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समत्व और एकीभाव
दायित्व आपका आपके ऊपर है। समय मत खोएं, अवसर मत | | जो इतनी जल्दी निर्णय ले लेता है, वह ओछा आदमी है। उसके खोएं, शक्ति को व्यर्थ मत लगाएं।
साथ मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है। फिर सदगुरुओं के ढंग हैं अपने, उनकी अपनी व्यवस्थाएं हैं, | जो आदमी समझदार है, वह सोचेगा कि जब रामकृष्ण गाली दे जिनको पहचानना बड़ी जटिल बात है।
रहे हैं, तो गाली में भी कोई मतलब होगा। थोड़ा रुकना चाहिए। मुसलमान फकीर हुआ, बायजीद। तो बायजीद, अक्सर नए | जल्दी करने की जरूरत नहीं है। रामकृष्ण जैसा आदमी अकारण लोग आते थे, तो उनके साथ बड़ा बेरुखा व्यवहार करता था। बड़ा | गाली नहीं देगा; अगर गाली दे रहा है, तो कोई प्रयोजन होगा, कोई बेरुखा, जैसे कि वे आदमी ही न हों। बायजीद बहुत विनम्र आदमी | | मतलब होगा। तो जरा मैं रुकू और निर्णय करने की जल्दी न करूं। था। उससे विनम्र आदमी खोजना कठिन है। लेकिन नए आगंतुक | | जो रुक जाता, वह सदा के लिए रुक जाता। जो भाग जाता, वह लोगों से वह बड़ा बेरुखा और बड़ा बुरा व्यवहार करता था। | सदा के लिए भाग जाता।
उसके शिष्य उससे कहते थे कि तुम अचानक, जब भी कोई नए। । सदगुरुओं के अपने ढंग हैं, अपनी व्यवस्थाएं हैं। कहना कठिन लोग आते हैं, तो तुम इतने सख्त क्यों हो जाते हो? हम तुम्हें जानते | है कि वे किस लिए क्या कर रहे हैं। आप उस झंझट में पड़ना ही हैं भलीभांति, जैसे ही नए लोग जाते हैं, तुम एकदम पिघल जाते | मत। अगर आपको गुरु खोजना हो, तो धैर्यपूर्वक, बिना निर्णय हो; तुम नवनीत जैसे कोमल हो। लेकिन तुम पत्थर जैसे कठोर क्यों | | लिए निकट रहने की क्षमता जुटाना। और जितना बड़ा गुरु होगा, हो जाते हो नए लोगों के लिए? और फिर नए लोग तुम्हारे संबंध | | उतनी ज्यादा धैर्य की परीक्षा लेगा। क्योंकि उतनी ही बड़ी संपदा देने में बड़ी बुरी धारणा ले जाते हैं। वे सारी जगह खबर करते हैं कि यह के पहले वह आपकी पात्रता को पूरी तरह परख लेना चाहेगा। कोई आदमी बहुत दुष्ट मालूम होता है, अहंकारी मालूम होता है, क्रोधी | | छोटा-मोटा गुरु होगा, तो आपकी कोई परीक्षा भी नहीं लेगा। मालूम होता है।
| क्योंकि उसको डर है कि कहीं भाग न जाओ। वह आपको फांसने तो बायजीद कहता था, इसीलिए, ताकि व्यर्थ की भीड़-भड़क्का | ही बैठा है। मेरी तरफ न आने लगे। मेरे पास समय कम है, काम ज्यादा है। | छोटा-मोटा गुरु तो ऐसा है, जैसे कि मछली को पकड़ने के लिए
और मैं केवल चुने हुए लोगों के ऊपर ही काम करना चाहता हूं। आटा लगाकर कांटे में बैठा हुआ है। वह बड़े प्यार से कहेगा, मैं पत्थरों को नहीं घिसना चाहता, सिर्फ हीरों को निकालना चाहता | आइए बैठिए। आपको सिर आंखों पर लेगा। आपके अहंकार को हूं। जिसमें इतनी भी अकल नहीं है कि जो मेरे झूठे अहंकार को | | फुसलाएगा। आप राजी होंगे। लगेगा कि बढ़िया बात है; यह पहचान सके, उसके साथ मेहनत करने को मैं राजी नहीं हूं। | आदमी ऊंचा है। कितना विनम्र है! कि मुझसे कहा, आइए बैठिए।
लेकिन कोई-कोई बायजीद का यह दंभ और क्रोध देखकर भी जिसे कोई नहीं कहता, आइए बैठिए; इतने बड़े आदमी ने मुझसे रह जाते थे। क्योंकि जो समझदार हैं, वे कहते थे कि पहला ही | | कहा, आइए बैठिए! परिचय काफी नहीं है। थोड़ी निकटता से; थोड़ा रुककर; थोड़े दिन आपको शायद पता न हो; रूजवेल्ट जब अमेरिका का इलेक्शन ठहरकर। जल्दी निर्णय नहीं लेना है। जो थोड़े दिन रुक जाते थे, वे | | जीता प्रेसिडेंट का। इलेक्शन जीतने के बाद उसने अपने पहले सदा के लिए बायजीद के हो जाते थे। अगर आप गए होते, तो आप | वक्तव्य में, किसी ने उससे पूछा कि आपके जीतने की जो विधियां लौट गए होते।
आपने उपयोग की, उसमें खास बात क्या थी? तो उसने कहा, छोटे ऐसे फकीर हुए हैं, हमारे मुल्क में हुए हैं, जो बेहूदी गालियां देते | | आदमियों को आदर देना। उसने दस हजार आदमियों को निजी पत्र हैं। उनमें कुछ परम ज्ञानी हुए हैं। आप उनके पास जाएंगे, तो वे | लिखे थे। उनमें ऐसे आदमी थे, कि जैसे टैक्सी ड्राइवर था, जिसकी मां-बहन की और भद्दी गालियां देंगे, जो आप कभी सोच ही नहीं | टैक्सी में बैठकर वह स्टेशन से घर तक आया होगा। सकते कि संत पुरुष देगा।
रूजवेल्ट की आदत थी कि वह टैक्सी ड्राइवर से उसका नाम खुद रामकृष्ण गालियां देते थे। और कारण कुल इतना था कि |
देते थे। और कारण कुल इतना था कि पूछेगा, पत्नी का नाम पूछेगा, बच्चे का नाम पछेगा। वह टैक्सी जो इतनी जल्दी निर्णय ले ले, कि यह आदमी गलत है, क्योंकि ड्राइवर तो आगे गाड़ी चला रहा है; पीछे देख नहीं रहा है। लेकिन गाली दे रहा है, इस आदमी के साथ मेहनत करनी उचित नहीं है। रूजवेल्ट नोट करता रहेगा, पत्नी का नाम, बच्चे का नाम; बच्चे
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