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O गीता दर्शन भाग-60
मोमेंटम है, लेकिन अब यह यात्रा शरीर की ऊपर की तरफ थी। । को कैंसर होता है। तो इतने परम ज्ञानी को कैंसर हो जाए!
पैंतीस साल तक शरीर ऊपर की तरफ जाता है। सत्तर साल में बहुत कारणों में एक कारण यह भी है कि जिनका भी भीतर शरीर मौत होने वाली है, तो पैंतीस साल में पीक होती है। अस्सी साल | के साथ गति का संबंध टूट गया...। वह संबंध ही वासना का है, में मौत होने वाली है, तो चालीस साल में पीक होती है। सौ साल चाह का है। कहीं पहुंचना है, इसलिए पैडल चलाते थे। अब कहीं में मौत होने वाली है, तो पचास साल में पीक होती है। पैंतीस मैं | | भी नहीं पहुंचना है; पैडल चलना बंद हो गया। लेकिन पुरानी शक्ति औसत ले रहा हूं।
और अर्जित ऊर्जा के कारण शरीर चलेगा। लेकिन जो लोग पैंतीस साल के बाद ज्ञान को उपलब्ध होते हैं, कृष्ण का यह जो कहना है कि जब कोई पुरुष में थिर हो जाता उनका शरीर काफी लंबा चल जाता है, क्योंकि शरीर तब उतार पर | है, फिर जो भी वर्तन होता है, उससे कोई कर्म-बंध नहीं होता। होता है और पुराना मोमेंटम काफी गति देता है। इसलिए बहुत-से क्योंकि कर्म-बंध वर्तन के कारण नहीं होता; कर्म-बंध चाह के ज्ञानी जो पैंतीस साल के पहले निर्वाण को उपलब्ध होते हैं. जिंदा कारण होता है। नहीं रह पाते, ज्यादा देर जिंदा नहीं रह पाते। कठिन है जिंदा रहना। और वर्तन थोड़ी देर जारी रहेगा। वर्तन पुराने लीक पर जारी या फिर जिंदा रहने के लिए उन्हें उपाय करने पड़ते हैं; कोई व्यवस्था | रहेगा। थोड़े दिन तक जीवन की धारा और बहेगी। लेकिन यह एक जुटानी पड़ती है।
| ही शरीर तक हो सकती है। अगर उनके पास कोई संदेश हो जिसे उन्हें हस्तांतरित करना है, इसलिए ज्ञानी का दूसरा जन्म नहीं होगा। क्योंकि बिना मोमेंटम और वह व्यक्ति मौजूद न हो जिसको संदेश हस्तांतरित करना है, के, बिना पैडल चलाए नई साइकिल नहीं चलेगी। अगर आप अभी या उन व्यक्तियों के बनने में, निर्मित होने में समय हो, तो फिर उन सवार हों सीधा साइकिल पर, और बिलकुल बिना पैडल चलाए व्यक्तियों को इंतजाम करना पड़ता है। लेकिन भीतर जो चाह का उस पर सवार हो जाएं, तो न तो सवार हो सकते हैं, सवार हो भी पैडल था, वह बंद होते से ही कठिनाई शुरू हो जाती है। जाएं तो फौरन गिर जाएंगे। नया शरीर नहीं चलेगा; पुराना शरीर
इसलिए अगर आपको बहुत ज्ञानी बहुत खतरनाक बीमारियों से थोड़े दिन चल सकता है। उस थोड़े दिन में जो भी होगा, उसका मरते मालूम पड़ते हैं, तो उसका कारण है। उसका कारण है कि कोई कर्म-बंध नहीं होगा। और यह बात उचित है, क्योंकि कुछ शरीर को जो गति होनी चाहिए, वह देने वाली चाह तो समाप्त हो वर्तन तो होगा ही। गई। अब तो शरीर पुरानी अर्जित शक्ति से ही चलता है, वह शक्ति महावीर को चालीस साल में ज्ञान हुआ, फिर वे अस्सी साल तक बहुत कम होती है। कोई भी बीमारी तीव्रता से पकड़ ले सकती है। | जिंदा रहे। तो चालीस साल जो जिंदा रहे ज्ञान के बाद, उन्होंने कुछ क्योंकि रेसिस्टेंस कम हो जाता है।
तो किया ही। दुकान नहीं चलाई, राज्य नहीं किया। किसी की हत्या ऐसा समझिए कि आप पैडल चला रहे थे साइकिल पर। और नहीं की, लेकिन फिर भी कुछ तो किया ही। श्वास तो ली; श्वास में कोई अगर आपको धक्का मार देता है, तो हो सकता था, आप न | भी कीटाणु मरे। पानी तो पीया; पानी में भी कीटाणु मरे। रास्ते पर भी गिरते। अगर गति तेज होती, तो आप धक्के को सम्हाल जाते। चले; पैदल चलने से भी कीटाणु मरे। रात सोए, जमीन पर लेटे, और आप बिना पैडल चलाए साइकिल पर थिरे हुए थे, जैसे चील उससे भी कीटाणु मरे। भोजन किया, उसमें भी हिंसा हुई। बोले, आकाश में बिना पंख चलाए थिरी हो। बस, धीमे-धीमे साइकिल | उसमें भी हिंसा हुई। आंख की पलकें झपकीं, उसमें भी हिंसा हुई। चल रही थी मंद गति से; और कोई जरा-सा धक्का दे दे, आप जीवित होना ही हिंसा है। बिना हिंसा के तो क्षणभर जीवित भी फौरन गिर पड़ेंगे। रेसिस्टेंस कम होगा। जितनी तेज गति होगी, नहीं रहा जा सकता। एक श्वास आप लेते हैं, कम से कम एक रेसिस्टेंस ज्यादा होगा; जितनी कम गति होगी, उतनी प्रतिरोधक लाख कीटाणु मर जाते हैं। तो कैसे बचिएगा? महावीर भी नहीं बच शक्ति कम हो जाती है।
सकते। श्वास तो लेंगे। भोजन कम कर देंगे, लेकिन भोजन लेंगे तो रामकृष्ण और रमण अगर कैंसर से मरते हैं, तो उसका कारण | तो। हिंसा कम हो जाएगी, लेकिन होगी तो।।
| है। बहुत लोगों को चिंता होती है कि इतने परम ज्ञानी और इन्हें तो । तो अगर चालीस साल, ज्ञान के बाद, हिंसा जारी रही, तो मुक्ति कम से कम कैंसर नहीं होना चाहिए। क्योंकि हम सोचते हैं, पापियों कैसे होगी? फिर कर्म-बंध हो जाएगा। इतनी हिंसा के लिए फिर
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