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________________ 0 गीता दर्शन भाग-60 नहीं सिखाई, क्योंकि वे आपको नहीं सिखा रहे थे; वे दूसरे तरह स्वाभाविक हो, तो सभ्यता का यह जाल खड़ा नहीं हो सकता। और के लोगों को सिखा रहे थे। आप मौजूद होते, तो उनको भी यही | सभ्यता का जाल खड़ा करना हो, तो आपके भीतर जितना उपद्रव सिखाना पड़ता। है, उसके निकलने के सब द्वार बंद करने जरूरी हैं; सब द्वार बंद बुद्ध और महावीर जिन लोगों से बात कर रहे थे, वे ग्रामीण लोग करके उसे एक ही द्वार से निकलने देना जरूरी है। थे-सीधे, शांत, सरल, निर्दोष, स्वाभाविक। उन्होंने कुछ दमन इसलिए हमारी शिक्षा की सारी प्रक्रिया आपकी समस्त तरह की नहीं किया हुआ था। उन्होंने कुछ रोका नहीं था। जितना आदमी सभ्य | वासनाओं को इकट्ठा करके महत्वाकांक्षा में लगाने की प्रक्रिया है, होता है. उतना दमित होता है। सभ्यता दमन का एक प्रयोग है। सारी वासनाओं को इकट्ठा करके अहंकार की पूर्ति की दिशा में फ्रायड ने तो यह स्वीकार किया है कि सभ्यता हो ही नहीं सकती, | दौड़ाने की प्रक्रिया है। अगर दमन न हो। इसलिए फ्रायड ने यह भी कहा है कि अगर हम आदमी को सरल इसलिए आप देखें, एक मजे की घटना। आदिवासी सरल हैं, | बनाने में सफल हो जाएं, तो वह पुनः असभ्य हो जाएगा। अब यह लेकिन सभ्य नहीं हो पाते। दुनिया में छोटे-छोटे कबीले हैं जंगली बड़ी कठिनाई है। अगर सभ्यता चाहिए, तो आदमी जटिल होगा, . लोगों के। बड़े अच्छे लोग हैं, प्यारे लोग हैं, सरल हैं, आनंदित हैं, | | रुग्ण होगा, विक्षिप्त होगा। अगर शांति चाहिए, आनंद चाहिए, लेकिन सभ्य नहीं हो पाते। आप समझते हैं, क्या कारण है? स्वाभाविकता चाहिए, तो सभ्यता खो जाएगी। आदमी गरीब होगा, आखिर जितनी भी अच्छी कौमें हैं, अच्छी जातियां हैं, जंगलों प्रसन्न होगा, समृद्ध नहीं हो सकता। में छिपी हुई, निर्दोष हैं, वे सभ्य क्यों नहीं हो पातीं? न्यूयार्क और तो फ्रायड ने तो यह कहा है कि आदमी एक असंभव बीमारी बंबई जैसे नगर वे क्यों नहीं बसा पातीं? आकाश में हवाई जहाज है। या तो यह गरीब होगा. सभ्यता के सख इसे नहीं मिल सकेंगे. क्यों नहीं उड़ा पातीं? चांद पर क्यों नहीं पहुंच पातीं? एटम और सभ्यता की समृद्धि इसे नहीं मिल सकेगी। और अगर यह समृद्ध हाइड्रोजन बम क्यों नहीं खोज पातीं? रेडियो और टेलीविजन क्यों होगा, तो यह पागल हो जाएगा, विक्षिप्त हो जाएगा, शांत नहीं नहीं बना पाती? रह जाएगा। ये अच्छे लोग, शांत लोग नाचते तो हैं, लेकिन चांद पर नहीं | । बुद्ध और महावीर जिनको समझा रहे थे, वे बड़े सरल लोग थे। पहुंच पाते। गीत तो गाते हैं, लेकिन एटम बम नहीं बना पाते। खाने | उनका कुछ दबा हुआ नहीं था। इसलिए उन्हें ध्यान में सीधे ले जाया को भी मुश्किल से जुटा पाते हैं; कपड़ा भी न के बराबर, अर्धनग्न। जा सकता था। आप सीधे ध्यान में नहीं ले जाए जा सकते। आप आधे भूखे, लेकिन हैं निर्दोष। चोरी नहीं करते हैं, झूठ नहीं बोलते बहुत जटिल हैं। आप उलझन हैं एक। हैं। वचन दें, तो प्राण भी चले जाएं, तो भी पूरा करते हैं। लेकिन पहले तो आपकी उलझन को सुलझाना पड़े, और आपकी ये लोग सभ्य क्यों नहीं हो पाते? समृद्ध क्यों नहीं हो पाते? जटिलता कम करनी पड़े, और आपके रोगों से थोड़ा छुटकारा तो फ्रायड का कहना है, और ठीक कहना है, कि ये लोग इतने करना पड़े। टेम्परेरी ही सही, चाहे अस्थायी ही हो, लेकिन थोड़ी आनंदित हैं और इतने सरल हैं कि इनके भीतर भाप इकट्ठी नहीं हो | | देर के लिए आपकी भाप को अलग कर देना जरूरी है, जो आपको पाती, जिससे सभ्यता का इंजन चलता है। इनका क्रोध इकट्ठा नहीं | उलझाए हुए है। तो आप ध्यान की तरफ मुड़ सकते हैं, अन्यथा हो पाता, घृणा इकट्ठी नहीं हो पाती, कामवासना इकट्ठी नहीं हो | आप नहीं मुड़ सकते। पाती। वही इकट्ठी हो जाए, तो उसी स्टीम, उसी भाप को फिर दूसरी | इसलिए दुनिया की सारी पुरानी पद्धतियां ध्यान की, आपके तरफ मोड़ा जा सकता है। तो फिर उससे ही मकान जमीन से उठना कारण व्यर्थ हो गई हैं। आज उनसे कोई काम नहीं हो रहा है। आपमें शुरू होता है, आकाश तक पहुंच जाता है। वह आपके दमित वेगों सौ में से कभी एकाध आदमी मुश्किल से होता है, जिस पर पुरानी की भाप है। नहीं तो झोपड़े से आप आकाश छूने वाले मकान तक पद्धति पुराने ही ढंग में काम कर पाए। निन्यानबे आदमियों के लिए नहीं जा सकते। कोई पुरानी पद्धति काम नहीं कर पाती। यह सारी की सारी सभ्यता डाइवर्शन है आपकी शक्तियों का। ___ उसका कारण यह नहीं है कि पुरानी पद्धतियां गलत हैं। उसका इसलिए परिणाम साफ है कि कोई आदमी सरल हो, शांत हो, कुल कारण इतना है कि आदमी नया है और पद्धतियां जिन | 1700
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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