SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ पुरुष-प्रकृति-लीला 0 शुरू करो, तो वह बैठकर दूध लगाना शुरू कर देगा। सम्मोहन में अगर आपको सुझाव दे दिया जाए, दूसरे दिन से ही वह जो अचेतन मन है, वह परम श्रद्धावान है। उससे जो कहा आपका ध्यान लगना गहरा हो जाएगा। आप प्रार्थना करते हैं, जाए, वह उस पर प्रश्न नहीं उठाता। वह उसे स्वीकार कर लेता है। | लेकिन व्यर्थ के विचार आते हैं। सम्मोहन में कह दिया जाए कि यही श्रद्धा का अर्थ है। वह यह नहीं कहता कि कहां है गाय? वह प्रार्थना के क्षण में कोई भी विचार न आएंगे, तो प्रार्थना आपकी यह नहीं कहता कि मैं पुरुष हूं, स्त्री नहीं हूं। वह संदेह करना जानता परम शांत और आनंदपूर्ण हो जाएगी, कोई विचार का विघ्न न रह ही नहीं। संदेह तो मन की ऊपर की पर्त, जो तर्क सीख गई है, वही जाएगा। आपकी साधना में सहयोग पहुंचाया जा सकता है। करती है। योग के गुरु सम्मोहन का प्रयोग करते ही रहे हैं सदियों से। __इसका लाभ भी हो सकता है, इसका खतरा भी है। क्योंकि उस लेकिन कभी उसका प्रयोग जाहिर और सार्वजनिक नहीं किया परम श्रद्धालु मन को कुछ ऐसी बात भी समझाई जा सकती है, जो गया। वह निजी गुरु के और शिष्य के बीच की बात थी। और जब व्यक्ति के अहित में हो, जो उसको नुकसान पहुंचाए। मृत्यु तक | गुरु किसी शिष्य को इस योग्य मान लेता था कि अब उसके अचेतन घटित हो सकती है। सम्मोहित व्यक्ति को अगर भरोसा दिला में प्रवेश करके काम शुरू करे, तो ही प्रयोग करता था। और जब दिया जाए कि तुम मर रहे हो, तो वह भरोसा कर लेता है कि मैं कोई शिष्य किसी गुरु को इस योग्य मान लेता था कि उसके चरणों मर रहा है। में सब कुछ समर्पित कर दे, तभी कोई गुरु उसके भीतर प्रवेश करके उन्नीस सौ बावन में अमेरिका में एंटी-हिप्नोटिक एक्ट बनाया सम्मोहन का प्रयोग करता था। गया। यह पहला कानून है हिप्नोसिस के खिलाफ दुनिया में कहीं | रास्ते पर काम करने वाले सम्मोहक भी हैं। स्टेज पर प्रयोग करने भी बना। क्योंकि चार लड़के विश्वविद्यालय के एक छात्रावास में वाले सम्मोहक भी हैं। उनके साथ आपका कोई श्रद्धा का नाता नहीं सम्मोहन की किताब पढ़कर प्रयोग कर रहे थे। और उन्होंने एक | | है। उनके साथ आपका नाता भी है, तो व्यावसायिक हो सकता है लड़के को, जिसको बेहोश किया था, भरोसा दिला दिया कि तू मर | | कि आप पांच रुपया फीस दें और वह आपको सम्मोहित कर दे। गया है। वे सिर्फ मजाक कर रहे थे। लेकिन वह लड़का सच में ही | | लेकिन जो आदमी पांच रुपए में उत्सुक है सम्मोहित करने को, वह मर गया। वह हृदय में इतने गहरी बात पहुंच गई-वहां कोई संदेह | आपको नुकसान पहुंचा सकता है। नहीं है-मृत्यु हो गई, तो मृत्यु को स्वीकार कर लिया। शरीर और ___ इस तरह की घटनाएं दुनियाभर के पुलिस थानों में रिपोर्ट की गई आत्मा का संबंध तत्क्षण छूट गया। तो हिप्नोसिस के खिलाफ एक हैं कि किसी ने किसी को सम्मोहित किया और उससे कहा कि रात कानून बनाना पड़ा। तू अपनी तिजोरी में चाबी लगाना भूल जाना; या रात तू अपने घर अगर मृत्यु तक पर भरोसा हो सकता है, तो फिर किसी भी चीज | का दरवाजा खुला छोड़ देना। पोस्ट हिप्नोटिक सजेशन! आपको पर भरोसा हो सकता है। अभी बेहोश किया जाए, आपको बाद के लिए भी सुझाव दिया जा तो सम्मोहन का लाभ भी उठाया जा सकता है। पश्चिम में बहुत | | सकता है कि आप अड़तालीस घंटे बाद ऐसा काम करना। तो आप बड़ा सम्मोहक था, कूए। कूए ने लाखों मरीजों को ठीक किया सिर्फ | | अड़तालीस घंटे बाद वैसा काम करेंगे और आपको कुछ समझ में सम्मोहन के द्वारा। अब तक दुनिया का कोई चिकित्सक किसी भी | नहीं आएगा कि आप क्यों कर रहे हैं। या आप कोई तरकीब खोज चिकित्सा पद्धति से इतने मरीज ठीक नहीं कर सका है, जितना कूए लेंगे, कोई रेशनलाइजेशन, कि मैं इसलिए कर रहा हूं। ने सिर्फ सम्मोहन से किया। असाध्य बीमारियां दूर कीं। क्योंकि मैं एक युवक पर प्रयोग कर रहा था पोस्ट हिप्नोटिक सजेशन भरोसा दिला दिया भीतर कि यह बीमारी है ही नहीं। इस भरोसे के के। उसे मैंने बेहोश किया और उसे मैंने कहा कि छः घंटे बाद तू आते ही शरीर बदलना शुरू हो जाता है। | मेरी फलां नाम की किताब को उठाएगा और उसके पंद्रहवें पेज पर कूए ने हजारों लोगों की शराब, सिगरेट, और तरह के दुर्व्यसन | दस्तखत कर देगा। फिर वह होश में आ गया। छः घंटे बाद की बात क्षणभर में छुड़ा दिए, क्योंकि भरोसा दिला दिया। मन को गहरे में है। वह अपने काम में लग गया। मैंने वह किताब अलमारी में बंद भरोसा आ जाए, तो शरीर तक परिणाम होने शुरू हो जाते हैं। करके ताला लगा दिया। तो लाभ भी हो सकता है। अगर आपको ध्यान नहीं लगता है, ठीक छः घंटे बाद उसने आकर मुझे कहा कि मुझे आपकी फलां 295]
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy