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( गीता दर्शन भाग-60
निकल सकता है। माइकलएंजलो मूर्ति बना लेता है क्रोध से। | कि क्रोध नहीं करना चाहिए। यह भी न कहूंगा कि मुझे क्रोध क्यों सृजनात्मक हो जाता है क्रोध।
| होता है। मैं सिर्फ देखूगा। जैसे आकाश में एक बादल जा रहा हो, मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि आपको क्रोध आए, तो आप इतना ही | ऐसे भीतर क्रोध के बादल को देखूगा। जैसे रास्ते से कोई गुजर रहा करें कि जोर से मुट्ठी बांधे पांच बार और खोलें। और आपका क्रोध | हो, ऐसे भीतर से गुजरते क्रोध को देखूगा। सिर्फ देखूगा, कुछ तिरोहित हो जाएगा। आप कहेंगे, इतना आसान नहीं है। लेकिन करूंगा नहीं। करके देखें। जितनी जोर से मुट्ठी बांध सकते हों, पूरी ताकत लगा ___ और आप चकित हो जाएंगे। कुछ ही क्षणों में, देखते ही देखते, दें, और खोलें, फिर बांधे और खोलें-पांच बार। और फिर | क्रोध शांत हो गया है। और वह जो क्रोध की शक्ति थी, वह लौटकर अपने भीतर देखें कि क्रोध कहां है! आप हैरान होंगे कि | आपको भीतर उपलब्ध हो गई है। क्रोध हलका हो गया; या खो भी गया, या समाप्त भी हो गया। ज्ञानी जीवन की समस्त बेचैनी को, निरीक्षण और साक्षी के द्वारा
जापान में वे सिखाते हैं बच्चों को कि जब भी क्रोध आए, तब तुम अंतर्यात्रा के उपयोग में ले आता है। वह फ्यूल बन जाती है, वह गहरी श्वास लो और छोड़ो। आप एक पंद्रह-बीस श्वास गहरी लेंगे ईंधन बन जाती है। और इसलिए कई बार ऐसा हुआ है कि .
और छोड़ेंगे, और आप पाएंगे कि क्रोध विलीन हो गया। न तो उसे महाक्रोधी क्षणभर में आध्यात्मिक हो गए हैं। दबाना पड़ा, और न किसी पर प्रकट करना पड़ा। और बीस गहरी हमने वाल्मीकि की कथा सुनी है। ऐसी बहुत कथाएं हैं। और श्वास स्वास्थ्य के लिए लाभपूर्ण है। वह सृजनात्मक हो गया। हमें हैरानी होती है कि इतने क्रोधी, हिंसक, हत्यारे तरह के व्यक्ति
जो बंधे हुए रास्ते हैं, वे ही आखिरी रास्ते नहीं हैं। अध्यात्म, क्षणभर में कैसे आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश कर गए? राज, उसका जीवन की समस्त बेचैनी का नया उपयोग करना सिखा है। जैसे जब | रहस्य यही है। आपको क्रोध आए, तो आप आंख बंद कर लें और क्रोध पर ध्यान | असल में अगर आपके पास क्रोध की शक्ति भी नहीं है, तो करें। मुट्ठी बांधकर भी शक्ति व्यर्थ होगी। श्वास लेंगे, तो | आपके पास ईंधन भी नहीं है, आप उपयोग क्या करिएगा? इसलिए थोड़ा-सा उपयोग होगा स्वास्थ्य के लिए। मूर्ति बनाएंगे, तो साधारण क्रोधी आध्यात्मिक नहीं हो पाता। खयाल करना। थोड़ा-सा सृजनात्मक काम होगा।
साधारण कामवासना से भरा व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं हो पाता। लेकिन क्रोध जब आए. तो आंख बंद करके क्रोध पर ध्यान करें। साधारण दष्टता से भरा व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं हो पाता। उसके कुछ भी न करें, सिर्फ क्रोध को देखें कि क्रोध क्या है। क्रोध का | पास जो कुछ भी है, उसमें वह कुनकुना ही हो सकता है, उबल नहीं दर्शन करें। साक्षी बनकर बैठ जाएं। जैसे कोई और क्रोध में है और सकता। उसके पास शक्ति क्षीण है।
आप देख रहे हैं। और अपनी क्रोध से भरी प्रतिमा को पूरा का पूरा इसलिए आप घबड़ाना मत। अगर बेचैनी ज्यादा है, सौभाग्य है। निरीक्षण करें।
| अगर कामवासना प्रगाढ़ है, सौभाग्य है। अगर क्रोध भयंकर है, थोड़े ही निरीक्षण में आप पाएंगे, क्रोध समाप्त हो गया, क्रोध | बड़ी परमात्मा की कृपा है। इसका अर्थ है कि आपके पास ईंधन है। विलीन हो गया। जैसा मुट्ठी बांधने से विलीन होता है, पत्थर तोड़ने अब यह दूसरी बात है कि ईंधन से आप यात्रा करेंगे कि घर जला से विलीन होता है, वैसा निरीक्षण से भी विलीन होता है। | लेंगे। इसमें जल मरेंगे या इस ऊर्जा का उपयोग करके यात्रा पर
लेकिन निरीक्षण से जब विलीन होता है क्रोध, तो क्रोध में जो| | निकल जाएंगे, यह आपके हाथ में है। शक्ति छिपी थी, वह आपकी अंतर-आत्मा का हिस्सा हो जाती है। | परमात्मा ने जो भी दिया है, वह सभी उपयोगी है। चाहे कितना जब मुट्ठी से आप क्रोध को विलीन करते हैं, तो शक्ति बाहर चली | ही विकृत दिखाई पड़ता हो, और चाहे कितना ही खतरनाक और जाती है। जब आप पत्थर तोड़ते हैं, तो भी बाहर चली जाती है। | पापपूर्ण मालूम पड़ता हो, जो भी मनुष्य को मिला है, उस सबकी लेकिन जब आप सिर्फ शुद्ध निरीक्षण करते हैं, सिर्फ एक विटनेस | | उपयोगिता है। और अगर उपयोग आप न कर पाएं, तो आपके होकर भीतर रह जाते हैं कि क्रोध उठा है, मैं इसे देखूगा। और कुछ | अतिरिक्त और कोई जिम्मेवार नहीं है। भी न करूंगा; इस क्रोध के पक्ष में, विपक्ष में कुछ भी न करूंगा, कुछ लोग हैं, जिनको अगर खाद दे दिया जाए, तो घर में ढेर सिर्फ देलूंगा। यह भी न कहूंगा कि क्रोध बुरा है। यह भी न कहूंगा | लगाकर गंदगी भर लेंगे। उनका घर दुर्गंध से भर जाएगा। और कुछ
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