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________________ O रामकृष्ण की दिव्य बेहोशी एक दीप्ति श्रेष्ठता की जलती रहेगी। पहले। रूस उसका अनुकरण कर रहा है, जाने-अनजाने। ब्राह्मण एक बड़े मजे की घटना घटी है मनुष्य के इतिहास में। और वह को ऊपर बिठा दो, फिर उपद्रव नहीं होगा। उसकी श्रेष्ठता सुरक्षित यह कि हिंदुस्तान में हमने ब्राह्मण को क्षत्रिय के ऊपर रख दिया था; | रहे, फिर कोई बात नहीं है। भीख मांग सकता है वह, लेकिन उसकी तलवार के ऊपर ज्ञान को रख दिया था। इसलिए हिंदुस्तान में कभी भीतरी अकड़ कायम रहनी चाहिए। आप उसको सिंहासन पर भी क्रांति नहीं हो सकी। क्योंकि दुनिया में जब भी कोई उपद्रव होता है, बिठा दो और कहो कि विनम्र हो जाओ, भीतर की अकड़ छोड़ दो, उसकी जड़ में ब्राह्मण होता है। कहीं भी हो, समझदार ही उपद्रव | वह सिंहासन को लात मार देगा। ऐसे सिंहासन का कोई मूल्य नहीं करवा सकता है: नासमझ तो पीछे चलते हैं। अगर यह पश्चिम में है। उसे भीतर का सिंहासन चाहिए। इतनी क्रांति की बात चलती है....। जैसे ही किसी व्यक्ति को ज्ञान का जरा-सा स्वाद लगता है कि मार्क्स को मैं ब्राह्मण कहता हूं। लेनिन को, ट्राटस्की को ब्राह्मण | | एक भीतरी श्रेष्ठता पैदा होनी शुरू हो जाती है। उसकी चाल बदल कहता हूं। ब्राह्मण का मतलब, इंटेलिजेंसिया; वह जो सोचती है, जाती है। उसकी अकड़ बदल जाती है। विचारती है। उस सोचने-विचारने वाले की श्रेष्ठता को अगर | कृष्ण कहते हैं, ज्ञान का लेकिन पहला लक्षण वे कह रहे हैं, आपने जरा भी चोट पहुंचाई, तो वह उपद्रव खड़ा कर देता है। वह श्रेष्ठता के अभिमान का अभाव। फौरन लोगों को भड़का देता है। ब्राह्मण को विनयी होना चाहिए; यह उसका पहला लक्षण है। सिर्फ हिंदुस्तान अकेला मुल्क है, जहां पांच हजार साल में कोई | | यह होता नहीं। नहीं होता, इसीलिए पहला लक्षण बताया। जो नहीं क्रांति नहीं हुई। इसका राज क्या है? सारी दुनिया में क्रांति हुई, | | होता, उसकी चिंता पहले कर लेनी चाहिए। जो बहुत कठिन है, हिंदुस्तान में क्रांति नहीं हुई। उसका सीक्रेट क्या है? सीक्रेट है कि | | उसकी फिक्र पहले कर लेनी चाहिए। हमने ब्राह्मण को, जो उपद्रव कर सकता है, उसको पहले ही ऊपर | ज्ञान आए, तो उसके साथ-साथ विनम्रता बढ़ती जानी चाहिए। रख दिया। उसको कहा कि तू तो श्रेष्ठ है। अगर ज्ञान के साथ विनम्रता न बढ़े, तो ज्ञान जहर हो जाता है। ज्ञान फिर एक बड़े मजे की घटना घटी कि ब्राह्मण भूखा मरता रहा, | के साथ विनम्रता समानुपात में बढ़ती जाए, तो ज्ञान जहर नहीं हो दीन रहा, दुखी रहा, लेकिन कभी उसने बगावत की बात नहीं की, | | पाता और अमृत हो जाता है। क्योंकि उसकी भीतरी श्रेष्ठता सुरक्षित है। और जब वह श्रेष्ठ है, श्रेष्ठता के अभिमान का अभाव, दंभाचरण का अभाव...। तो कोई दिक्कत नहीं है। आचरण दो तरह से होता है। एक तो आचरण होता है, रूस फिर इसका अनगमन कर रहा है। कोई सोच भी नहीं सहज-स्फर्त। और एक आचरण होता है. दंभ आयोजित। आप सकता. लेकिन रूस इसका फिर अनगमन कर रहा है। आज रूस रास्ते पर जा रहे हैं और एक भखा आदमी हाथ फैला देता है। आप ने सब वर्ग तो मिटा दिए, लेकिन ब्राह्मण को ऊपर बिठा रखा है। दो पैसे उसके हाथ में रख देते हैं, सहज दया के कारण, वह भूखा जिसको वे एकेडेमीसिएंस कहते हैं वहां। वे जितने भी बुद्धिवादी | है इसलिए। लोग हैं-लेखक हैं, कवि हैं, वैज्ञानिक हैं, डाक्टर हैं, वकील लेकिन रास्ते पर कोई भी नहीं है, अकेले हैं, और भूखा आदमी हैं-जिनसे उपद्रव की कोई भी संभावना है, उनका एक आभिजात्य | | हाथ फैलाता है, आप बिना देखे निकल जाते हैं। रास्ते पर लोग वर्ग बना दिया है। | देखने वाले मौजूद हैं, तो आप दो पैसे दे देते हैं। अगर साथ में मित्र रूस में लेखक इतना समादृत है, जितना जमीन पर कहीं भी मौजूद हैं, या ऐसा समझ लीजिए कि आपकी लड़की की शादी हो नहीं। कवि इतना समादृत है, जितना जमीन पर कहीं भी नहीं। रही है और लड़का लड़की को देखने आया है, वह आपके साथ वैज्ञानिक, सोचने-समझने वाला आदमी समादृत है। उसको ऊपर है, और भिखमंगा हाथ फैला देता है; दो पैसे की जगह आप दो . बिठा दिया है। उसको फिर ब्राह्मण की कोटि में रख दिया है। रूस रुपए दे देते हैं। में क्रांति तब तक नहीं हो सकती अब, जब तक यह ब्राह्मण का | | ये दो रुपए आप दामाद को दे रहे हैं, होने वाले दामाद को। आप आभिजात्य न टूटे। | एक दंभ का आचरण कर रहे हैं। आप उसको दिखला रहे हैं कि मैं दो प्रयोग हुए हैं। हिंदुस्तान ने प्रयोग किया था पांच हजार साल क्या हूं! इसका भिखारी से कोई लेना-देना नहीं है। भिखारी से कोई | 231
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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