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________________ गीता दर्शन भाग-6600 कारण नहीं है। अगर आप इंग्लैंड में पैदा होते, तो इंग्लैंड महान देश | | और तर्क पर है। उसने भी लिखा है कि जब मैं सोचता हूं, तो मुझे होता। आप जर्मनी में पैदा होते, तो जर्मनी महान देश होता। जहां लगता है कि बुद्ध से महान व्यक्ति जमीन पर दूसरा नहीं हुआ। जब आप पैदा होते, वही देश महान होने वाला था। | मैं सोचता हूं निष्पक्ष भाव से, तो मुझे लगता है, बुद्ध से महान कोई जमीन पर एकाध देश है, जो यह कहता हो, हम महान नहीं | व्यक्ति जमीन पर दूसरा नहीं हुआ। लेकिन मेरे भीतर छिपा हुआ हैं? कोई एकाध जाति है, जो कहती हो, हम महान नहीं हैं? कोई | ईसाई, जिसको मैं वर्षों पहले त्याग कर चुका हूं...। एकाध धर्म है, जो कहता हो, हम महान नहीं हैं? । क्योंकि बट्रेंड रसेल ने ईसाइयत का त्याग कर दिया था। उसने सब अहंकार की घोषणाएं हैं। धर्म का इससे कोई भी संबंध | एक बहुत अदभुत किताब लिखी है, जिसका नाम है; व्हाय आई नहीं है। | एम नाट ए क्रिश्चियन-मैं ईसाई क्यों नहीं हूं? लेकिन बचपन तो पर हम अहंकार की सीधी घोषणा नहीं कर सकते। अगर कोई | ईसाइयत में बड़ा हुआ था। मां-बाप ने धर्म तो ईसाइयत दिया था; आदमी खडे होकर कहे कि मैं महान हं. तो हम सबको एतराज संस्कार तो ईसाइयत के थे। फिर सोच-विचार करके ईसाई धर्म का होगा। सीधी घोषणा खतरनाक है। क्योंकि सीधी घोषणा से दूसरों | त्याग कर दिया। के अहंकार को चोट लगती है। क्योंकि अगर मैं कहूं कि मैं महान __तब भी बड रसेल कहता है कि मैं ऊपर से विचार करके कहता हूं, तो फिर आप? आप तत्क्षण छोटे हो जाएंगे। तो आप फौरन हूं कि बुद्ध से महान कोई भी नहीं। लेकिन भीतर मेरे हृदय में कोई इनकार करेंगे कि यह बात नहीं मानी जा सकती। आपका दिमाग | कहता है कि बुद्ध कितने ही महान हों, लेकिन जीसस से महान हो खराब है। . नहीं सकते। भीतर कोने में कोई छिपा हुआ कहता है। और ज्यादा लेकिन मैं कहता हूं, हिंदू धर्म महान है। हिंदुओं के बीच तो यह से ज्यादा मैं इतना ही कर सकता हूं कि बुद्ध और जीसस दोनों बात स्वीकार कर ली जाएगी, क्योंकि मेरे अहंकार से किसी के समान हैं। बड़ा-छोटा कोई भी नहीं, ज्यादा से ज्यादा। लेकिन अहंकार की टक्कर नहीं होती। हिंदुओं के अहंकार को भी मेरे जीसस को बुद्ध से नीचे रखना मुश्किल हो जाता है। अहंकार के साथ पुष्टि मिलती है। हां, मुसलमान इनकार करेगा। | इसलिए नहीं कि बुद्ध से नीचे हैं या ऊंचे हैं. ये बातें मढतापर्ण लेकिन अगर मैं कहं, भारत महान है। तो भारत में रहने वाले | हैं। जो व्यक्ति ज्ञान को उपलब्ध हो गया, उसकी कोई तुलना नहीं सभी लोग स्वीकार कर लेंगे, क्योंकि उनके अहंकार को चोट नहीं | | की जा सकती। न वह किसी से नीचे है और न किसी से ऊपर है। लगती। चीन के अहंकार को चोट लगेगी, जर्मनी के अहंकार को | | असल में ज्ञान को उपलब्ध होते ही व्यक्ति तुलना के बाहर हो चोट लगेगी। जाता है। ___ अगर कहीं हमने किसी दिन मंगल पर या किसी और तारे पर बुद्ध और कृष्ण और महावीर और क्राइस्ट किसी से ऊंचे-नीचे मनुष्यता खोज ली या मनुष्य जैसे प्राणी खोज लिए, तो हम घोषणा नहीं हैं। यह ऊंचे-नीचे की भाषा ही उस लोक में व्यर्थ है। यह तो कर सकेंगे, पृथ्वी महान है। फिर पृथ्वी पर किसी को चोट नहीं हमारी भाषा है। यहां हम ऊंचे-नीचे होते हैं। जैसे ही अहंकार छूट लगेगी। लेकिन मंगल ग्रह पर जो आदमी होगा, उसको फौरन चोट गया। कौन ऊंचा होगा और कौन नीचा होगा? क्योंकि ऊंचा-नीचा लगेगी। अहंकार की तौल है। ये सारी घोषणाएं छिपे हुए अहंकार की घोषणाएं हैं, परोक्ष बुद्ध भी अहंकारशून्य हैं और क्राइस्ट भी अहंकारशून्य हैं और घोषणाएं हैं। आपके कृष्ण परम ब्रह्म हैं, तो जीसस परम ब्रह्म क्यों कृष्ण भी, तो ऊंचा-नीचा कौन होगा! ऊंचा-नीचा तभी तक कोई नहीं हैं? वे भी परम ब्रह्म हैं। और जीसस ही क्यों? परम ब्रह्म तो | | हो सकता है, जब तक अहंकार का भाव है। हर एक के भीतर छिपा है। किसी के भीतर प्रकट हो गया है और तो यह आप जो कहते हैं कि कृष्ण ब्रह्म हैं, ऐसा दूसरे धर्म के किसी के भीतर अप्रकट है। सच तो यह है कि परम ब्रह्म के | | लोग क्यों नहीं मानते? इसीलिए नहीं मानते हैं कि इससे उनके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। लेकिन बड़ी कठिनाई है। | अहंकार की कोई तृप्ति नहीं होती; और आप इसीलिए मानते हैं कि बड रसेल ने लिखा है...। बऍड रसेल तो विचारशील से | | आपके अहंकार की तृप्ति होती है। बहुत दूर के धर्मों को तो छोड़ विचारशील व्यक्तियों में एक है। और जिसका पूरा भरोसा बुद्धि | दें, जैन भी राजी नहीं हैं आपसे मानने को, जो कि बिलकुल आपके 280
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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