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गीता दर्शन भाग-660
संबंध ही नहीं है। भिखारी को आपने पैसे दिए ही नहीं। और | वह आचरण सहज करेगा; जो ठीक लगता है, वही करेगा। जो आपको कोई न भीतर दया है, न कोई करुणा है, न कोई सवाल है। | आनंदपूर्ण है, वही करेगा। सिर्फ इसलिए कुछ नहीं करेगा कि लोग आप एक दंभ आरोपित कर रहे हैं, एक आयोजन कर रहे हैं। तो | क्या कहेंगे। लोग अच्छा कहेंगे या बुरा कहेंगे, यह उसकी आप अच्छे आदमी भी हो सकते हैं दंभ-आचरण के कारण। विचारधारा न होगी।
ध्यान रहे, सहज बरा आदमी भी बेहतर है। कम से कम सहज | हम तो हर समय यही सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे। लोगों की तो है। और जो सहज है, वह कभी अच्छा हो सकता है। क्योंकि हमारी फिक्र इतनी ज्यादा है कि अगर मैं आपको कह दूं कि कल बुराई दुख देती है। दुख कोई भी नहीं चाहता। आज नहीं कल सुख | सुबह आप मरने वाले हैं, तो जो आपको पहले खयाल आएगा, की तरफ जाएगा; खोजेगा; तो बुराई को छोड़ेगा। लेकिन हम झूठे वह यह है कि मरघट मुझे कौन लोग पहुंचाने जाएंगे। फलां आदमी अच्छे आदमी हैं। यह बहुत खतरनाक स्थिति है। झूठे अच्छे आदमी | जाएगा कि नहीं? मिनिस्टर जाएगा कि नहीं? गवर्नर जाएगा कि का मतलब है कि हम अच्छे बिलकुल नहीं हैं और बाहर हमने एक | नहीं? मरने के बाद अखबार में मेरी खबर छपेगी कि नहीं? लोग अच्छा आरोपण कर रखा है। रिस्पेक्टिबिलिटी...।
क्या कहेंगे? मां-बाप बच्चों से कहते हैं कि देख, इज्जत मत गंवा देना, हमारा बहुत लोगों के मन में यह इच्छा होती है कि मरने के बाद लोग खयाल रखना, किसका बेटा है। वे उसको यह नहीं कह रहे हैं कि | मेरे संबंध में क्या कहेंगे, उसका कुछ पता चल जाए। इस तरह की अच्छा काम करना अच्छा है। वे यह कह रहे हैं, अच्छा काम करना लोगों ने कोशिश भी की है। अहंकार-पोषक है। वे यह कह रहे हैं, घर की इज्जत का खयाल एक आदमी ने, राबर्ट रिप्ले ने अपने मरने की खबर उड़ा दी। रखना। वे उससे यह नहीं कह रहे हैं कि अच्छे होने में तेरा आनंद | सिर्फ इसलिए कि अखबारों में पता चल जाए, और कौन-कौन होना चाहिए। वे यह कह रहे हैं, घर की इज्जत का सवाल है, | क्या-क्या कहता है, उसे मैं एक दफा पढ़ तो लूं। वह मरने के ही प्रतिष्ठा का सवाल है, वंश का सवाल है।
करीब था, डाक्टरों ने कहा था कि अब बस, चौबीस घंटे, छत्तीस वे उसको अहंकार सिखा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि समझना कि | घंटे से ज्यादा नहीं बच सकते। तो उसने अपने सेक्रेटरी को बुलाया तू किसका बेटा है। वे उसको झूठ सिखा रहे हैं। वह लड़का अब और कहा कि तू एक काम कर। तू खबर कर दे कि मैं मर गया। मैं दंभ से आचरण करेगा। वह अच्छा भी होगा, तो अच्छे के पीछे भी अपनी खबर अखबारों में पढ़ लेना चाहता हूं कि मेरे मरने के बाद वासना यही होगी कि आदर-सम्मान मिले।
लोग मेरे संबंध में क्या कहते हैं। रिस्पेक्टिबिलिटी दंभाचरण है, आदर की तलाश। लेकिन हमने | | दूसरे दिन जब उसने खबर पढ़ ली और अच्छी-अच्छी बातें पढ़ सारा आचरण आदर पर खड़ा कर रखा है। हम एक-दूसरे को यही | ली उसके संबंध में, क्योंकि मरने के बाद लोग अच्छी बातें कहते समझा रहे हैं, सिखा रहे हैं। सारी शिक्षा, सारा संस्कार, कि अगर ही हैं, शिष्टाचारवश। और शायद इसलिए भी कि जब हम मरेंगे, बुरे हुए, तो बेइज्जती होगी। और बेइज्जती से आदमी डरता है, | तो लोग भी खयाल रखेंगे। बाकी और तो कुछ खास बात...। इसलिए बुरा नहीं होता।
| जब आप किसी आदमी के संबंध में सनें कि सभी लोग अच्छी आपको असलियत का तो तब पता चले, जब आप लोगों से बातें कर रहे हैं, समझ लेना कि मर गया। नहीं तो जिंदा आदमी के कह दें कि कोई फिक्र नहीं, बुरे हो जाओ, बेइज्जती नहीं होगी। और | बाबत सभी लोग अच्छी बात कर ही नहीं सकते। बड़ा कठिन है, अगर हम एक ऐसा समाज बना लें, जिसमें बुरे होने से बेइज्जतीन बड़ा कठिन है। होती हो. तब आपको पता चलेगा कि कितने आदमी अच्छे हैं। अखबारों में अच्छी बातें सनकर रिप्ले बहत संतष्ट हो गया। अभी तो बुराई से बेइज्जती मिलती है, अहंकार को चोट लगती है, | | और उसने कहा कि अब अखबार वालों को खबर कर दो कि मेरी तो आदमी अच्छा होने की कोशिश करता है। अच्छे होने की | | तस्वीर निकाल लें मरने की खबर पढ़ते हुए। मैं मनुष्य-जाति के आकांक्षा में भी अच्छे होने का खयाल नहीं है, अच्छे होने की | इतिहास का पहला आदमी हूं, जिसने अपने मरने की खबर पढ़ी। आकांक्षा में अहंकार का पोषण है।
फिर उसने अखबारों में दूसरी खबर छपवाई। कृष्ण कहते हैं ज्ञानी के लिए लक्षणों में, दंभाचरण का अभाव।। निश्चित ही वह पहला आदमी था, जिसने अपने मरने की खबर
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