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0 गीता दर्शन भाग-60
सकता। नेचर भी अनुवाद नहीं किया जा सकता। क्योंकि नेचर तो, | कैक्टस के पौधे को घर में रखेगा। सौ साल पहले कोई रख लेता, जो हमें दिखाई पड़ रहा है, वह है।
| तो हम उसका पागलखाने में इलाज करवाते। कैक्टस का पौधा प्रकृति सांख्यों का बड़ा अनूठा शब्द है। उसका अर्थ है, जो कुछ | | गांव के बाहर लोग अपने खेत के चारों तरफ बागुड़ लगाने के काम दिखाई पड़ रहा है, यह जब नहीं था और जिसमें छिपा था, उसका | में लाते रहे हैं। सुंदर है, ऐसा कभी किसी ने सोचा नहीं था। नाम प्रकृति है। जो कुछ दिखाई पड़ रहा है, जब यह सब मिट जाएगा अब हालत ऐसी है कि जिनको भी खयाल है सौंदर्य का और उसी में डूब जाएगा जिससे निकला है, उसका नाम प्रकृति है। | थोड़ा-बहुत, वे गुलाब वगैरह को निकाल बाहर कर रहे हैं घरों से;
तो प्रकृति है वह, जिससे सब निकलता है और जिसमें सब लीन | | कैक्टस के पौधे लगा रहे हैं! जिनको कहें अवांगार्द जो बहुत हो जाता है। प्रकृति है मूल उदगम सभी रूपों का।
आभिजात्य हैं, जिनको सौंदर्य का बड़ा बोध है, या जो अपने समय क्योंकि कार्य और कारण के उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही | से बहुत आगे हैं, वे सब तरह के ऐड़े-तिरछे कांटों वाले पौधे घरों जाती है। और पुरुष सुख-दुखों के भोक्तापन में अर्थात भोगने में | | में इकट्ठे कर रहे हैं। उनमें ऐसे पौधे भी हैं कि अगर कांटा लग जाए, हेतु कहा जाता है।
| तो जहर हो जाए खून में। लेकिन उसकी भी चिंता नहीं है। पौधा इन दो बातों को बहुत गौर से समझ लेना चाहिए। जिनकी | | इतना सुंदर है यह कि मौत भी झेली जा सकती है। साधना की दृष्टि है, उनके लिए बहुत काम की है।
कोई सोच नहीं सकता था सौ साल पहले कि ये कैक्टस के पौधे कार्य और कारण के उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही जाती है। और सुंदर होते हैं। अभी हो गए हैं। ज्यादा दिन चलेंगे नहीं। सब फैशन पुरुष सुख-दुखों के भोक्तापन में अर्थात भोगने में हेतु कहा जाता है। | है। अभी गुलाब के सौंदर्य की चर्चा करना बड़ा आर्थोडाक्स,
घटनाएं घटती हैं प्रकृति में, भोग की कल्पना और मुक्ति की पुराना, दकियानूसी मालूम पड़ता है। कोई कहने लगे, बड़ा सुंदर कल्पना घटती है पुरुष में।
| गुलाब है। तो लोग कहेंगे, क्या फिजूल की बातें कर रहे हो! कितने ___एक फूल खिला। फूल का खिलना प्रकृति में घटित होता है। लोग कह चुके। सब उधार है। दुनिया हो गई, सारा संसार गुलाब और अगर कोई आदमी न हो पृथ्वी पर, तो फूल न तो सुंदर होगा | की चर्चा करके थक गया। अब हटाओ गुलाब को। आउट आफ
और न कुरूप। या होगा? कोई आदमी नहीं है जगत में; एक फूल | डेट है। बिलकुल तिथिबाह्य है। कैक्टस की कुछ बात हो। खिला एक पहाड़ के किनारे। वह सुंदर होगा कि कुरूप होगा? वह | पिकासो ने अपनी एक डायरी में लिखा है कि मैं एक स्त्री के प्रेम सुखद होगा कि दुखद होगा? वह किसी को आनंदित करेगा कि में पड़ गया हूं। स्त्री सुंदर नहीं है। लेकिन उस स्त्री में एक धार है। किसी को पीड़ित करेगा? कोई है ही नहीं पुरुष।
सुंदर तो नहीं है। लेकिन फिर वह लिखता है कि सुंदर की भी क्या सिर्फ फूल खिलेगा। न सुंदर होगा, न असुंदर; न सुखद, न
बकवास। यह तो बहत परानी धारणा है। धार है. जैसे कि काट दे. दुखद; न कोई उसकी तारीफ करेगा, न कोई उसकी निंदा करेगा। | जैसे तलवार में धार होती है। उस धार में मुझे रस है। लेकिन फूल खिलेगा; फूल अपने में पूरी तरह से खिलेगा। यह कैक्टस का प्रेम ही होगा, जो स्त्री तक फैल रहा है। धार,
फिर एक पुरुष प्रकट होता है। फूल के पास खड़ा हो जाता है। | काट दे! सौंदर्य भी मुरदा-मुरदा लगता है पुराना। अगर कालिदास फूल तो प्रकृति में खिल रहा है। पुरुष के मन में, पुरुष के भाव में, | का सौंदर्य हो, पिकासो को बिलकुल न जंचेगा। वह जो कालिदास कल्पना खिलनी शुरू हो जाती है फूल के साथ-साथ समानांतर। | जिस सौंदर्य की चर्चा करता है, कुंदन जैसे सुंदर शरीर की,
पुरुष कहता है, सुंदर है। यह सुंदर का जो फूल खिल रहा है, स्वर्ण-काया की, वह पिकासो को नहीं जंचेगा। यह पुरुष के भीतर खिल रहा है। फूल बाहर खिल रहा है। यह जो मैंने सुना है, एक गांव में ऐसा हुआ कि एक दलाल जो लोगों सुंदर होने का भाव खिल रहा है, यह पुरुष के भीतर खिल रहा है। की शादी करवाने का काम करता था, एक युवक को बहुत तारीफ
और अगर परुष कहता है संदर है. तो सख पाता है. सख भोगता करके एक स्त्री दिखाने ले गया। उसने उसकी ऐसी तारीफ की थी है। अगर पुरुष कहता है असुंदर है, तो दुख पाता है। कि जमीन पर ऐसी सुंदर स्त्री खोजना ही मुश्किल है। __ और ऐसा नहीं है। सुंदर और असुंदर धारणाओं पर निर्भर करते | | युवक भी बड़े उत्साह में, बड़ी उत्तेजना में था। और कुछ भी खर्च हैं। आज से सौ साल पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि | करने को तैयार था शादी के लिए। दलाल ने इतनी बातें बांध दी थीं,
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