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ॐ स्वयं को बदलो
बार सोचा कि नहीं करें, फिर वही किया। फिर बुद्धि आ गई। | दे; उसकी बीमारी को दूर कर दे।
एक बात खयाल रखें, प्रकृति भी तभी काम करती है, जब बुद्धि | ___ इसलिए चिकित्सक की पहली चिंता होती है कि मरीज सो बीच में नहीं होती। आपके भीतर जो निम्न है, वह भी तभी काम | जाए। बाकी काम दूसरा है, नंबर दो पर है। दवा वगैरह नंबर दो करता है, जब बुद्धि नहीं होती। अगर आप बुद्धि को सजग रखें, | पर है। पहला काम है कि मरीज सो जाए। क्यों इतनी चिंता है? तो आप क्रोध भी नहीं कर पाएंगे और कामवासना में भी नहीं उतर क्योंकि मरीज की बुद्धि दिक्कत दे रही है। सो जाए, तो प्रकृति पाएंगे।
काम कर सके। __ अगर दुनिया बिलकुल बुद्धिमान हो जाए, तो संतान पैदा होनी ___आप भी जब सोते हैं, तभी आपका शरीर स्वस्थ हो पाता है। बंद हो जाएगी, संसार उसी वक्त बंद हो जाएगा। क्योंकि नीचे की दिनभर में आप उसको अस्वस्थ कर लेते हैं। प्रकृति की भी सक्रियता तभी हो सकती है, जब आप बुद्धि का आपको पता है, बच्चा जब पैदा होता है तो बाईस घंटे सोता है, नियंत्रण छोड़ दें। क्योंकि प्रकृति तभी आपके भीतर काम कर पाती | | बीस घंटे सोता है। और मां के पेट में नौ महीने चौबीस घंटे सोता है, जब आपकी बुद्धि बीच में बाधा नहीं डालती।
| है। फिर जैसे-जैसे उम्र बड़ी होने लगती है, नींद कम होने लगती वह जो श्रेष्ठ प्रकृति है, जिसको हम परमात्मा कहते हैं, वह भी | | है। फिर बूढ़ा और कम सोता है। फिर बुढ़ापे में कोई आदमी दो ही तभी काम करता है, जब आपकी बुद्धि नहीं होती। पर इसमें एक घंटे, तीन घंटे ही सो ले, तो बहुत। खतरा है, जो समझ लेने जैसा है। वह यह कि चूंकि हम नीचे की | बूढ़े बहुत परेशान होते हैं। सत्तर साल के बूढ़े भी मेरे पास आ प्रकृति से डरे हुए हैं, इसलिए बुद्धि के नियंत्रण को हम हमेशा | जाते हैं। वे कहते हैं, कुछ नींद का रास्ता बताइए। कायम रखते हैं। हम डरे हुए हैं। अगर बुद्धि को छोड़ दें, तो क्रोध, | | नींद की आपको जरूरत नहीं रही है अब। जैसे-जैसे शरीर मरने हिंसा, कुछ भी हो जाए। अगर बुद्धि को हम छोड़ दें, तो हमारे । के करीब पहुंचता है, प्रकृति शरीर में काम करना कम कर देती है। भीतर की वासनाएं स्वच्छंद हो जाएं, तो हम तो अभी पागल की | | उसकी जरूरत नहीं है। बनाने का काम बंद हो जाता है। तरह न मालूम क्या कर गुजरें।
बच्चा चौबीस घंटे सोता है, क्योंकि प्रकृति को बनाने का काम कितनी बार हत्या करने की सोची है बात! लेकिन बुद्धि ने कहा, करना है। अगर बच्चा जग जाए, तो बाधा डालेगा। उसकी बुद्धि यह क्या कर रहे हो? पाप है। जन्मों-जन्मों तक भटकोगे, नरक में बीच में आ जाएगी। वह कहेगा, टांग जरा लंबी होती, जो अच्छा जाओगे। और न भी गए नरक में, तो अदालत है, कोर्ट है, पुलिस था। नाक जरा ऐसी होती, तो अच्छा था। आंख जरा और बड़ी है। और कहीं भी न गए, तो खुद की कासिएंस है, अंतःकरण है, होती, तो मजा आ जाता। वह गड़बड़ डालना शुरू कर देगा। वह कचोटेगा सदा, कि तुमने हत्या की। फिर क्या मुंह दिखाओगे? तो नौ महीने प्रकृति उसको एक दफे भी होश नहीं देती। बेहोश, कैसे चलोगे रास्ते पर? कैसे उठोगे? तो बुद्धि ने रोक लिया है। प्रकृति अपना काम करती है। जैसे ही बच्चा पूरा हो जाता है, बाहर
अगर आज कोई कहे कि बुद्धि का नियंत्रण छोड़ दो, तो पहला | | आ जाता है। लेकिन तब भी बाईस घंटे सोता है। अभी बहुत काम खयाल यही आएगा, अगर नियंत्रण छोड़ा कि उठाई तलवार और होना है। अभी उसकी पूरी जिंदगी की तैयारी होनी है। किसी की हत्या कर दी। क्योंकि वह तैयार बैठा है भाव भीतर। जैसे ही बच्चे के शरीर का काम पूरा हो जाता है, वैसे ही नींद एक
नीचे की प्रकृति के डर के कारण हम बुद्धि को नहीं छोड़ पाते। जगह आकर रुक जाती है-छः घंटा, सात घंटा, आठ घंटा। काम और हमें ऊपर की प्रकृति का कोई पता नहीं है। क्योंकि वह भी बुद्धि प्रकृति का पूरा हो गया। अब ये आठ घंटे तो रोज के काम के लिए के छोड़ने पर ही काम करती है।
| हैं। रोज में आप शरीर को जितना तोड़ लेंगे, उतना प्रकृति रात में पूरा इसे हम ऐसा भी समझें। अगर कोई आदमी बीमार हो, तो कर देगी। दूसरे दिन आप सुबह ताजा होकर काम में लग जाएंगे। चिकित्सक पहली फिक्र करते हैं कि उसको नींद ठीक से आ जाए। | बूढ़ा तो अब मरने के करीब है, उसको तीन घंटा भी जरूरत से क्योंकि वह जगा रहता है, तो शरीर की प्रकृति को काम नहीं करने ज्यादा है। क्योंकि अब प्रकृति कुछ बना नहीं रही है, सिर्फ तोड़ रही देता, बाधा डालता रहता है। नींद आ जाए, तो शरीर अपना काम है। इसलिए नींद कम होती जा रही है। पूरा कर ले; प्रकृति उसके शरीर को ठीक कर दे; उसके घाव भर प्रकृति भी काम करती है, जब आप बुद्धि से बीच में बाधा नहीं
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