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________________ 0 भक्ति और स्त्रैण गुण आप वर्षों में अकेले नहीं कर सकते, वह क्षणों में हो सकता है। | भीतर प्रवेश कर सकता हूं। और आपके भीतर से बहुत कुछ बदला लेकिन हिम्मत की जरूरत है कि आप बीस मिनट आंख एकटक जा सकता है। मेरी ओर देखते रहें। और आपको किसी को भी नहीं देखना है। - और यह प्रयोग इसलिए है कि आपको एक झलक मिल जाए। यहां इतने लोग हैं, आपको मतलब नहीं। आपको मुझे देखना है। क्योंकि हम उसकी खोज भी कैसे करें, जिसकी हमें झलक ही न आपके पड़ोस में कोई चीखने-चिल्लाने लगे, रोने लगे, कुछ करने हो? जिस परमात्मा का हमें जरा-सा भी स्वाद नहीं है, हम उसकी लगे, आपको आंख नहीं फेरनी है। आपको मेरी तरफ देखना है। | खोज पर भी कैसे निकलें? थोड़ी-सी झलक हो, थोड़ा-सा उसका यह प्रयोग गुरु-गंभीर है। और इसको अगर आप थोड़ी | स्वर सुनाई पड़ जाए, थोड़े-से उसके आनंद का झरना फूट पड़े, समझपूर्वक करेंगे, तो बड़े अनुभव को उतर जाएंगे। थोड़ा-सा उसका प्रकाश दिखाई पड़ जाए, तो फिर हम भी दौड़ बीस मिनट आपको मेरी तरफ देखते रहना है। और जो कुछ पड़ेंगे। फिर हमारे पैरों का सारा आलस्य मिट जाएगा। और फिर आपके भीतर हो, उसे होने देना है। कोई चीखने लगेगा, कोई हमारे प्राणों की सारी सुस्ती दूर हो जाएगी। लेकिन एक झलक मिल चिल्लाने लगेगा, कोई रोने लगेगा। किसी ने रोना रोक रखा है | जाए। जरा-सी झलक! फिर हम उसकी खोज कर लेंगे जन्मों-जन्मों सालों से, जन्मों से; घाव भरे हैं, वे बहने लगेंगे। कोई खिलखिला | में। फिर वह हमसे बच नहीं सकता। फिर वह कहीं भी हो, हम कर हंसने लगेगा। कोई पागल जैसा व्यवहार करने लगेगा। उसकी उसका पता लगा लेंगे। फिक्र न करें। और आपके भीतर भी कुछ होना चाहे, तो उसे रोकें मैंने सुना है कि एक गांव से जिप्सियों का एक समूह निकलता मत। यह साहस हो, तो ही आना। था। और गांव के एक बच्चे को, जो चर्च के पादरी का बच्चा था, पागल होने की हिम्मत हो, तो ही आना। अपने को रोक लिया, | | उन्होंने चुरा लिया। उसे उन्होंने अपनी बैलगाड़ी में अंदर बंद करके तो आपका आना व्यर्थ हुआ और आपके कारण आस-पास की | डाल दिया है और उनका समूह आगे बढ़ने लगा। हवा भी व्यर्थ होगी। आप मत आना। आपकी कोई जरूरत नहीं है। जिप्सी अक्सर बच्चे चुरा लेते हैं। वह छोटा बच्चा था। उसकी बीस मिनट आपकी सारी बीमारी, सारी विक्षिप्तता को मैं खींचने कुछ समझ में न आ रहा था कि क्या हो रहा है। लेकिन गाड़ी में की कोशिश करूंगा आपकी आंखों के जरिए। अगर आपने मेरे पड़े हुए उसका ध्यान तो अपने गांव की तरफ लगा था, कि गांव साथ सहयोग किया, तो आपके न मालूम कितने मानसिक तनाव, दूर होता जा रहा है! बीमारी, चिंता गिर जाएगी। आप एकदम हलके हो जाएंगे। सांझ का वक्त था और चर्च की घंटियां बज रही थीं। वह घंटी फिर बीस मिनट मौन रहेगा। उस मौन में फिर पत्थर की तरह को सुनता रहा। जैसे-जैसे गाड़ी दूर होती गई, घंटी की आवाज होकर बैठ जाना है। आंख बंद और शरीर मुर्दे की तरह छोड़ देना है। | धीमी होती गई। लेकिन वह और गौर से सुनता रहा। क्योंकि फिर बीस मिनट; आखिरी चरण में, आपको अभिव्यक्ति का | | शायद यह आखिरी बार होगा। अब दोबारा यह मौका आए न मौका होगा कि इस बीस मिनट के मौन में आपको जो आनंद | आए। वह अपने गांव की आवाज सुन सकेगा या नहीं! और इस उपलब्ध हुआ हो-और गहन आनंद उपलब्ध होगा—और जो | | गांव की एक ही याददाश्त, यह बजती हुई घंटी का धीमा होते जाना, शांति आपने जानी हो, अपरिचित, कभी न जानी, वह आपके भीतर | धीमा होते जाना...। झरने की तरह बहने लगेगी, उसको अभिव्यक्ति देने के लिए बीस और वह इतने गौर से सुनने लगा कि राह पर चलती हुई गाड़ियों मिनट होंगे। की आवाज, घोड़ों की आवाज, जिप्सियों की बातचीत, सब उसे कोई खुशी से नाचेगा, कोई गीत गाएगा, कोई कीर्तन करेगा। भूल गई। सिर्फ उसे घंटी की आवाज सुनाई पड़ती रही। बड़े दूर लेकिन आपको दूसरे पर ध्यान नहीं देना है। आपको अपने भीतर तक सन्नाटे में वह सुनता रहा। का ही भाव देखना है, कि अगर मुझे नाचना है, तो नाच लूं: शांत फिर वर्षों बीत गए। बड़ा हो गया। उसके गांव की उसे सिर्फ एक बैठना है, शांत बैठा रहूं; गाना है, तो गा लूं। और किसी की चिंता ही याद रह गई, वह घंटी की आवाज। अपने बाप का नाम उसे याद न करूं। | न रहा; अपने गांव का नाम याद न रहा; अपने गांव की शक्ल याद एक घंटे अगर आप मेरे साथ सहयोग करते हैं, तो मैं आपके न रही। उसका चर्च, उसका घर, कैसा था, वह सब विस्मृत हो | 157
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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