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0 गीता दर्शन भाग-60
में पहुंच गया है। और वहां उसने देखा मीरा को, कबीर को, चैतन्य ___ इन प्रार्थनाओं को आप प्रार्थना मत समझना, अन्यथा असली को नाचते, गीत गाते, तो बहुत हैरान हुआ। उसने पास खड़े एक प्रार्थना से आप वंचित ही रह जाएंगे। असली प्रार्थना का अर्थ है, देवदूत से पूछा कि ये लोग यहां भी नाच रहे हैं और गीत गा रहे हैं! अस्तित्व का उत्सव। असली प्रार्थना का अर्थ है, मैं हूं, इसका हम तो सोचे थे कि अब ये स्वर्ग पहुंच गए, तो अब यह उपद्रव बंद | | धन्यवाद। मेरा होना परमात्मा की इतनी बड़ी कृपा है कि उसके लिए हो गया होगा। ये तो जमीन पर भी यही कर रहे थे। इस चैतन्य को | | मैं धन्यवाद देता हूं। एक श्वास भी आती है और जाती है...। हमने जमीन पर भी ऐसे ही नाचते और गाते देखा। इस मीरा को | | कभी आपने सोचा कि आपकी अस्तित्व को क्या जरूरत है? हमने ऐसे ही कीर्तन करते देखा। यह कबीर यही तो जमीन पर कर | आप न होते, तो क्या हर्ज हो जाता? कभी आपने सोचा कि रहा था। और अगर स्वर्ग में भी यही हो रहा है, स्वर्ग में आकर भी | अस्तित्व को आपकी क्या आवश्यकता है? आप नहीं होंगे, तो क्या अगर यही होना है. तो फिर जमीन में और स्वर्ग में फर्क क्या है? | मिट जाएगा? और आप नहीं थे, तो कौन-सी कमी थी? आप
तो उस देवदूत ने कहा कि तुम थोड़ी-सी भूल कर रहे हो। तुम | | अगर न होते, कभी न होते, तो क्या अस्तित्व की कोई जगह खाली समझ रहे हो कि ये कबीर, चैतन्य और मीरा स्वर्ग में आ गए हैं। रह जाती? आपके होने का कुछ भी तो अर्थ, कुछ भी तो तुम समझ रहे हो कि संत स्वर्ग में आते हैं। बस, यहीं तुम्हारी भूल आवश्यकता दिखाई नहीं पड़ती। फिर भी आप हैं। जैसे ही कोई हो रही है। संत स्वर्ग में नहीं आते। स्वर्ग संतों में होता है। इसलिए | | व्यक्ति यह अनुभव करता है कि मेरे होने का कोई भी तो कारण संत जहां होंगे, वहीं स्वर्ग होगा। तुम यह मत समझो कि ये संत | | नहीं है; और परमात्मा मुझे सहे, इसकी कोई भी तो जरूरत नहीं है; स्वर्ग में आ गए हैं। ये यहां गा रहे हैं और आनंदित हो रहे हैं, | | फिर भी मैं हं, फिर भी मेरा होना है, फिर भी मेरा जीवन है। इसलिए यहां स्वर्ग है। ये जहां भी होंगे, वहां स्वर्ग होगा। और स्वर्ग यह जो अहोभाव है, इस अहोभाव से जो नृत्य पैदा हो जाता है, मिल जाए, इसलिए इन्होंने कभी नाचा नहीं था। इन्होंने तो नाचने जो गीत पैदा हो जाता है; यह जो जीवन का उत्सव है, यह जो में ही स्वर्ग पा लिया था। इसलिए अब इस नृत्य का, इस आनंद | | परमात्मा के प्रति कृतज्ञता का बोध है कि मैं बिलकुल भी तो किसी का कहीं अंत नहीं है। अब ये जहां भी होंगे, यह आनंद वहीं होगा। | उपयोग का नहीं हूं, फिर भी तेरा इतना प्रेम कि मैं हूं। फिर भी तू इन संतों को नरक में डालने का कोई उपाय नहीं है। मुझे सहता है और झेलता है। शायद मैं तेरी पृथ्वी को थोड़ा गंदा ही
आप आमतौर से सोचते होंगे कि संत स्वर्ग में जाते हैं। संतों को | करता हूं। और शायद तेरे अस्तित्व को थोड़ा-सा उदास और रुग्ण नरक में डालने का कोई उपाय नहीं है। संत जहां होंगे, स्वर्ग में | | करता हूं। शायद मेरे होने से अड़चन ही होती है, और कुछ भी नहीं होंगे। क्योंकि संत का हृदय स्वर्ग है।
होता। तेरे संगीत में थोड़ी बाधा पड़ती है। तेरी धारा में मैं एक पत्थर प्रार्थना जब आ जाएगी आपको, तो आप यह पूछेगे ही नहीं कि | | की तरह अवरोध हो जाता हूं। फिर भी मैं हूं। और तू मुझे ऐसे प्रार्थना पूरी नहीं हुई! प्रार्थना का आ जाना ही उसका पूरा हो जाना | | सम्हाले हुए है, जैसे मेरे बिना यह अस्तित्व न हो सकेगा। है। उसके बाद कुछ बचता नहीं है। अगर प्रार्थना के बाद भी कुछ यह जो अहोभाव है, यह जो ग्रेटिटयूड है, इस अहोभाव, इस बच जाता है, तो फिर प्रार्थना से बड़ी चीज भी जमीन पर है। और धन्यता से जो गीत, जो सिर झुक जाता है, वह जो नाच पैदा हो अगर प्रार्थना के बाद भी कुछ पाने को शेष रह जाता है, तो फिर | | जाता है, वह जो आनंद की एक लहर जग जाती है, उसका नाम आपको, प्रार्थना क्या है, इसका ही कोई पता नहीं है। प्रार्थना है। जरूरी नहीं है कि वह शब्दों में हो।
प्रार्थना अंत है; प्रार्थनापूर्ण हृदय इस जगत का अंतिम खिला| __ शब्दों में तो जरूरत ही इसलिए पड़ती है कि जीवन से हमें कहने हुआ फूल है। वह आखिरी ऊंचाई है, जो मनुष्य पा सकता है। वह की कला नहीं आती। नहीं तो प्रार्थना मौन होगी। शब्द तो सिक्खड़ अंतिम शिखर है। उसके पार, उसके पार कुछ है नहीं। के लिए हैं। वे तो प्राथमिक, जिसको अभी कुछ पता नहीं है, उसके
पर आपकी प्रार्थना के पार तो बड़ी क्षुद्र चीजें होती हैं। आपकी लिए हैं। जो जान लेगा कला, उसका तो पूरा अस्तित्व ही अहोभाव प्रार्थना के पार कहीं नौकरी का पाना होता है। आपकी प्रार्थना के का नृत्य हो जाता है। पार कहीं बच्चे का पैदा होना होता है। आपकी प्रार्थना के पार कहीं एक गरीब फकीर एक मस्जिद में प्रार्थना कर रहा था। उसके कोई मुकदमे का जीतना होता है।
| पास ही एक बहुत बुद्धिमान, शास्त्रों का बड़ा जानकार, वह भी