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भक्ति और स्त्रैण गुण .
खतरनाक है। यह कांटा जान ले लेगा।
महावीर के शिष्य ठीक उनके विपरीत हैं। कृष्ण के परमात्मा का विचार, उसका ध्यान, इस जगत के सारे कांटों को शिष्यों में भी कोई कृष्ण नहीं है। क्या फिर भी आप निकाल देने के लिए है। लेकिन वह भी कांटा है।
गुरु-शिष्य प्रणाली पर विश्वास करते हैं? पर जल्दी मत करना यह सोचकर कि अगर कांटा है. तो फिर हमको क्या मतलब है! हम तो वैसे ही कांटों से परेशान हैं, और एक कांटा क्या करेंगे? इतनी जल्दी मत करना। वह कांटा इन सारे 11 हली तो बात यह कि आपकी जानकारी बहुत कम है। कांटों को निकालने के काम आ जाता है। और जिस दिन आपका 4 बुद्ध के शिष्यों में हजारों लोग बुद्ध बने। गौतम बुद्ध कांटा निकल गया, उस दिन दोनों कांटों को साथ-साथ फेंक देना नहीं बने। गौतम बुद्ध कोई भी नहीं बन सकता है पड़ता है। फिर उस कांटे को रखना नहीं पड़ता।
दूसरा। बुद्ध बने, बुद्धत्व को उपलब्ध हुए। जैसे सब वासनाएं खो जाती हैं, अंत में परमात्मा को पाने की | गौतम बुद्ध, वह जो शुद्धोदन का पुत्र सिद्धार्थ है, उसका जो । वासना भी छोड़ देनी पड़ती है। वह आखिरी वासना है। उसके व्यक्तित्व है, उसका जो ढंग है, वैसा तो किसी का कभी नहीं होने छूटते ही आपको पता चलता है कि वह मिला ही हुआ है। | वाला। वैसा तो वह अकेला ही है इस जगत में।
हमारी भाषा में अड़चन है। ऐसा लगता है कि परमात्मा कहीं है, __आप भी अकेले हैं, अद्वितीय हैं, बेजोड़ हैं। आप जैसा आदमी जिसको खोजना है। दूर कहीं छिपा है, जिसका पता लगाना है। न कभी हुआ और न कभी होगा। कोई उपाय नहीं है आप जैसा कहीं दूर है, जिसका रास्ता होगा, यात्रा होगी।
आदमी होने का। अनरिपीटेबल! आपको पुनरुक्त नहीं किया जा यह भ्रांति है। परमात्मा आपका अस्तित्व है। आपके होने का | | सकता। डिट्टो, आपका कोई आदमी खड़ा नहीं किया जा सकता। नाम ही परमात्मा है। आप हैं इसलिए कि वह है। उसी की श्वास आप बिलकुल बेजोड़ हैं। है, उसी की धड़कन है। यह आपकी भ्रांति है कि श्वास मेरी है और यह अस्तित्व एक-एक चीज को बेजोड़ बनाता है। परमात्मा धड़कन मेरी है। बस, यह भ्रांति भर टूट जाए, तो वह प्रकट है। | बड़ा अदभुत कलाकार है। वह नकल नहीं करता। बड़े से बड़ा वह कभी छिपा हुआ नहीं है।
कलाकार भी नकल में उतर जाता है। ___ और यह भ्रांति तब तक बनी रहेगी, जब तक आप सोचते हैं कि एक दफा पिकासो के पास एक चित्र लाया गया। पिकासो के मुझे कुछ पाना हैं-परमात्मा पाना है तो आप बने हैं। आपकी चित्रों की कीमत है बड़ी। उस चित्र की कीमत कोई पांच लाख रुपए वासना के कारण आप बने हुए हैं। और जब तक वासना है, तब थी। और जिस आदमी ने खरीदा था, वह पक्का करने आया था कि तक आप भी भीतर रहेंगे। नहीं तो वासना कौन करेगा! यह चित्र ओरिजिनल है? आपका ही बनाया हुआ है? किसी ने ..और जब वासनाएं सभी खो जाती हैं, आखिरी वासना भी खो नकल तो नहीं की है? तो पिकासो ने चित्र देखकर कहा कि यह जाती है, तो आप भी खो जाते हैं। क्योंकि जब वासना नहीं, तो नकल है; ओरिजिनल नहीं है। वासना करने वाला भी नहीं बचता है। वह जब मिट जाता है. वह आदमी तो बडी मश्किल में पड़ गया। उसने कहा. लेकिन तत्क्षण दृष्टि बदल जाती है। जैसे अचानक अंधेरे में प्रकाश हो | जिससे मैंने खरीदा है, उसने कहा है कि उसकी आंख के सामने जाए। और जहां कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता था, वहां सब कुछ आपने यह चित्र बनाया है! दिखाई पड़ने लगे। वासना के खोते ही अंधेरा खो जाता है और तो वह आदमी लाया गया। और उस आदमी ने कहा कि हद कर प्रकाश हो जाता है।
रहे हो; क्या भूल गए? यह चित्त तो मैं मौजूद था तुम्हारे सामने, जब तुमने इसे बनाया। यह तुम्हारा ही बनाया हुआ है। पिकासो ने
कहा, मैंने कब कहा कि मैंने नहीं बनाया! लेकिन यह भी नकल है, आखिरी सवाल। एक मित्र ने पूछा है कि बुद्ध के | क्योंकि पहले मैं ऐसा एक चित्र और बना चुका हूं। उसकी नकल शिष्यों में कोई भी उनकी श्रेणी का नहीं हुआ। क्राइस्ट | है। मैं भी चुक जाता हूं बना-बनाकर, तो फिर रिपीट करने लगता के शिष्यों में भी कोई दूसरा क्राइस्ट नहीं बन सका।। हूं खुद ही को। इसलिए इसको मैं ओरिजिनल नहीं कहता। इससे
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