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गीता में समस्त मार्ग हैं 0
इसकी अच्छी-बुरी योनियों में जन्म लेने के कारण होते हैं। और क्योंकि जो यह वासना करेगी, उसको पूरा कर लेगी, खोज लेगी। फिर जिन चीजों से यह रस का संबंध बना लेता है, संग बना लेता | | अपने योग्य सब मिल जाता है। अयोग्य तो मिलता ही नहीं, बस है. जिनसे यह रस से जड जाता है, उन्हीं योनियों में प्रवेश करने अपने योग्य ही मिलता है। चाहें आप पहचान पाएं या न पहचान लगता है।
पाएं। __ अगर कोई इस तरह की वासनाएं करता है कि कुत्ता होकर उनको | ___ जब इससे दबने वाला व्यक्ति इसको मिल जाएगा, उससे इसे ज्यादा अच्छी तरह से पूरी कर सकेगा, तो प्रकृति उसके लिए कुत्ते | | तृप्ति नहीं होगी। किसी स्त्री को दबने वाले व्यक्ति से तृप्ति नहीं हो का शरीर दे देगी। प्रकृति सिर्फ खुला निमंत्रण है। कोई आग्रह नहीं | सकती, क्योंकि दबने वाला व्यक्ति स्त्रैण हो जाता है। स्त्री तो उसी है प्रकृति का। आप जो होना चाहते हैं, वे हो जाते हैं। आप अपने | पुरुष से प्रसन्न हो सकती है, जो दबाता हो। क्योंकि जो दबाता हो, गर्भ को चुनते हैं, जाने या अनजाने। आप अपनी योनि भी चुनते | | उसी के प्रति समर्पण हो सकता है। हैं, जाने या अनजाने।
स्त्री चाहती है, कोई दबाए। हालांकि दबाने का ढंग बहुत आप जो मांगते हैं, वह घटित हो जाता है। जैसे पानी नीचे बहता | | संस्कारित होना चाहिए। कोई सिर पर लट्ठ मारे, ऐसा नहीं। लेकिन है और गड्ढे में भर जाता है, ऐसे ही आप भी बहते हैं और अपनी | व्यक्तित्व ऐसा हो कि दबा दे, अभिभूत कर दे, और स्त्री समर्पित योनि में भर जाते हैं। आपकी जो वासनाएं हैं, वे आपको ले जाती | | हो जाए। स्त्री सिर्फ उसी में रस ले पाती है, जो उसे दबा दे, बिना हैं एक विशेष दिशा की तरफ। अच्छी और बुरी योनियों में जन्म | दबाए; दबाने का कोई आयोजन न करे; उसका होना, उसका हमारी ही आकांक्षाओं का फल है।
व्यक्तित्व ही दबा दे और स्त्री समर्पित हो जाए। उससे तो तृप्ति लेकिन हमारी तकलीफ यह है कि हम भूल ही जाते हैं कि हमारी | मिल सकती है। आकांक्षाएं क्या हैं। हम भूल ही जाते हैं कि हमने क्या मांगा था। लेकिन अब यह स्त्री कहती है कि वह मुझसे दबे। तो यह स्त्री जब तक हमें उपलब्धि होती है, तब तक हम अपनी मांग ही भूल | | को खोज रही है; पुरुष को नहीं खोज रही है। वह इसे मिल जाएगा, जाते हैं। अगर हम अपनी मांग याद रख सकें, तो हमें पता चल | | क्योंकि बहुत पुरुष स्त्रियों जैसे हैं। वे इसे मिल जाएंगे, और उनसे जाएगा कि फासला चाहे कितना ही हो मांग और प्राप्ति का, जो | | यह परेशान होगी। और परेशान होकर यह भाग्य को और भगवान हमने मांगा था, वह हमें मिल गया है।
को, न मालूम किस-किस को दोष देगी। और कभी फिक्र न करेगी इधर मैं देखता , लोग अपनी ही मांगों से दुखी हैं। | कि जो इसने मांगा था, वह इसे मिल गया।
एक युवती मेरे पास आई और उसने मुझे कहा कि मुझे एक ऐसा | | आप थोड़े अपने दुखों की छानबीन करना। जो आपने मांगा था, पति चाहिए जो सुंदर हो, स्वस्थ हो, शक्तिशाली हो, किसी से दबे वह आपको मिल गया है। नहीं, दबंग हो। ठीक है, खोज कर, मिल जाएगा। पर उसने कहा, ___ कुछ लोग कहते हैं कि हमारा दुख इसलिए है कि हमने जो मांगा एक बात और। वह सदा मेरी बात माने।
था, वह नहीं मिला। वे गलत कहते हैं। उनको ठीक पता नहीं है कि तो मैंने उसको कहा कि तु दोनों में तय कर ले। जो दबंग होगा, | उन्होंने क्या मांगा था। असलियत में जो आप मांगते हैं, वह मिल वह तझसे नहीं दबेगा। और अगर त उसको दबाना चाहती है. तो जो | जाता है। मांग परी हो जाती है। और तब आप दख पाते हैं। दख तुझसे दबेगा, वह किसी से भी दबेगा। तो तू पक्का कर ले; दो में | | पाकर आप समझते हैं कि मेरी मांग पूरी नहीं हुई, इसलिए दुख पा से चुन ले। क्योंकि दबंग तो उपद्रव रहेगा तेरे लिए भी। तू भी उसे रहा हूं। नहीं; आप थोड़ा समझना, खोजना। आप फौरन पा जाएंगे दबा नहीं पाएगी। और अगर तेरी वासना यह है कि तू उसे दबा पाए, | | कि मेरी मांगें पूरी हो गईं, तो मैं दुख पा रहा हूं। तो फिर वह दबंग नहीं रहेगा। वह तेरे पीछे डरकर चलेगा। जो तुझसे हमें पता नहीं है कि हम क्या मांगते हैं; हमारी क्या वासना है; डरेगा, वह फिर किसी से भी डरेगा। तो दो में से तू तय कर ले।। क्या परिणाम होगा। हम कभी हिसाब भी नहीं रखते। अंधे की तरह
कुछ दिन बाद आकर उसने मुझसे कहा कि तो ठीक है; वह चले जाते हैं। लेकिन समस्त धर्मों का सार है कि आप जिन मुझसे दबना चाहिए, चाहे फिर कुछ और भी हो।
वासनाओं से डूबते हैं, भरते हैं, उन योनियों में, उन व्यक्तित्व में, अब इसको पता नहीं है इस वासना का। यह पूरी हो जाएगी। उन ढांचों में, उन जीवन में आपका प्रवेश हो जाता है।
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