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ॐ गीता दर्शन भाग-60
असक्तिरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु ।। के फूल खिल सकते हैं। नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ।। ९ ।। __ भविष्य है; वह भविष्य भी खींचता है। अतीत खींचता है,
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी। | क्योंकि अतीत में हमारा अनुभव है, हमारी जड़ें हैं। और भविष्य भी विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ।। १०।। खींचता है, क्योंकि भविष्य में हमारी संभावना और आशा है। और अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम् ।
मनष्य भविष्य और अतीत के बीच में एक तनाव है। एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा।।११।। कोई जानवर इतना बेचैन नहीं है, जितना मनुष्य। पशुओं की तथा पुत्र, स्त्री, घर और धनादि में आसक्ति का अभाव और आंखों में झांकें कोई बेचैनी नहीं है, कोई अशांति नहीं है। पशु ममता का न होना तथा प्रिय-अप्रिय की प्राप्ति में सदा ही | अपने होने से राजी है। कुत्ता कुत्ता है। बिल्ली बिल्ली है। शेर शेर चित्त का सम रहना अर्थात मन के अनुकूल और प्रतिकूल | | है। और आप किसी शेर से यह नहीं कह सकते कि तू कुछ कम
के प्राप्त होने पर हर्ष-शोकादि विकारों का न होना। शेर है या किसी कुत्ते से भी नहीं कह सकते कि तू कुछ कम कुत्ता और मुझ परमेश्वर में एकीभाव से स्थितिरूप ध्यान-योग के | | है। लेकिन आदमी से आप कह सकते हैं कि तू कुछ कम आदमी द्वारा अव्यभिचारिणी भक्ति तथा एकांत और शुद्ध देश में । है। सभी आदमी बराबर आदमी नहीं हैं, लेकिन सभी कुत्ते बराबर रहने का स्वभाव और विषयासक्त मनुष्यों के समुदाय में | कुत्ते हैं। कुत्ता जन्म से ही कुत्ता है। आदमी जन्म से केवल एक बीज अरति, प्रेम का न होना।
है। हो भी सकता है, न भी हो। तथा अध्यात्म-ज्ञान में नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के आदमी को छोड़कर सभी पशु पूरे के पूरे पैदा होते हैं; आदमी अर्थरूप परमात्मा को सर्वत्र देखना, यह सब तो ज्ञान है | | अधूरा है। उस अधूरे में बेचैनी है। और पूरे होने के दो रास्ते हैं। या और जो इससे विपरीत है, वह अज्ञान है, ऐसे कहा जाता है। तो आदमी वापस नीचे गिरकर पशु हो जाए, तो थोड़ी राहत मिलती
है। क्रोध में आपको जो राहत मिलती है, हिंसा में जो राहत मिलती
है, संभोग में जो राहत मिलती है, शराब में जो राहत मिलती है, पहले कुछ प्रश्न। एक मित्र ने पूछा है, मैं बहुत बेचैन वह नीचे पशु हो जाने की राहत है। आप वापस गिरकर यह खयाल हूं और मेरे पास इतनी बेचैनी है कि सारी शक्ति इस छोड़ देते हैं कि कुछ होना है। आप राजी हो जाते हैं, नीचे गिरकर। बेचैनी में ही समाप्त हो जाती है। तो मैं इस बेचैनी | लेकिन वह राहत बहुत थोड़ी देर ही टिक सकती है। वह राहत का क्या उपयोग कर सकता हूं और इस बेचैनी का | इसलिए थोड़ी देर ही टिक सकती है, क्योंकि पीछे गिरने का प्रकृति कारण क्या है?
में कोई उपाय नहीं है। कोई बूढ़ा बच्चा नहीं हो सकता वापस। थोड़ी देर को अपने को भुला सकता है; बच्चों के खिलौनों में भी डूब
सकता है थोड़ी देर को, गुड्डा-गुड्डी का विवाह भी रचा सकता है। 11 नुष्य का होना ही बेचैनी है। कम या ज्यादा, लेकिन और थोड़ी देर को शायद भूल भी जाए कि मैं बूढ़ा हूं। लेकिन यह 01 ऐसा मनुष्य खोजना कठिन है, जो बेचैन न हो। मनुष्य भूलना ही है। कोई बूढ़ा वापस बच्चा नहीं हो सकता। बेचैन होगा ही।
और यह भूलना कितनी देर चलेगा? यह विस्मरण कितनी देर नीत्शे ने कहा है कि मनुष्य ऐसे है, जैसे एक पुल, दो किनारों चलेगा? यह थोड़ी देर में टूट जाएगा। असलियत ज्यादा देर तक पर टिका हुआ, बीच में अधर लटका हुआ। पीछे पशु का जगत है | नहीं भुलाई जा सकती। और जैसे ही यह टूटेगा, बूढ़ा वापस बूढ़ा और आगे परमात्मा का आयाम, और मनुष्य बीच में लटका हुआ | हो जाएगा। है। वह पशु भी नहीं है और अभी परमात्मा भी नहीं हो गया है। पशु | आदमी पशु हो सकता है। आप क्रोध में थोड़ी देर मजा ले सकते होने से थोड़ा ऊपर उठ आया है। लेकिन उसकी जड़ें पशुता में फैली | हैं, लेकिन कितनी देर? और जैसे ही क्रोध के बाहर आएंगे, हुई हैं। और किसी भी मूर्छा के क्षण में वह वापस पशु हो जाता | पश्चात्ताप शुरू हो जाएगा। आप शराब पीकर थोड़ी देर को भूल है। और आगे विराट परमात्मा की संभावना है। उसमें से दिव्यता सकते हैं, लेकिन कितनी देर? शराब के बाहर आएंगे और
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