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________________ गीता दर्शन भाग-6 गया। वह बहुत छोटा बच्चा था। लेकिन एक बात चित्त में कहीं गहरे उतर गई, वह घंटी की आवाज । अब घंटी की आवाज से क्या होगा? कैसे वापस खोजे ? जवान होकर वह भाग खड़ा हुआ। जिप्सियों को उसने छोड़ दिया । और वह हर गांव के आस-पास सांझ को जाकर खड़ा हो जाता था, जिस भी गांव के पास होता, और घंटी की आवाज सुनता था । कहते हैं कि पांच साल की निरंतर खोज के बाद आखिर एक दिन एक गांव के पास उसे चर्च की घंटी पहचान में आ गई। यह वही घंटी थी। फिर चर्च से दूर जाकर भी उसने देख लिया। जैसे-जैसे दूर गया, घंटी वैसी ही धीमी होती गई, जैसी पहली बार हुई थी। फिर वह भागा हुआ चर्च में पहुंच गया। एक स्वर मिल गया। वह चर्च भी पहचान गया। वह पिता के चरणों में गिर पड़ा। पिता बूढ़ा था और मरने के करीब था । और पिता नहीं पहचान पाया। और उसने अपने बेटे से पूछा कि तूने कैसे पहचाना? तू कैसे पहचाना? तू कैसे वापस आया? मैं तक तुझे भूल गया हूं! तो उसने कहा, एक आवाज, इस चर्च घंटी की आवाज मेरे साथ थी । कल के इस प्रयोग में अगर आपको थोड़ी-सी भी आवाज परमात्मा की सुनाई पड़ जाए, तो वह आपके साथ रहेगी। और जन्मों-जन्मों में कहीं भी वह आवाज सुनाई पड़ जाए, आप समझेंगे कि परमात्मा का मंदिर निकट है, खोज हो सकती है। लेकिन कल केवल वे ही लोग आएं, जो प्रयोग करने की तैयारी रखते हों। बाकी – ईमानदारी से कोई व्यक्ति न आए। अब हम कीर्तन करें। पांच मिनट बैठे रहें अपनी जगह पर उठें | कीर्तन के बाद जाएं। 158
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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