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________________ - गीता दर्शन भाग-600 यह बड़ी आध्यात्मिक बेहोशी है। और यह शब्द उचित नहीं है। हम | |बाकी किताब बिलकुल ठीक है। मैं आपकी सब किताबें पढ़ता रहा तो इसे परम होश कहते हैं। और पश्चिम के मनोविज्ञान को आज | हूं। सभी किताबें ठीक हैं। पर एक बात इसमें आपने बिलकुल नहीं कल यह भेद स्वीकार करना पड़ेगा। इस संबंध में खोजबीन | गलत लिखी है। शुरू हो गई है। रसेल ने बड़ी जिज्ञासा, उत्सुकता से पूछा कि कौन-सी बात अभी तक तो फ्रायड के प्रभाव में उन्होंने संतों को और पागलों | गलत लिखी है? तो उसने कहा कि आपने किताब में लिखा है कि को एक ही साथ रख दिया था। जीसस के संबंध में ऐसी किताबें जूलियस सीजर मर गया है। यह गलत है! लिखी हैं पश्चिम में मनोवैज्ञानिकों ने, जिनमें सिद्ध करने की जूलियस सीजर को मरे सैकड़ों साल हो गए हैं। रसेल बहुत कोशिश की है कि जीसस भी न्यूरोटिक थे, विक्षिप्त थे। चौंका कि उसने गलती भी क्या खोजी है कि जूलियस सीजर मर स्वभावतः, कोई आदमी जो कहता है, मैं ईश्वर का पुत्र हूं, हमें गया है, यह आपने लिखा है, यह बिलकुल गलत है। तो रसेल ने पागल ही मालूम पड़ेगा। कोई आदमी जो यह दावा करता है कि मैं | पूछा, आपके पास प्रमाण? उसने कहा कि प्रमाण की क्या जरूरत ईश्वर का पुत्र हूं, हमें पागल मालूम पड़ेगा। या तो हम समझेंगे कि | | है! मैं जूलियस सीजर हूं। धूर्त है या हम समझेंगे पाखंडी है या हम समझेंगे पागल है। कौन | मनोविज्ञान कहेगा, यह आदमी पागल है। लेकिन मंसूर कहता आदमी अपने होश में दावा करेगा कि मैं ईश्वर का पुत्र हूं! जीसस | | है, मैं ब्रह्म हूं। उपनिषद के ऋषि कहते हैं, हम स्वयं परमात्मा हैं। के वक्तव्य पागल के वक्तव्य मालूम होते हैं। रामतीर्थ ने कहा है कि यह सृष्टि मैंने ही बनाई है; ये चांद-तारे मैंने लेकिन जो व्यक्ति भी भीतर की चेतना को अनुभव करता है, | ही चलाए हैं। रामतीर्थ से कोई पूछने आया कि सृष्टि किसने ईश्वर का पुत्र तो छोटा वक्तव्य है, वह ईश्वर ही है। मंसूर या बनाई? तो रामतीर्थ ने कहा, क्या पूछते हो! मैंने ही बनाई है। उपनिषद के ऋषि जब कहते हैं, अहं ब्रह्मास्मि, हम ब्रह्म हैं, तो | निश्चित ही, यह स्वर भी पागलपन का मालूम पड़ता है। और पश्चिम का मनोवैज्ञानिक समझेगा कि बात कुछ गड़बड़ हो गई; | ऊपर से देखने पर, जो आदमी कहता है, मैं जूलियस सीजर हूं, वह दिमाग कुछ खराब हो गया। कम पागल मालूम पड़ता है बजाय रामतीर्थ के, जो कहते हैं, ये उनका सोचना भी ठीक है, क्योंकि ऐसे पागल भी हैं। आज | चांद-तारे? ये मैंने ही इन्हीं अंगुलियों से चलाए हैं। यह सृष्टि मैंने पागलखानों में अगर खोजने जाएं, तो बहुत-से पागल हैं। कोई | | ही बनाई है। पागल कहता है, मैं अडोल्फ हिटलर हूं। कोई पागल कहता है कि ये वक्तव्य बिलकुल एक से हैं ऊपर से और भीतर से बिलकुल मैं बैनिटो मुसोलिनी हूं। कोई पागल कहता है कि मैं स्टैलिन हूं। | भिन्न हैं। और भिन्नता का प्रमाण क्या होगा? भिन्नता का प्रमाण यह कोई पागल कहता है, मैं नेपोलियन हूं। | होगा कि यह जूलियस सीजर जो अपने को कह रहा है, यह दुखी बर्टेड रसेल ने लिखा है कि एक आदमी ने बर्टेड रसेल को पत्र है. पीडित है. परेशान है। इसे नींद नहीं है. चैन नहीं है. बेचैन है। लिखा। बर्टेड रसेल की एक किताब प्रकाशित हुई, उसमें उसने और यह जो रामतीर्थ कह रहे हैं कि जगत मैंने ही बनाया, ये परम कुछ जूलियस सीजर के संबंध में कोई बात कही थी। एक आदमी आनंद और परम शांति में हैं। ने पत्र लिखा कि आपकी किताब बिलकुल ठीक है, सिर्फ एक ये क्या कह रहे हैं, इस पर निर्भर नहीं करता। ये क्या हैं, उसमें वक्तव्य गलत है। खोजना पड़ेगा। और आप भला नहीं कहते कि जूलियस सीजर हैं रसेल को आश्चर्य हुआ। क्योंकि किताब में बहुत-सी क्रांतिकारी | या महात्मा गांधी हैं या जवाहरलाल नेहरू हैं, ऐसा आप कोई दावा बातें थीं, जो लोगों को पसंद नहीं पड़ेंगी। यह कौन आदमी है, जो | नहीं करते, तो भी आप ठीक होश में नहीं हैं, तो भी आप विक्षिप्त कहता है कि सब ठीक है, सिर्फ एक बात गलत है! तो रसेल ने हैं। और रामतीर्थ यह दावा करके भी विक्षिप्त नहीं हैं कि जगत मैंने उसे निमंत्रण दिया कि तुम भोजन पर मेरे घर आओ। मैं भी जानना ही बनाया है। रामतीर्थ का यह वक्तव्य किसी बड़ी गहरी अनुभूति चाहंगा कि जिस आदमी को मेरी सारी बातें ठीक लगी हैं. उसे| | की बात है। कौन-सी बात गलत लगी! वह मेरे लिए भी विचारणीय है। | रामतीर्थ यह कह रहे हैं कि इस जगत की जो परम चेतना है, वह रसेल ने प्रतीक्षा की। सांझ को वह आदमी आया। उसने कहा, मेरे भीतर है। जिस दिन उसने इस जगत को बनाया, मैं भी उसमें 224
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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