SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गीता दर्शन भाग-6 इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः । मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते । । १८ ।। प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि । विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसम्भवान् । । १९ । । कार्यकरणकर्तृत्वे हेतुः प्रकृतिरुच्यते । पुरुषः सुखदुःखानां भोक्तृत्वे हेतुरुच्यते ।। २० ।। हे अर्जुन, इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान अर्थात ज्ञान का साधन और जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप संक्षेप से कहा गया, इसको तत्व से जानकर मेरा भक्त मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है। और हे अर्जुन, प्रकृति अर्थात त्रिगुणमयी मेरी माया और पुरुष अर्थात क्षेत्रज्ञ, इन दोनों को ही तू अनादि जान और रागद्वेषादि विकारों को तथा त्रिगुणात्मक संपूर्ण पदार्थों को भी प्रकृति से ही उत्पन्न हुए जान । क्योंकि कार्य और करण के उत्पन्न करने में प्रकृति हेतु कहीं जाती है और पुरुष सुख-दुखों के भोक्तापन में अर्थात भोगने में हेतु कहा जाता है। पहले कुछ प्रश्न | एक मित्र ने पूछा है कि व्यक्ति का ढांचा, उसका व्यक्तित्व जानने के लिए गुरु का उपयोग होता रहा है। पर क्या हम किसी के सम्मोहन में, हिप्नोसिस में अपना टाइप, अपना ढांचा नहीं जान सकते ? क्या सम्मोहन का प्रयोग साधना के लिए खतरनाक भी हो सकता है? स म्मोहन एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है। लाभप्रद भी है, खतरनाक भी। असल में जिस चीज से भी लाभ पहुंच सकता हो, उससे खतरा भी हो सकता है। खतरा होता ही उससे है, जिससे लाभ हो सकता हो। जिसमें लाभ की शक्ति है, उसमें नुकसान की शक्ति भी होती है। 1 तो सम्मोहन कोई होमियोपैथिक दवा नहीं है कि जिससे सिर्फ लाभ ही पहुंचता हो और नुकसान न होता हो। सम्मोहन के संबंध में बड़ी भ्रांतियां हैं। लेकिन पश्चिम में तो भ्रांतियां टूटती जा रही हैं। पूरब में भ्रांतियों का बहुत जोर है। और आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरब ही सम्मोहन का पहला खोजी है। लेकिन हम उसे दूसरा नाम देते थे। हमने उसे योग तंद्रा कहा है। नाम हमारा बढ़िया है। नाम सुनते ही अंतर पड़ जाता है। हिप्नोसिस का मतलब भी तंद्रा है। वह भी ग्रीक शब्द हिप्नोस से बना है, जिसका अर्थ नींद होता है। दो तरह की नींद संभव है। एक तो नींद, जब आपका शरीर थक जाता है, रात आप सो जाते हैं। वह प्राकृतिक है। दूसरी नींद है, जो चेष्टा करके आप में लाई जा सकती है, इनड्यूस्ड स्लीप । योग- तंद्रा या सम्मोहन या हिप्नोसिस वही दूसरी तरह की नींद है। रात जब आप सोते हैं, तब आपका चेतन मन धीरे-धीरे, धीरे-धीरे शांत हो जाता है। और अचेतन मन सक्रिय हो जाता है। आपके मन की गहरी परतों में आप उतर जाते हैं। सम्मोहन में भी | चेष्टापूर्वक यही प्रयोग किया जाता है कि आपके मन की ऊपर की पर्त, जो रोज सक्रिय रहती है, उसे सुला दिया जाता है। और आपके भीतर का मन सक्रिय हो जाता है। भीतर का मन ज्यादा सत्य है। क्योंकि भीतर के मन को समाज विकृत नहीं कर पाया । भीतर का मन ज्यादा प्रामाणिक है। क्योंकि भीतर का मन अभी भी प्रकृति के अनुसार चलता है। भीतर के मन में कोई पाखंड, कोई धोखा, भीतर के मन में कोई संदेह, कोई शक- सुबहा कुछ भी नहीं है। भीतर का मन एकदम निर्दोष है। जैसे पहले दिन पैदा हुए बच्चे का जैसा निर्दोष मन होता है, वैसा निर्दोष मन भीतर है। धूल तो ऊपर-ऊपर जम गई है। मन के बाहर की परतों पर कचरा इकट्ठा हो गया है। भीतर जैसे हम प्रवेश करते हैं, वैसा शुद्ध मन उपलब्ध होता है। इस शुद्ध मन को हिप्नोसिस के द्वारा संबंधित, हिप्नोसिस के द्वारा इस शुद्ध मन से संपर्क स्थापित किया जा सकता है। स्वभावतः लाभ भी हो सकता है, खतरा भी। अगर कोई खतरा पहुंचाना चाहे, तो भी पहुंचा सकता है। क्योंकि वह भीतर का मन संदेह नहीं करता है। उससे जो भी कहा जाता है, वह मान लेता है। वह परम श्रद्धावान है। अगर एक पुरुष को सम्मोहित करके कहा जाए कि तुम पुरुष नहीं, स्त्री हो, तो वह स्वीकार कर लेता है कि मैं स्त्री हूं। उससे कहा जाए। अब तुम उठकर चलो, तुम स्त्री की भांति चलोगे । | तो वह पुरुष, जो कभी स्त्री की भांति नहीं चला, स्त्री की भांति चलने लगेगा। उस पुरुष को कहा जाए कि तुम्हारे सामने यह गाय खड़ी है - और वहां कोई भी नहीं खड़ा है - अब तुम दूध लगाना 294
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy