________________
o पुरुष में थिरता के चार मार्ग
सोचते हैं। जो आप सोचते हैं, बुद्धि उसी का रूप ग्रहण कर लेती से सूक्ष्म को सुनूं। है। सोचते-सोचते, सोचते-सोचते बुद्धि वैसी ही हो जाती है। ऐसा करें कि बाजार में आप खड़े हैं। आंख बंद कर लें। जो तेज
खयाल करें आप, आप जो भी सोचते हैं, क्या आपकी बुद्धि आवाज है, वह तो अपने आप सुनाई पड़ती है। बीच बाजार में उसी तरह की नहीं हो गई है? एक चोर की बुद्धि चोर हो जाती है। | सड़क पर खड़े होकर आंख बंद करके इन सारी आवाजों में जो एक कंजूस की बुद्धि कंजूस हो जाती है। एक हत्यारे की बुद्धि हत्या | | सबसे सूक्ष्म आवाज है, उसे पकड़ने की कोशिश करें। से भर जाती है। जो भी वह कर रहा है, सोच रहा है, चिंतन कर | __ आप बहुत चकित होंगे कि जैसे ही आप सूक्ष्म को पकड़ने की रहा है, मनन कर रहा है, वह धीरे-धीरे उसकी बुद्धि का रूप हो | कोशिश करेंगे, जो बड़ी आवाजें हैं, वे आपके ध्यान से अलग हो जाता है।
जाएंगी, फौरन हट जाएंगी; और सूक्ष्म आवाजें प्रकट होने लगेंगी। बुद्धि को सूक्ष्म करने का अर्थ है कि धीरे-धीरे स्थूल पदार्थों से और आप कभी चकित भी हो सकते हैं कि एक पक्षी वृक्ष पर बोल बुद्धि को मुक्त करना है और उसे सूक्ष्म आब्जेक्ट, सूक्ष्म विषय देना | | रहा था, वह सड़क के ट्रैफिक और उपद्रव में अचानक आपको है। जैसे कि आप सूरज को देखें, तो यह स्थूल है। फिर आप आंख सनाई पड़ने लगा। सारा ट्रैफिक जैसे दर हो गया और पक्षी की धीमी बंद कर लें और सूरज का जो बिंब भीतर आंख में रह गया, आवाज प्रकट हो गई। निगेटिव, उस बिंब पर ध्यान करें। वह बिंब ज्यादा सूक्ष्म है। फिर स्थूल आवाजों को छोड़कर सूक्ष्म को सुनने की कोशिश करें।
आप बिंब पर ध्यान करते जाएं, ध्यान करते जाएं। आप पाएंगे कि | उस मात्रा में आपकी बुद्धि सूक्ष्म होगी। फिर धीरे से कान को बंद बिंब थोड़ी देर में खो जाता है।
| करके भीतर की आवाजें सुनें। जब ऐसे-ऐसे कोई उतरता जाता है, लेकिन अगर आप रोज ध्यान करेंगे, तो बिंब ज्यादा देर टिकने तो आखिरी जो सूक्ष्मतम आवाज है, नाद है भीतर, ओंकार की लगेगा। बिंब ज्यादा देर नहीं टिकता, आपकी बुद्धि सूक्ष्म हो जाती ध्वनि, वह सुनाई पड़नी शुरू होती है। जिस दिन वह सुनाई पड़ने है, इसलिए आप ज्यादा देर तक उसे देख पाते हैं। रोज-रोज आप लगे, समझना आपके पास शुद्ध सूक्ष्म बुद्धि पैदा हो गई। नाद करेंगे, तो आप पाएंगे कि सूरज को देखने की जरूरत ही न रही, | सुनाई पड़ने लगे, तो वह पहचान है कि आपके भीतर शुद्ध बुद्धि आप आंख बंद करते हैं और सूक्ष्म बिंब उपस्थित हो जाता है। अब पैदा हो गई। आप इस बिंब को देखते रहते हैं, देखते रहते हैं।
इसलिए हम अपने विद्यालयों में इस मुल्क में पहला काम यह पहले तो जब बुद्धि स्थूल रहेगी, तो बिंब फीका पड़ता जाएगा। करते थे...। अभी हम उलटे काम में लगे हैं। अभी हम सारी और जब बुद्धि सूक्ष्म होने लगेगी, तो आप चकित होंगे। जैसे-जैसे दुनिया में शिक्षा देते हैं, वे सभी स्थूल हैं। इस देश में हम इस बात आप भीतर देखेंगे, बिंब उतना ही तेजस्वी होने लगेगा। | की फिक्र किए थे कि विद्यार्थी जब गुरुकुल में मौजूद हो, तो पहला ___ जब बिंब पहले देखने में तो फीका लगे और फिर उसकी काम उसकी बुद्धि को सूक्ष्म करने का। जब तक उसके पास सूक्ष्म
तेजस्विता बढ़ती जाए, तो समझना कि आपकी बुद्धि सूक्ष्म हो रही बुद्धि नहीं है, तब तक क्या होगा? उसके पास स्थूल बुद्धि है, हम है। जब बिंब पहले तो तेजस्वी लगे और फिर धीरे-धीरे उसमें स्थूल शिक्षा उसे दे सकते हैं। वह शिक्षित भी हो जाएगा, पंडित फीकापन आता जाए, तो समझना कि आपकी बुद्धि स्थूल है, सूक्ष्म भी हो जाएगा, लेकिन ज्ञानी कभी भी नहीं हो पाएगा। पहले को नहीं पकड़ पाती, इसलिए बिंब फीका होता जा रहा है। | उसकी इस बुद्धि को स्थूल से सूक्ष्म करना है; पहले उसके
कान से आवाज सुनते हैं आप। जितने जोर की आवाज हो, | | उपकरण को निखार लेना है। उतनी आसानी से सुनाई पड़ती है; जितनी धीमी आवाज हो, उतनी __ अभी हम विद्यार्थियों को भेज देते हैं विद्यालय में। और विद्यालय मुश्किल से सुनाई पड़ती है। जोर की आवाजें सुनते-सुनते आपकी | में शिक्षक उन पर हमला बोल देते हैं, सिखाना शुरू कर देते हैं, सुनने की जो बुद्धि है, वह स्थूल हो गई है। कान कभी बंद कर लें | | बिना इसकी फिक्र किए कि सीखने का जो उपकरण है, वह अभी और कभी भीतर की सूक्ष्म आवाजें सुनें। धीरे-धीरे भीतर आवाजों| | सूक्ष्म भी हुआ था या नहीं; अभी उसमें धार भी आई थी या नहीं। का एक नया जग । एक ध्वनियों का जाल प्रकट हो | अभी वह स्थल ही है; उस स्थल पर हम फेंकना शुरू कर देते हैं जाएगा। और-और सुनते जाएं, और एक ही ध्यान रहे कि मैं सूक्ष्म चीजें, और भी स्थूल हो जाता है।
341