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________________ गीता दर्शन भाग-60 उस महान फकीर के पास शिक्षित होकर वापस लौट रहा है। लेकिन आपकी हालत ऐसी है कि कचरे से भरा सोना हैं आप, लेकिन जब फकीर लड़के को लेकर दरवाजे पर राजमहल के | | और आग से गुजरकर जो उस तरफ चले गए हैं अनुभवी, उनकी हंचा, तो राजा की छाती बैठ गई। देखा कि फकीर ने अपना बातें सन रहे हैं। और वे कहते हैं कि यह आग है, इससे बचना। बोरिया-बिस्तर सब राजकुमार के सिर पर रखा हुआ है। और कपड़े लेकिन इसी आग से गुजरकर वे शुद्ध हुए हैं। और अगर उनकी उसे ऐसे पहना दिए हैं, जैसे कि कोई कुली कपड़े पहने हो। | बात मानकर तुम इसी तरफ रुक गए, और तुमने कहा, यह आग सम्राट तो बहुत क्रोध से भर गया। और उसने कहा कि मैंने | हम बचेंगे. तो ध्यान रखना कि वह कचरा भी बच जाएगा शिक्षा देने भेजा था, मेरे लड़के का इस तरह अपमान करने नहीं! | जो आग में जलता है। फकीर ने कहा कि अभी आखिरी सबक बाकी है। अभी बीच में आग से गजरना। उन अनभवियों से पछना कि तम यह कुछ मत बोलो। और अभी साल पूरा नहीं हुआ है, सूरज ढलने को | | गुजरकर कह रहे हो कि बिना गुजरे! और अगर यह तुम गुजरकर शेष है। अभी लड़का मेरे जिम्मे है। तब उस फकीर ने अपने सामान | | कह रहे हो और मैंने बिना गुजरे यह बात मान ली, तो मैं डूब गया में से एक कोड़ा निकाला। सब सामान लड़के से नीचे रखवाकर | तुम्हारे साथ। उचित है; तुम्हारी बात मैं खयाल रखूगा। लेकिन मुझे उसे सात कोड़े लगाए दरबार में। | भी अनुभव से गुजर जाने दो। मेरे भी कचरे को जल जाने दो। राजा तो चीख पड़ा, लेकिन अपने वचन से बंधा था कि एक | ___ कामवासना आग है, लेकिन उसमें बहुत-सा कचरा जल जाता साल के लिए दिया था। और सूरज अभी नहीं डूबा था। लेकिन | | है। अगर आप बोधपूर्वक, समझपूर्वक, होशपूर्वक कामवासना में उसने कहा कि कोई हर्ज नहीं, सूरज डूबेगा; और न तुझे फांसी | | उतर पाएं, तो आपका सब कचरा जल जाता है, आप सोना बन लगवा दी—उस फकीर से कहा-सूरज डूबेगा; तू घबड़ा मत। | जाते हैं। और वह जो सोना है, वही क्रांति है। वह जो सोने की कोई फिक्र नहीं त कर ले। एक साल का वायदा है। | उपलब्धि है, वही क्रांति है। लेकिन और दरबारियों में बूढ़े समझदार लोग भी थे। उन्होंने तो मैं आपसे कहना चाहता हूं, जो आपके अनुभव से आए, उसे राजा से कहा कि थोड़ा पूछो भी तो उससे कि वह क्या कर रहा है! | आने देना। और जल्दी मत करना। उधार अनुभव मत ले लेना। आखिर उसका प्रयोजन क्या है? उनसे ज्ञान तो बढ़ जाएगा, आत्मा नहीं बढ़ेगी। उनसे बुद्धि में तो किसी ने पूछा, तो फकीर ने कहा, मेरा प्रयोजन है। यह कल | | विचार तो बहुत बढ़ जाएंगे, लेकिन आप वही के वही रह जाएंगे। राजा बनेगा। और अनेक लोगों को कोड़े लगवाएगा। इसे कोड़े का | आग से गुजरे बिना कोई उपाय नहीं है। सस्ते में कुछ भी मिलता अनुभव होना चाहिए। इसे पता होना चाहिए कि कोड़े का मतलब | नहीं है। क्या है। कल यह राजा बनेगा और न मालूम कितने लोग इसका | कामवासना एक पीड़ा है। उसमें सुख तो ऊपर-ऊपर है, भीतर सामान ढोने में जिंदगी व्यतीत कर देंगे। इसको पता होना चाहिए | | दुख ही दुख है। बाहर-बाहर झलक तो बड़ी रंगीन है, बड़ी इंद्रधनुष कि जो आदमी सड़क पर सामान ढोकर आ रहा है, उसके भीतर | जैसी है। लेकिन भीतर हाथ कुछ भी नहीं आता। सिर्फ उदासी, की गति कैसी है। इसे राजा होने के पहले उन सब अनुभवों से गुजर | सिर्फ विषाद, सिर्फ आंसू हाथ लगते हैं। लेकिन वे आंसू बाहर से जाना चाहिए, जो कि राजा होने के बाद इसको कभी न मिल सकेंगे। बहुत चमकते हैं और मोती मालूम पड़ते हैं। लेकिन पास जाकर ही लेकिन अगर यह उनसे नहीं गुजरता है, तो यह हमेशा अप्रौढ़ रह | पता चलता है कि मोती झूठे हैं और आंसू हैं, और पीछे सिर्फ विषाद जाएगा। तो मैंने सालभर में इसकी एक ही शिक्षा पूरी की है पूरे | रह जाता है। लेकिन इससे गुजरना होगा। साल में, कि जो इसको राजा होने के बाद कभी भी न होगा. उस | इससे जो बच जाता है. आप बच भी नहीं पाते। बचने का सब से मैंने इसे गुजार दिया है। मतलब केवल इतना है कि आप पास ही नहीं जा पाते मोती के पूरे यह संसार एक विद्यापीठ है। और परमात्मा आपको बहुत-से | | कि पता चल जाए कि वह आंसू की बूंद है, मोती नहीं है। आप अनुभव से गुजार रहा है। बहुत तरह की आगों में जला रहा है। वह जाते भी हैं, क्योंकि भीतर वासना का धक्का है। परमात्मा कह रहा जरूरी है। उससे निखरकर आप असली कुंदन, असली सोना | है कि जाओ, क्योंकि अनुभव से गुजरोगे, तो ही निखरोगे। जाओ। बनेंगे। सब कचरा जल जाएगा। परमात्मा बहुत निःशंक भेज रहा है। एक-एक बच्चे को भेज रहा | 148|
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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