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• समत्व और एकीभाव
पश्चात्ताप शुरू हो जाएगा।
| छिपा हुआ बीज फूल नहीं बनता, तब तक आपकी बेचैनी दूर नहीं जितनी भी मूर्छा की विधियां हैं, वे पशु होने के मार्ग हैं। । | होगी। हां, थोड़ी देर को आप किसी पर बेचैनी उलीच सकते हैं। आदमी, आदमी जैसा है, वैसा रहे, तो बेचैन है। या तो पीछे गिरे, | | उस उलीचने में राहत मिलेगी। लेकिन आप अपनी शक्ति को व्यर्थ तो चैन मिलता है। लेकिन चैन क्षणभर का ही होता है। जिनको हम | | खो रहे हैं। जिस शक्ति से बड़ी यात्रा हो सकती थी, उससे आप सुख कहते हैं, वे पशुता के सुख हैं। और इसलिए सुख क्षणभंगुर केवल लोगों को और स्वयं को दुख दे रहे हैं। एक तो हम यह होता है। क्योंकि हम पशु सदा के लिए नहीं हो सकते। पीछे लौटने | | उपयोग करते हैं। का कोई उपाय नहीं है। आगे जाने का ही एकमात्र उपाय है। और दूसरा हम यह उपयोग करते हैं कि जब हम बेचैनी को नहीं
और दूसरा उपाय है कि आदमी बेचैनी के बाहर हो जाए कि वह निकाल पाते और बेचैनी को नहीं फेंक पाते, तो फिर हम बेचैनी को परमात्मा के साथ अपने को एक होना जान ले। उसके भीतर जो भुलाने के लिए उपयोग करते हैं। तो कोई शराब पी लेता है, कोई छिपा है, वह पूरा प्रकट हो जाए। मनुष्य अपना भविष्य बन जाए। | सिनेमाघर में जाकर बैठ जाता है। कोई संगीत सुनने लगता है। हम वह जो हो सकता है, वह हो जाए। तो वैसी ही शांति आ जाएगी, | | कोशिश करते हैं कि यह जो भीतर चलता हुआ तूफान है, यह भूल जैसी गाय की आंख में दिखाई पड़ती है। इसलिए संतों की आंखों | जाए, यह याद में न रहे। यह भी समय और शक्ति का अपव्यय है। में अक्सर पशुओं जैसी सरलता वापस लौट आती है। लेकिन वह एक तीसरा और ठीक मार्ग है। और वह यह है, इस बेचैनी को पशुओं जैसी है, पाशविक नहीं है।
समझें, और इस बेचैनी को साधना में रूपांतरित करें। यह बेचैनी पशु भी शांत है। इसलिए शांत है कि अभी उसे बेचैनी का बोध साधना बन सकती है। इसे भुलाने की कोई जरूरत नहीं है। और न ही नहीं हुआ। अभी विकास का खयाल पैदा नहीं हुआ। अभी आगे | | इसे रुग्ण और हिंसा के मार्गों पर प्रेरित करने की जरूरत है। इस बढ़ने की आकांक्षा पैदा नहीं हुई। अभी आकाश को छूने और | | बेचैनी का आध्यात्मिक उपयोग हो सकता है। यह बेचैनी सीढ़ी बन स्वतंत्रता की तरफ उडने के पंख नहीं लगे। अभी स्वप्न नहीं पैदा सकती है। यह बेचैनी शक्ति है: यह उबलता हआ ऊर्जा का प्रवाह हुआ सत्य का। वह सोया हुआ है। जैसा सोया हुआ आदमी शांत | | है। इस प्रवाह को आप ऊपर की तरफ ले जा सकते हैं। छोटे-से होता है, ऐसा पशु भी शांत है।
प्रयोग करें। संत भी शांत हो जाता है। लेकिन स्वप्न पूरा हो गया, इसलिए। __ आपको खयाल नहीं होगा। आपको क्रोध आ जाए, तो आप सत्य पा लिया, इसलिए। संत पूरा हो गया। अब वह अधूरा नहीं | सोचते हैं, एक ही रास्ता है कि क्रोध को प्रकट करो। या एक रास्ता है। अधूरे में बेचैनी रहेगी।
है कि क्रोध को दबा लो और पी जाओ। लेकिन पी लिया गया क्रोध तो आप अकेले बेचैन हैं, ऐसा नहीं है। मनुष्य ही बेचैन है। और आगे-पीछे प्रकट होगा। पी लिया गया क्रोध पीया नहीं जा सकता, इस बेचैनी का, पूछा है, क्या उपयोग करें? इस बेचैनी का उपयोग | वह जहर उबलता ही रहेगा और कहीं न कहीं निकलेगा। और तब करें, वह जो भविष्य है उसको पाने के लिए; वह जो आप हो सकते | खतरे ज्यादा हैं। क्योंकि वह उन लोगों पर निकलेगा, जिनसे उसका हैं, वह होने के लिए। इस बेचैनी में मत उलझे रहें। और इस बेचैनी कोई संबंध भी नहीं था। और कहीं न कहीं उसकी छाया पड़ेगी और को ढोते मत रहें। इसका उपयोग कर लें।
जीवन को नुकसान पहुंचेगा। __ हम भी बेचैनी का उपयोग करते हैं, लेकिन हम उपयोग दो ढंग माइकलएंजलो ने लिखा है कि जब भी मुझे क्रोध पकड़ लेता है, से करते हैं। दोनों ढंग से खतरा होता है। या तो हम बेचैनी का | तब मैं छैनी उठाकर अपनी मूर्ति को बनाने में लग जाता हूं; पत्थर उपयोग करते हैं बेचैनी को निकाल लेने में। क्रोध में, हिंसा में, घृणा तोड़ने लगता हूं। और लिखा है माइकलएंजलो ने कि मैं हैरान हो में, ईर्ष्या में, प्रतिस्पर्धा में, संघर्ष में हम बेचैनी को निकालने का | | जाता हूं कि पांच-सात मिनट पत्थर तोड़ने के बाद मैं पाता हूं कि मैं उपयोग करते हैं। उससे बेचैनी समाप्त नहीं होगी, क्योंकि बेचैनी | | हलका हो गया; क्रोध तिरोहित हो गया। किसी आदमी को तोड़ने का वह कारण नहीं है।
की जरूरत नहीं रही। जब तक आपके भीतर की मूर्ति नहीं निखरती, और जब तक मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब आपको क्रोध आए, तो आप आपके भीतर का स्वभाव प्रकट नहीं होता, और जब तक आप में छोटे-से प्रयोग करें। और आप हैरान होंगे कि क्रोध नई यात्रा पर
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