________________
0 अकस्मात विस्फोट की पूर्व-तैयारी
वर्तमान, भविष्य। वे समय के विभाजन नहीं हैं। समय तो सदा यह पचास साल की उम्र आज से दस साल पहले भविष्य थी। और वर्तमान है। समय का तो एक ही टेंस है, प्रेजेंट। अतीत तो सिर्फ दस साल पहले आपने सोचा होगा, न मालूम क्या-क्या आनंद स्मृति है मन की, वह कहीं है नहीं। और भविष्य केवल कल्पना है | | आने वाला है! अब तो वह सब आप देख चुके हैं। वह अभी तक मन की, वह भी कहीं है नहीं। जो समय है, वह तो सदा वर्तमान है। आनंद आया नहीं।
आपका कभी अतीत से कोई मिलना हुआ? कि भविष्य से कोई | बचपन से आदमी यह सोचता है, कल, कल, कल! और एक मिलना हुआ? जब भी मिलना होता है, तो वर्तमान से होता है। | दिन मौत आ जाती है और आनंद नहीं आता। लौटकर देखें, कोई
आप सदा अभी और यहीं, हियर एंड नाउ होते हैं। न तो आप पीछे | | एकाध क्षण आपको ऐसा खयाल आता है, जिसको आप कह सकें होते हैं, न आगे होते हैं। हां, पीछे का खयाल आप में हो सकता | | वह आनंद था! जिसको आप कह सकें कि उसके कारण मेरा जीवन है। वह आपके मन की बात है। और आगे का खयाल भी हो सकता | | सार्थक हो गया। जिसके कारण आप कह सकें कि जीवन के सब है, वह भी मन की बात है।
दुख झेलने योग्य थे! क्योंकि वह एक आनंद का कण भी मिल अस्तित्व वर्तमान है; मन अतीत और भविष्य है। एक और मजे | गया, तो सब दुख चुक गए। कोई नुकसान नहीं हुआ। क्या एकाध की बात है, अस्तित्व वर्तमान है सदा, और मन कभी वर्तमान नहीं ऐसा क्षण जीवन में आपको खयाल है, जिसके लिए आप फिर से है। मन कभी अभी और यहीं नहीं होता। इसे थोड़ा सोचें। । | जीने को राजी हो जाएं! कि यह सारी तकलीफ झेलने को मैं राजी __ अगर आप पूरी तरह से यहीं होने की कोशिश करें इसी क्षण में; हूं, क्योंकि वह क्षण पाने जैसा था। भूल जाएं सारे अतीत को, जो हो चुका, वह अब नहीं है; भूल जाएं __ कोई क्षण याद नहीं आएगा। सब बासा-बासा, सब राख-राख, सारे भविष्य को, जो अभी हुआ नहीं है; सिर्फ यहीं रह जाएं, सब बेस्वाद। लेकिन आशा फिर भी टंगी है भविष्य में। मरते दम 'वर्तमान में, तो मन समाप्त हो जाएगा। क्योंकि मन को या तो अतीत | तक आशा टंगी है। उस आशा में रस मालूम पड़ता है। वह रस चाहिए दौड़ने के लिए पीछे, स्मृति; या भविष्य चाहिए, स्पेस धोखा है। चाहिए, जगह चाहिए। वर्तमान में जगह ही नहीं है। वर्तमान का | साक्षी, अकर्ता के भाव में धोखे का रस उपलब्ध नहीं होता, क्षण इतना छोटा है कि मन को फैलने की जरा भी जगह नहीं है। लेकिन वास्तविक रस की वर्षा हो जाती है।
क्या करिएगा? अगर अतीत छीन लिया, भविष्य छीन लिया, कृष्ण का जो नृत्य है, बुद्ध का जो मौन है, महावीर का जो सौंदर्य तो वर्तमान में मन को करने को कुछ भी नहीं बचता। इसलिए ध्यान है, वह भविष्य के रस से पैदा हुई बातें नहीं हैं। वह वर्तमान में, की एक गहनतम प्रक्रिया है और वह है, वर्तमान में जीना। तो ध्यान अभी-यहीं उनके ऊपर घनघोर वर्षा हो रही है। अपने आप फलित होने लगता है, क्योंकि मन समाप्त होने लगता। कबीर कहते हैं, अमृत बरस रहा है और मैं नाच रहा हूं। वह अमृत है। मन बच ही नहीं सकता।
| किसी भविष्य की बात नहीं है। वह अभी बरस रहा है। वह यहीं बरस समय सिर्फ वर्तमान है। मन है अतीत और भविष्य। अगर आप रहा है। कबीर कहते हैं, देखो, मेरे कपड़े बिलकुल भीग गए हैं! मैं साक्षी होंगे, तो वर्तमान में हो जाएंगे। भविष्य और अतीत दोनों खो | | अमृत की वर्षा में खड़ा हूं। बादल गरज रहे हैं और अमृत बरस रहा जाएंगे। क्योंकि साक्षी तो उसी के हो सकते हैं, जो है। अतीत के है। बरसेगा नहीं, बरस रहा है! देखो, मेरे कपड़े भीग रहे हैं! क्या साक्षी होंगे, जो है ही नहीं? भविष्य के क्या साक्षी होंगे, जो धर्म है वर्तमान की घटना, वासना है भविष्य की दौड़। अगर अभी होने को है? साक्षी तो उसी का हुआ जा सकता है, जो है। । | भविष्य में बहुत रस मालूम पड़ता हो, तो अकर्ता बनने की कोशिश
साक्षी होते ही मन समाप्त हो जाता है। इसलिए भविष्य का जो मत करना, क्योंकि बनते ही भविष्य गिर जाता है। और अगर दुख रस है, वह जरूर समाप्त हो जाएगा। लेकिन आपको पता ही नहीं | | ही दुख पाया हो- भविष्य रोज तो वर्तमान बन जाता है और दुख है कि भविष्य का रस तो समाप्त होगा, वर्तमान का आनंद आपके | | लाता है तो फिर एक दफे हिम्मत करके अकर्ता भी बनने की ऊपर बरस पड़ेगा। और भविष्य का रस तो केवल आश्वासन है। कोशिश करना। झूठा, वह कभी पूरा नहीं होता।
अकर्ता बनते ही वह द्वार खुल जाता है इटरनिटी का, शाश्वतता इसे इस तरह सोचें। अगर आप पचास साल के हो गए हैं, तो का। वह वर्तमान से ही खुलता है। वर्तमान है अस्तित्व का द्वार।
|389