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गीता दर्शन भाग-60
से ऊबा नहीं है, उसे जिंदगी के सब से बड़े मजे की अभी कमी है। | भिखमंगा ही रहता है। सम्राट अगर भिखारी होने का भी सपना वह है अमीरी के बाद गरीबी का मजा। और जो आदमी बुद्धि से | देखे, तो भी सम्राट ही रहता है। अनुभव खोते नहीं। जो भी अनुभव अभी ऊबा नहीं है, समझ लेना कि अभी बुद्धि के शिखर पर नहीं | आपको मिल गया है, वह आपके जीवन का अंग हो गया। पहुंचा। जिस दिन शिखर पर पहुंचेगा, उस दिन ऊबकर छोड़ देगा। तो जब कोई बुद्धि के शिखर पर पहुंच जाता है...। थोड़ा सोचें। क्योंकि जो भी आशाएं बंधी थीं, वे इंद्रधनुष साबित होती हैं। दूर अगर कभी आइंस्टीन भक्त हो जाए, तो आपके साधारण भक्त से दिखाई पड़ती हैं, पास पहुंचकर खो जाती हैं।
टिकेंगे नहीं। ऐसा हुआ है। अगर आप अब भी बुद्धि को पकड़े हैं, तो समझना कि काफी | चैतन्य महाप्रभु आइंस्टीन जैसी बुद्धि के आदमी थे। बंगाल में बुद्धिमान नहीं हैं। क्योंकि बड़े बुद्धिमान बुद्धि को छोड़ दिए हैं। बड़े | | कोई मुकाबला न था उनकी प्रतिभा का। उनके तर्क के सामने कोई धनियों ने धन छोड़ दिया है। बड़े बुद्धिमानों ने बुद्धि छोड़ दी है। | टिकता न था। उनसे जूझने की हिम्मत किसी की न थी। उनके जिन्होंने संसार का अनुभव ठीक से लिया है, वे मोक्ष की तरफ चल शिक्षक भी उनसे भयभीत होते थे। दूर-दूर तक खबर पहुंच गई थी
कि उनकी बुद्धि का कोई मुकाबला नहीं है। और फिर जब यह __ अगर आप अभी भी संसार में चल रहे हैं, तो समझना कि अभी | चैतन्य इस बुद्धि को छोड़कर और झांझ-मजीरा लेकर रास्तों पर संसार का अनुभव नहीं मिला। और अगर अभी भी बुद्धि को पकड़े नाचने लगा, तो फिर चैतन्य महाप्रभु का मुकाबला भी नहीं हैं और छोटे-छोटे तर्क लगाते रहते हैं, तो समझना कि अभी बुद्धि | है-इस नृत्य, और इस गीत, और इस प्रार्थना, और इस भाव, के शिखर पर नहीं पहुंचे हैं। अभी आपको आशा है। और अगर और इस भक्ति का। अभी भी रुपए इकट्ठे करने में लगे हैं, तो उसका मतलब है कि अभी न होने का कारण है। नाचे बहुत लोग हैं। गीत बहुत लोगों ने रुपए से आपकी पहचान नहीं है। अभी आप गरीब हैं; अभी अमीर गाए हैं। प्रार्थना बहुत लोगों ने की है। भाव बहुत लोगों ने किया है, नहीं हुए हैं। अमीर तो जब भी कोई आदमी होता है, रुपए को छोड़ | लेकिन चैतन्य की सीमा को छूना मुश्किल है। क्योंकि चैतन्य का देता है। क्योंकि अमीर का भ्रम भंग हो जाता है। और जब तक भ्रम | | एक और अनुभव भी है, वे बुद्धि के आखिरी शिखर से उतरकर भंग न हो, तब तक समझना कि गरीब है।
लौटे हैं। उन्होंने ऊंचाइयां देखी हैं। उनकी नीचाइयों में भी ऊंचाइयां गरीब सोच भी नहीं सकता कि अमीरी के बाद आने वाली गरीबी छिपी रहेंगी। क्या होगी। गरीब तो अमीरी के संबंध में भी जो सोचता है, वह भी तो इस युग के लिए, यह ध्यान में रख लेना जरूरी है कि यह गरीब की ही धारणा होती है।
युग एक शिखर अनुभव के करीब पहुंच रहा है, जहां बुद्धि व्यर्थ __ मैंने सुना है, एक भिखमंगा अपनी पत्नी से कह रहा था कि अगर हो जाएगी। और जब बुद्धि व्यर्थ होती है, तो जीवन के लिए एक मैं राकफेलर होता, तो राकफेलर से भी ज्यादा धनी होता। उसकी | ही आयाम खुला रह जाता है, वह है भाव का, वह है हृदय का, पत्नी ने कहा, हैरानी की बात है! क्या तुम्हारा मतलब है? भिखमंगा वह है प्रेम का, वह है भक्ति का। कह रहा है कि अगर मैं राकफेलर होता, तो राकफेलर से भी ज्यादा आदमी अब पुराने अर्थों में भावपूर्ण नहीं हो सकता। अब तो नए धनी होता। उसकी पत्नी ने कहा, हैरानी है! क्या मतलब है तुम्हारा अर्थों में भावपूर्ण होगा। पुराना आदमी सरलता से भावपूर्ण था। कि अगर तुम राकफेलर होते, तो राकफेलर से भी ज्यादा धनी होते? | उसकी भावना में सरलता थी, गहराई नहीं थी। नया आदमी जब
उस भिखमंगे ने कहा कि तू समझी नहीं। राकफेलर अगर में भावपूर्ण होता है, आज का आदमी जब भावपूर्ण होता है, तो उसके होता, तो किनारे-किनारे भीख मांगने का धंधा भी जारी रखता। वह | भाव में सरलता नहीं होती. गहराई होती है। और गहराई बडी कीमत जो अतिरिक्त कमाई होती, वह राकफेलर से ज्यादा होती! साइड की चीज है। बाइ साइड वह मैं अपना धंधा भीख मांगने का भी करता रहता। तो ___ इसे हम ऐसा समझें, एक छोटा बच्चा है। छोटा बच्चा सरल राकफेलर से निश्चित मैं ज्यादा धनी होता, क्योंकि जो मैं | | होता है, लेकिन गहरा नहीं होता। गहरा हो नहीं सकता। क्योंकि भिखमंगेपन से कमाता, वह राकफेलर के पास नहीं है। गहराई तो आती है अनुभव से। गहराई तो आती है हजार दरवाजों
अगर भिखमंगा राकफेलर होने का भी सपना देखे, तो भी पर भटकने से। गहराई तो आती है हजारों भूल करने से। गहराई तो