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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-60 हजार आप ले लेना। पादरी ने कहा, क्या कहा? पांच हजार! | अपने अहंकार को पूरा प्रोजेक्ट कर दें। फूल में डुबा दें अपने उसको हार्ट अटैक हो गया। वह वहीं गिर पड़ा। सच, पांच हजार! अहंकार को। वह पहली दुर्घटना चर्च के पादरी के साथ हो गई। जैसे-जैसे आपका अहंकार फूल में प्रवेश करने लगेगा, आपको __ आदमी, सुख हो या दुख, जब भी कुछ तीव्र होता है, तो फूल भारी मालूम पड़ने लगेगा। अगर आपने ठीक से प्रयोग किया, विचलित हो जाता है। सम का अर्थ है, जो विचलित नहीं होता। जो तो आपको फूल का भारीपन स्पष्ट अनुभव होगा। न केवल फूल भी आता है, उसे ले लेता है; कि ठीक है, आया, चला जाएगा। | भारी होने लगेगा, जैसे-जैसे आपका अहंकार प्रवेश करेगा, फूल सुबह आई, सांझ आई, अंधेरा आया, प्रकाश आया, सुख-दुख कुम्हलाने और मुरझाने लगेगा। आया, मित्र-शत्रु-ले लेता है चुपचाप और अलिप्त दूर खड़ा ___ पूरे प्राणों से अपने को उंडेल दें, कि सारा अहंकार मेरा इस फूल देखता रहता है। में समा जाए। यह भावना करते और सब विचार छोड़कर...। कोई ऐसा व्यक्ति, कृष्ण कहते हैं, मुझे प्रिय है। विचार बीच में आ जाए, जैसे ही खयाल आए, छोड़कर वापस इसी दो-तीन बातें कल के संबंध में। कल वे ही मित्र यहां आएं, जो विचार में लग जाएं कि यह फूल मेरा अहंकार है। आप अगर सच में ही भक्ति के इस भाव में उतरना चाहते हों. क्योंकि कल अपने अहंकार को इस फल में समाविष्ट । प्रयोग का दिन होगा। गीता का एक सूत्र बचा है, वह मैं परसों परिणाम हो सकेगा। लूंगा। कल कोई गीता का सूत्र नहीं लूंगा। कल बात नहीं होगी, आपको फूल लाकर यहां चुपचाप बैठ जाना है। और कल आप कुछ कृत्य होगा। | यहां आकर बिलकुल बातचीत न करें। बिलकुल जबान बंद कर इतने दिन जिन्होंने सुना है, अगर उन्हें लगता हो कि कुछ करने | लें। क्योंकि आपकी बातचीत आपके प्रयोग में बाधा बनेगी। जैसे जैसा भी है, सिर्फ सुनने जैसा नहीं है, केवल वे ही लोग आएं। | ही प्रवेश करें ग्राउंड पर, चुपचाप अपनी जगह जाकर बैठ जाएं। जिनको सुनना है, वे परसों आएं, कल उनके लिए छुट्टी है। जिन्हें | फूल को दोनों हाथों के बीच में ले लें और एक ही भाव करते रहें कुछ करना है, कल वे ही लोग आएं। | आंख बंद करके, कि इस फूल में मेरा सारा अहंकार प्रवेश कर रहा इसे जरा ईमानदारी से खयाल रख लेना, क्योंकि यहां कोई | है। जब तक मैं न आ जाऊं, आपको यह प्रयोग करते रहना है। फिर रुकावट नहीं लगाई जा सकती। अगर आपको नहीं करना है, तो आने के बाद मैं आपको कहंगा कि अब क्या आगे करें। भी आप आ गए, तो कोई रुकावट नहीं लग सकती। लेकिन वह | एक घंटे का हम प्रयोग करेंगे। यह प्रयोग सामूहिक शक्तिपात आपकी बेईमानी होगी। आप मत आएं। आते हों, तो करने का तय | का प्रयोग है। अगर आप अपने अहंकार को छोड़ने को राजी हो करके आएं कि यहां कुछ प्रयोग होगा, उसमें सम्मिलित होना है। | गए, अगर आपने अपने अहंकार को फूल में समाविष्ट कर लिया, पहली बात। | तो मैं आऊंगा और कहूंगा कि इस फूल को अब फेंक दें। मैं जब दूसरी बात, जो लोग यहां आने वाले हैं, वे एक फूल अपने तक न कहूं, तब तक आपको रखे बैठे रहना है। उस फूल के गिराते साथ, कोई भी फूल ले आएं। और पूरे रास्ते एक ही बात मन में | ही आपको लगेगा कि जैसे सिर से पूरा बोझ, एक भार, एक पहाड़ पुनरुक्त करते रहें बार-बार जप की तरह, कि यह फूल मेरा | हट गया। और उसके हटने के बाद एक काम हो सकेगा। अहंकार है, यह फूल मेरी अस्मिता है, यही मेरी ईगो है। उस फूल बीस मिनट तक पहले चरण में, यहां कुछ संगीत चलता रहेगा में अपने सारे अहंकार को समाविष्ट कर दें। और मैं आपकी तरफ देखता रहूंगा। उन बीस मिनट में आपको एक ही भाव आंख खोलकर भी करें, फूल को देखें; आंख बंद | एकटक मेरी ओर देखते रहना है। चाहे पलक से आंस बहने लगें, करके भी करें। फूल को सूंघे और समझें कि यह मेरा अहंकार है, | आपको पलक नहीं झपनी है। बीस मिनट आपको एकटक मेरी जिसको मैं सूंघ रहा हूं। छुएं, और समझें कि यह मेरा अहंकार है, ओर देखना है। सारी दुनिया मिट गई; मैं हूं और आप हैं। बस, हम जिसको मैं छू रहा हूं। देखें, और समझें कि यह मेरा अहंकार है, दो बचे हैं। जिसको मैं देख रहा हूं। अगर आपको यह खयाल में आ गया कि हम दो बचे हैं-मैं घर से आते वक्त, पूरे रास्ते फूल में ही अपने ध्यान को रखें और और आप-तो मैं आप पर काम करना शुरू कर दूंगा। और जो 1156
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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