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o आधुनिक मनुष्य की साधना -
कांटों को देखता है, उसे और ज्यादा कांटे दिखाई पड़ने लगते हैं। | लाया था। जैसे आप किसी के घर कोई मर जाता है, सब तैयार
जो आप खोजते हैं, वह आपको मिल जाता है। हर आदमी की। करके जाते हैं कि क्या कहेंगे। बड़ा मुश्किल का मामला होता है! योग्यता के अनुकूल उसे सब कुछ मिल जाता है। जो आदमी | | किसी के घर अगर कोई मर जाए, तो क्या कहना, कैसे कहना, बड़ा नकारात्मक को खोज रहा है, चारों तरफ उसके नरक खड़ा हो जाता | परेशानी का काम होता है। है। सब जगह उसे गलत दिखाई पड़ने लगता है।
सम्राट बिलकुल तैयार करके लाया था कि ये-ये बातें कहूंगा; कृष्ण कहते हैं, जिस-किस प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने | | इस तरह संवेदना प्रकट करूंगा। आंख में आंसू भर लूंगा। संत में सदा संतुष्ट है। कैसा भी परमात्मा रखे, वह उसमें भी...।। | को सांत्वना देकर लौट आऊंगा। लेकिन वह संत बंड़ा उलटा
सुना है मैंने कि बायजीद एक कोठरी में सोता था। उसमें बड़ी | निकला। वह खंजड़ी बजा रहा था और गीत गा रहा था। तो अब चींटियां थीं। सूफी फकीर हआ बायजीद। तो उसके शिष्यों ने कहा शोक-संवेदना प्रकट करने का उपाय न रहा। लेकिन राजा को कि तुम परमात्मा के इतने प्यारे हो और वह इतना भी नहीं कर | लगा बुरा। क्योंकि वह जिस काम से आया था, वह असफल सकता कि इन चींटियों को हटा ले। और तुम्हें हमेशा काटती हैं और | हुआ। कहने यही आया था कि दुखी मत होओ, ऐसा तो होता ही परेशान करती हैं और तुम उघाड़े यहां पड़े रहते हो!
रहता है। लेकिन इस आदमी से क्या कहो! यह दुखी हो ही नहीं तो बायजीद ने कहा कि तुम्हें मेरे परमात्मा का कुछ पता नहीं। रहा है, बल्कि प्रसन्न हो रहा है! वह चींटियों से मुझे कटवाता है, ताकि मैं उसकी याद रख सकें। ___ अपेक्षा पूरी न हो...। आपको पता है, दुखद अपेक्षाएं भी पूरी भलं न। और जब भी चींटी मझे काटती है. मैं कहता हूँ. हे न हों तो भी दख होता है। अगर आप सोच रहे हों कि बडी बीमारी परमात्मा। याद है: मत कटवा, याद है। चींटी से कटवाता है. ताकि | है और डाक्टर के पास जाएं। और वह कहे, कुछ नहीं, तो मन में मैं उसकी याद कर सकं, विस्मरण न हो जाए। और कभी-कभी मैं | | बड़ी उदासी होती है कि बेकार आना हुआ! कुछ नहीं? आपको भूल जाता है, तो ठीक ऐन वक्त पर चींटी काट देती है। उसकी बड़ी | |शक होता है, कहीं डाक्टर की ऐसा तो नहीं कि भूल हो रही है। कृपा है। उसकी बड़ी कृपा है। इन चींटियों को हटा मत देना। जरा और बड़े डाक्टर को दिखा लें।
यह जो भाव-दृष्टि है कि वह जैसा रखे! जरूर उसका कोई इसलिए जो चालाक डाक्टर हैं, वे बड़े गंभीर हो जाते हैं आपको प्रयोजन होगा। अगर वह आग में डालता है, तो तपाता होगा। अगर देखकर। और आपकी बीमारी को इस तरह से लेते हैं जैसे कि बस, वह कांटों में चलाता है, तो परखता होगा। कोई परीक्षा होगी। कोई ऐसी बड़ी बीमारी किसी को भी कभी नहीं हुई। तब आपका दिल बात होगी उसकी। उस पर छोड़कर जीने वाला जो संतुष्ट व्यक्ति राजी होता है कि ठीक है। आप जैसे बड़े आदमी को छोटी बीमारी है, वही मननशील भी है।
हो सकती है! बड़ी ही होनी चाहिए। यह आदमी समझा। अब जरा . और रहने के स्थान में ममता से रहित है...।
बात काम की है। और जहां रखे, लेकिन कोई ममता खड़ी नहीं करता। जिस ___ वह सम्राट दुखी हो गया। उसने कहा कि यह क्या कर रहे हो! स्थिति में, जिस स्थान में, फिर यह नहीं कहता कि यहीं रहूंगा। वह | मुझे कहना नहीं चाहिए। और मैं उपदेश देने वाला कौन हं! लेकिन जहां हटा दे। वह जहां पहुंचा दे। वह जैसा करे। सभी स्थान उसी झूठ छिपाया भी नहीं जाता। सच कहना ही चाहिए। यह देखकर के हैं। और सभी स्थितियां उसकी हैं। और सभी द्वारों से वह आदमी मुझे दुख होता है। इतना ही काफी था कि तुम दुख न मनाते। लेकिन पर काम कर रहा है। इस भाव दशा में जो व्यक्ति है. वह ममता गीत गाना. खंजडी बजाना. यह जरा जरूरत से ज्यादा है। नहीं बांधेगा। वह ममता नहीं बांधेगा।
लेकिन च्वांगत्सू ने कहा, क्या कह रहे हो! मेरी पत्नी मर गई च्वांगत्सू की पत्नी मर गई, तो वह गीत गा रहा था अपनी खंजड़ी | और मैं सुख भी न मनाऊं! राजा ने कहा, मतलब? तुम बड़ा उलटा बजाकर। सम्राट संवेदना प्रकट करने आया था, क्योंकि च्वांगत्सू वचन बोल रहे हो! तो च्वांगत्सू ने कहा कि परमात्मा ने उसे मेरे जाहिर संत था। तो खुद सम्राट आया कि पत्नी मर गई है, तो मैं पास भेजा, संसार को जानने को। और परमात्मा ने उसे मुझसे छीन जाऊं। लेकिन सम्राट ने देखा कि वह गीत गा रहा है खंजड़ी बजाकर! लिया, मोक्ष पहचानने को। वह मेरा संसार थी; उसके साथ मेरा
तो सम्राट बड़ा मुश्किल में पड़ा। क्योंकि वह बेचारा तैयार करके संसार भी खो गया। परमात्मा की बड़ी कृपा है। उसने संसार
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