रहें। आप होना चाहें, तो आज ही हो सकते हैं। और सारी दुनिया नहीं है। उसे इस जगत से गुजरना ही पड़ेगा। और अगर इस जगत | | होगी या नहीं होगी, यह प्रयोजन भी नहीं है। दुनिया हो भी जाएगी से गुजरकर यह जगत उसे व्यर्थ हो जाए और वह वापस गांव लौट | | और आप नहीं हुए, तो उसका कोई अर्थ नहीं है। आप हो सकते हैं जाए, और वापस लौट जाए उसी ग्राम्य-सरलता में, तो उसकी जो अभी। लेकिन शायद आप भी अभी बुद्धि से ऊबे नहीं हैं। अभी
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