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® उद्वेगरहित अहंशून्य भक्त @
लेना चाहते हैं। इसलिए आप उलझन में हैं।
है। उनकी मनोदशा ऐसी है कि वे चाहते हैं, अगर शांति मिल जाए, आप अगर सच में ही समझ गए हैं कि यह जीवन दुख है, पीड़ा | तो शांति से ये सब मनोवासनाएं पूरी कर लें। है, संताप है, नरक है, तो आप भीतर की तरफ लौटना शुरू हो ही | यह कंट्राडिक्शन है। यह नहीं हो सकता। जाएंगे। कोई आपको रोक न सकेगा।
एक युवक मेरे पास आया। विश्वविद्यालय की किसी बड़ी बुद्ध घर से गए। उनका सारथि उन्हें छोड़ने गया था। सारथि बड़ा | परीक्षा के लिए तैयारी कर रहा है। उसने मुझे कहा कि मन बड़ा दुखी हो रहा था कि बुद्ध भी कैसा नासमझ है! कैसा नासमझ | अशांत है। और इसीलिए आपके पास आया हूं। धर्म की, ज्ञान की लड़का हुआ शुद्धोदन को। लोग जन्मों तक तड़पते हैं, तब कहीं | | मुझे कोई जरूरत नहीं है। मुझे तो सिर्फ, अभी परीक्षा पास है, और ऐसे सम्राट के घर में जीवन मिलता है। ऐसे सुंदर महल, ऐसी सुंदर | जीवन दांव पर लगा है; मुझे प्रथम आना है। प्रथम श्रेणी में प्रथम पत्नी, ऐसा सारा साज-सामान, सारा वैभव छोड़कर यह नासमझ | आना है। आप कोई ऐसी तरकीब बता दें कि मेरा मन शांत हो जाए। लड़का भागा जा रहा है!
मैंने कहा, शांति तू किसलिए चाहता है? उसने कहा कि आखिरी. जब बद्ध उतरने लगे और उन्होंने कहा कि अब रथ को | इसीलिए। अगर शांत हो जाऊं, तो यह प्रथम आने का काम पूरा तू वापस ले जा। तो उस बूढ़े सारथि ने कहा कि माना कि तुम | | हो जाए। अशांति में तो यह न हो सकेगा। मालिक हो और मैं नौकर, लेकिन यह क्षण ऐसा है कि चाहे उसकी बात तर्कयुक्त है। इतना मन अशांत है, तो कैसे श्रम करूं
अशिष्टता भले हो जाए, मुझे कुछ कहना चाहिए। तुम यह क्या कर प्रथम आने का! यह अशांति ही शक्ति खा रही है। इसलिए शांति रहे हो? महलों को छोड़कर जा रहे हो? सारी दुनिया महलों की की तलाश में है। लेकिन उसे पता नहीं कि अशांत क्यों है वह? तरफ आ रही है। सब की आकांक्षा यही है कि कैसे महल में पहुंच अशांति इसीलिए है कि प्रथम आना चाहता है। वह जो महत्वाकांक्षा जाएं। और तम महल छोड़कर जा रहे हो? क्या नासमझी कर रहे है, वही अशांति ला रही है। हो? मुझ बूढ़े की बात पर ध्यान दो!
__ अब बड़ी उपद्रव की बात है। वह चाहता है शांति, ताकि तो बुद्ध ने कहा कि जहां तुझे महल दिखाई पड़ते हैं, वहां मुझे | महत्वाकांक्षा पूरी हो सके। और महत्वाकांक्षा से ही अशांति पैदा हो आग की लपटों के सिवाय और कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। तो | रही है। अन्यथा अशांति का कोई कारण नहीं है। जिनको महल दिखाई पड़ रहे हैं, वे उस तरफ जा रहे हैं। मैं महलों __ क्या किया जाए इस युवक के लिए? कोई भी शांति का रास्ता में रहकर लपटें देखकर उस तरफ से हट रहा हूं। अगर महल होते, कारगर नहीं होगा। क्योंकि अशांति के बीज तो भीतर गहरे में हैं, तो मैं भी रुक जाता। लेकिन महल वहां हैं नहीं।
उन्हीं से अशांति पैदा हो रही है। ___ वह बूढ़ा छन्ना रोने लगा; वह सारथि रोने लगा। उसकी आंख ___ उससे मैंने कहा कि शांति की तू फिक्र छोड़। तू पहले मुझे यह से आंसू झरने लगे। उसने कहा कि तुम यह क्या कह रहे हो? मेरी बता कि अशांति क्यों हो रही है? क्योंकि अशांति का कारण हट समझ में नहीं आता। तुम किसी भूल में तो नहीं पड़ गए हो? तुम जाए, तो तू शांत हो जाएगा। किसी भ्रम में तो नहीं हो?
उसने कहा, वह भी मेरी समझ में आता है। आपकी बात भी मेरी बुद्ध ने कहा कि भ्रम में वे लोग हैं, जो महल की तरफ जा रहे | | समझ में आती है कि अशांति का कारण यही है कि मैं प्रथम आना हैं। मैं उस जीवन की खोज के लिए निकला हूं अब, जिसमें आग | चाहता हूं। यही उपद्रव है मेरे मन में कि अगर प्रथम न आया, तो की लपटें नहीं हैं। मैं उस शीतल जीवन की खोज में जा रहा हूं, जहां | क्या होगा! उसी से पीड़ित हो रहा हूं। अगर मैं यही वासना छोड़ दूं कोई लपट नहीं है।
प्रथम आने की, तो अशांति का और कोई कारण नहीं है। मगर हम भी चाहते हैं कि ऐसा शीतल जीवन हो। मेरे पास लोग तो फिर मैंने कहा, तू ठीक से तय कर ले। अगर महत्वाकांक्षा आते हैं, वे कहते हैं, शांत हो मन! लेकिन उनकी सब आकांक्षाएं चाहिए, तो अशांत होने की हिम्मत चाहिए। मैं नहीं कहता कि तू अशांति की हैं। उनकी सब आकांक्षाएं, जिनको वे तृप्त करना महत्वाकांक्षा छोड़। फिर अशांति को स्वीकार कर। वह उसका चाहते हैं, अशांति की हैं। और शांति भी चाहते हैं। और जिन | | हिस्सा है। और अगर शांति चाहिए, तो महत्वाकांक्षा को छोड़। आकांक्षाओं को परिपोषित करते हैं, उन सब से अशांति पैदा होती | फिर वह साहस कर। वह शांति का अनिवार्य हिस्सा है।
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