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गीता दर्शन भाग-60
इसमें? और अगर यह रस आपका कायम है, तो ज्ञान कभी | पत्नी भी आपके साथ ध्यान में प्रवेश नहीं कर सकती। आपका बेटा उपलब्ध न होगा, क्योंकि यह सारा अज्ञान को बचाने की व्यवस्था भी आपके साथ भक्ति के जगत में नहीं प्रवेश करेगा। वहां आप कर रहे हैं आप।
अकेले होंगे। इसलिए अकेले होने का थोड़ा रस! और जब भी कृष्ण कहते हैं, ज्ञानी का लक्षण है, एकांत का रस। ज्ञानी ज्यादा | मौका मिल जाए, तो अकेले होने में मजा! से ज्यादा अकेले रहना चाहेगा।
लेकिन हम तो घबड़ाते हैं। जरा अकेले हुए कि लगता है कि क्यों? क्योंकि अकेले में ही स्वयं का साक्षात्कार हो सकता है; | मरे। जरा अकेले हुए कि डर लगता है। जरा अकेले हुए कि लगता और अकेले में ही भीड़ के प्रभाव और संस्कारों से बचा जा सकता है, ऊब जाएंगे, क्या करेंगे! है। और अकेले में ही आदमी शांत और मौन हो सकता है। और | | एक बहुत मजे की बात है। आप अपने से इतने ऊबे हुए हैं कि अकेले में ही धीरे-धीरे भीतर सरककर उस द्वार को खोल सकता | आप अपने साथ थोड़ी देर भी नहीं रह सकते। और जब कोई है, जो परमात्मा का द्वार है।
आपके साथ ऊब जाता है, तो आप सोचते हैं, वह आदमी बुरा है। दूसरे के साथ रहकर कोई कभी परमात्मा तक नहीं पहुंचता है। | जब आप खुद ही अपने साथ ऊब जाते हैं, तो दूसरे तो ऊबेंगे ही। . चाहे बुद्ध, चाहे महावीर, चाहे मोहम्मद, परमात्मा के पास पहुंचने ___ अकेले में थोड़ी देर खुद ही से बातें करिए। एक दिन ऐसा प्रयोग के पहले एकांत में सरक गए थे। महावीर बारह वर्ष तक मौन हो | | करिए। जापान में एक विधि है ध्यान की। वे साधक को कहते हैं गए थे। बुद्ध छः वर्ष तक जंगल में चले गए थे। मोहम्मद तीस दिन | कि जो भी तेरे भीतर चलता हो, उसको जोर-जोर से बोल। भीतर तक बिलकुल एकांत पर्वत पर रह गए थे। जीसस को तैंतीस वर्ष | | मत बोल, जोर-जोर से बोल। बैठ जा एकांत में और जो भी भीतर की उम्र में उनको फांसी हुई। ईसाइयों के पास केवल तीन साल की | | चलता हो, उसको जोर से बोल। कहानी है, आखिरी तीन साल की। बाकी तीस साल चुप मौन आप घबड़ा जाएंगे, अगर भीतर जो जैसा है, उसको जोर से साधना में गुजरे।
| बोलेंगे। घंटेभर में आप कहेंगे कि मैं भी कहां का बोरियत पैदा यह जो मौन में सरक जाना है, एकांत का रस है, यह ज्ञानी का करने वाला आदमी हूं! लक्षण है। भीड़ का रस, समूह का रस, क्लब, मित्र की तलाश लेकिन यही आप दूसरों से बोल रहे हैं। और जब दूसरे आपसे खतरनाक है।
बोर होते हैं, तो आप समझते हैं, इनकी समझ नहीं है। जरा समझ लेकिन आप यह मत सोचना कि क्लब ही सिर्फ क्लब है। लोग | का...मैं तो बड़ी ऊंची बातें कर रहा हूं और ये ऊब रहे हैं। लेकिन तो धर्म-कथाओं में भी इसीलिए चले जाते हैं। विशेषकर स्त्रियां तो जब हर आदमी अपने से ऊबा है, तो ध्यान रहे, वह दूसरे को भी इसीलिए पहुंच जाती हैं धर्म-कथाओं में कि वहां जाकर वे सब चर्चा उबाएगा। कर लेती हैं, जिसका कि उन्हें मौका कहीं नहीं मिलता। सब जमाने __ और दूसरे आपकी कुछ देर तक बात सुनते हैं, उसका कारण भर की स्त्रियां वहां मिल जाती हैं। जमाने भर के रोग और कहानियां आप जानते हैं? इसलिए नहीं कि आपकी बात में कोई रस है। उन्हें वहां मिल जाते हैं। वहां वे सब चर्चा कर लेती हैं। कथा तो बल्कि इसलिए कि जब आप बंद हो जाएं, तब वे बोलें। और कोई बहाना है।
कारण नहीं होता। कि अब आप उबा लिए काफी, अब हमको भी मंदिर में भी आप जा सकते हैं; हो सकता है, परमात्मा से मिलने | उबाने दो। न जा रहे हों। वहां भी आप गपशप करने जा रहे हों, जो लोग मंदिर इसलिए सबसे ज्यादा बोर करने वाला आदमी वह मालूम पड़ता आते हैं उनसे। यह भी हो सकता है, आप किसी गुरु के पास भी | | है, जो कि आपको मौका ही नहीं देता। और कोई कारण नहीं है। इसीलिए जाते हों कि थोड़ा आस-पास के उपद्रव की खबरें सुन | वह बोले ही चला जाता है। वह आपको अवसर ही नहीं देता। आएं। लेकिन कुछ एकांत की तलाश न हो।
इसलिए आप कहते हैं, बहुत बोर करने वाला आदमी है। उसका ___ ध्यान रखना जरूरी है कि आप अकेले ही सत्य से मिल सकते | केवल मतलब इतना है कि आप ही बोर किए जा रहे हैं! मुझको भी हैं, भीड़ को साथ लेकर जाने का कोई उपाय नहीं है। आपका | बोर करने का मौका दें। एक अवसर मुझे भी दें, तो मैं भी आपको निकटतम मित्र भी आपके साथ समाधि में नहीं जाएगा। आपकी | ठीक करूं। लेकिन जो असली बोर करने की कला में कुशल हैं,
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