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प्रेम का द्वार ः भक्ति में प्रवेश
सुनाई पड़ने लगता है।
लोभ से भरे हैं, तो आपको चारों तरफ, बस अपने लोभ का सुना है मैंने कि फ्रायड के पास, सिग्मंड फ्रायड के पास एक | | विस्तार, धन ही दिखाई पड़ेगा। मरीज आया। उसके दिमाग में कुछ खराबी थी और घर के लोग | ऐसा करें कि किसी दिन उपवास कर लें, और फिर सड़क पर परेशान थे। तो फ्रायड सबसे पहले फिक्र करता था कि इस आदमी | | निकल जाएं। आपको सिवाय होटलों और रेस्तरां के बोर्ड के कुछ में कोई काम-विकार, इसके सेक्स में कोई ग्रंथि, कोई उलझाव तो भी दिखाई नहीं पड़ेगा। जिस रास्ते से आप रोज निकले थे. जिस नहीं है। क्योंकि आमतौर से सौ बीमारियों में मानसिक बीमारियों होटल का बोर्ड आपने कभी नहीं पढ़ा था, आप उसको बड़े रस से में-नब्बे बीमारियां तो काम-ग्रंथि से पैदा होती हैं। कहीं न कहीं पढ़ेंगे। आज भीतर उपवास है, भीतर भूख है, और भोजन अतिशय सेक्स एनर्जी, काम-ऊर्जा उलझ गई होती है और उसकी वजह से महत्वपूर्ण हो गया है। आपको भोजन ही दिखाई पड़ेगा। मानसिक बीमारी पैदा होती है। तो फ्रायड पहले फिक्र करता था कि जर्मन कवि हेनरिक हेन ने लिखा है कि एक दफा मैं जंगल में इसके संबंध में जांच-पड़ताल कर ले।
भटक गया और तीन दिन तक भोजन न मिला। तो हमेशा जब भी सामने से एक घोड़े पर एक सवार जा रहा था। तो फ्रायड ने पूर्णिमा का चांद निकलता था, तो मुझे अपनी प्रेयसी की तस्वीर उससे पूछा...।
दिखाई पड़ती थी। उस दिन भी पूर्णिमा का चांद निकला, मुझे लगा फ्रायड के सिद्धांतों का एक हिस्सा था, फ्री एसोसिएशन आफ | | कि एक रोटी, सफेद रोटी आकाश में तैर रही है। प्रेयसी वगैरह थाट्स, विचार का स्वतंत्र प्रवाह। उससे अनुभव में आता है कि | दिखाई नहीं पड़ी। सफेद रोटी! आदमी के भीतर क्या चल रहा है।
जो भीतर है, वह चारों तरफ प्रतिध्वनित होने लगता है। यह उसने अचानक उस मरीज से पूछा कि देखो, वह घोड़े पर सवार जगत आपकी प्रतिध्वनि है। इस जगत में चारों तरफ दर्पण लगे हैं, जा रहा है। तुम्हें एकदम से घोड़े पर सवार को देखकर किस बात | जिनमें आपकी तस्वीर ही आपको दिखाई पड़ती है। की याद आती है? एकदम! सोचकर नहीं, एकदम जो भी याद | ___ भजन का अर्थ है, जब आपके भीतर भगवान का प्रेम गहन होता आती हो, मुझे कह दो। उस आदमी ने कहा कि मुझे औरत की याद | | है, तो सब तरफ उसकी प्रतिध्वनि सुनाई पड़ने लगती है। फिर आप आती है, स्त्री दिखाई पड़ती है।
जो भी करते हैं, वह भजन है। __फ्रायड दूसरी बातों में लग गया। एक पक्षी आकर खिड़की पर | कबीर ने कहा है, उर्ले, बैलूं, चलूं, सब तेरा भजन है। इसलिए बैठकर आवाज करने लगा। तो फ्रायड ने फिर बातचीत तोड़कर | अब अलग से करने की कोई जरूरत न रही।। कहा कि यह पक्षी आवाज कर रहा है, इसे सुनकर तुम्हें किस बात | | मेरे में मन को एकाग्र करके निरंतर मेरे भजन व ध्यान में लगे की याद आती है? उसने कहा कि औरत की याद आती है। हुए जो भक्तजन अति श्रेष्ठ श्रद्धा से युक्त हुए...। . फ्रायड भी थोड़ा बेचैन हुआ। हालांकि उसके सिद्धांत के अति श्रेष्ठ श्रद्धा क्या है? एक तो श्रद्धा है, जो तर्क पर ही निर्भर
अनसार ही चल रहा था यह आदमी। तभी फ्रायड ने अपनी पेंसिल | होती है। वह श्रेष्ठ श्रद्धा नहीं है। क्योंकि उसका वास्तविक सहारा जो हाथ में ले रखी थी, छोड़ दी, फर्श पर पटक दी। और कहा, | | बुद्धि है। अभी भी छलांग नहीं हुई। लोगों ने ईश्वर के होने के इस पेंसिल को गिरते देखकर तुम्हें किस चीज की याद आती है? | प्रमाण दिए हैं। जो उन प्रमाणों को मानकर श्रद्धा लाते हैं, उनकी उस आदमी ने कहा, मुझे औरत की याद आती है!
श्रद्धा निकृष्ट श्रद्धा है। फ्रायड ने कहा, क्या कारण है तम्हें औरत का हर चीज में याद जैसे पश्चिम में परब में अनेक दार्शनिक हए जिन्होंने प्रमाण आने का? उस आदमी ने कहा, मुझे और किसी चीज की याद ही | दिए हैं कि ईश्वर क्यों है। अनेक प्रमाण दिए हैं। कोई कहता है, नहीं आती। ये सब बेकार की चीजें आप कर रहे हैं-घोड़ा, पक्षी, | | इसलिए ईश्वर को मानना जरूरी है, कि अगर वह न हो, तो जगत कि पेंसिल—इतना परेशान होने की जरूरत नहीं। मुझे और किसी | | को बनाया किसने? जब जगत है, तो बनाने वाला होना चाहिए। चीज की याद ही नहीं आती।
जैसे कुम्हार घड़ा बनाता है, तो कुम्हार भी होना चाहिए, नहीं तो कामवासना से भरे आदमी को ऐसा होगा। कामवासना भीतर | घड़ा कैसे होगा! हो, तो सारा जगत स्त्री हो गया। जगत प्रतिध्वनि है। अगर आप तर्क देने वालों ने कहा है कि जगत में प्रयोजन दिखाई पड़ता है।