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0 गीता दर्शन भाग-60
अगर कोई आदमी भूलना बंद कर दे, तो फिर याद करना उसी दिन | | यह कोई परमात्मा आपको खेल खिला रहा है, ऐसा नहीं है। आप बंद हो जाएगा।
ही खेल रहे हैं। यह हमारी धारणा में ऐसा बैठा हुआ है कि कोई ऊपर थोड़ा सोचें, दिनभर में जितनी घटनाएं घटती हैं, अगर वे सब परमात्मा बैठा है, और वह आपको खिला रहा है। ऐसा अगर कोई आपको याद रह जाएं, कुछ भी आप भूलें न। आपको पता है, परमात्मा हो, जो आपको यह खेल खिला रहा है, तो उसकी हालत कितनी घटती हैं? हिसाब मनोवैज्ञानिक लगाते हैं, तो कम से कम शैतान से भी बदतर होगी। आपको नाहक सता रहा है! एक आदमी की इंद्रियों पर दस लाख संघात होते हैं चौबीस घंटे में, यह तो ऐसा हुआ, जैसा कि छोटे बच्चे मेंढक को सता रहे हैं; कम से कम। यह भी उस आदमी के, जो कुछ ज्यादा न कर रहा पत्थर मार रहे हैं। क्योंकि वे खेल खेल रहे हैं और मेंढक की जान हो। ज्यादा करने वाले को तो और ज्यादा होंगे।
जा रही है। आप नाहक परेशान हो रहे हैं, कोई परमात्मा ऊपर बैठा ___ दस लाख स्मृतियां बनती हैं। अगर वे सब आपको याद रह हुआ खेल खेल रहा है! वह भी अब तक ऊब गया होता। इतना जाएं, तो दूसरे दिन आपका पता भी न चलेगा कि कहां आप चले खेल हो चुका और सार तो कुछ इस खेल में से दिखाई पड़ता नहीं। गए। आप पागल हो जाएंगे। अगर दस लाख याद रह जाएं, तो नहीं: यह धारणा ही गलत है कि कोई परमात्मा ऊपर बैठकर आपको यह भी याद न रहेगा कि आप कौन हैं! आपकी पत्नी कौन आपको खेल खिला रहा है। आप, परमात्मा खेल खेल रहे हैं। यह है! आपका घर कहां है! पता-ठिकाना क्या है! यह सब गड़बड़ आपकी मौज है। इसे ठीक से समझ लें और गहरे उतर जाने दें। यह हो जाएगा।
आपका ही निर्णय है कि आप अज्ञानी रहना चाहते हैं। इसे मैं गौर उस दस लाख में से दस भी याद नहीं रह जाती हैं। सब भूल | | से कहता हूं, जोर देकर कहता हूं, क्योंकि इसके परिणाम हैं। जाते हैं। इसलिए आपकी स्मृति काम कर पाती है। इसलिए आपको अगर यह किसी और का निर्णय है कि आप अज्ञानी हैं, तो फिर पता रहता है कि आप कौन हैं। घर-ठिकाना कहां है। सांझ दफ्तर आप अपने निर्णय से ज्ञानी न हो सकेंगे। अगर कोई परमात्मा से ठीक अपने ही घर पहुंच जाते हैं। फिर नहीं पहुंच सकेंगे घर, जो | आपको अज्ञानी रखे हुए है, तो फिर उसकी ही मर्जी होगी, तब आप भी दिनभर में घटा है, वह सब याद रह जाए तो।
| ज्ञानी हो जाएंगे। अगर कोई जाल आपको फंसाए चला रहा है, तो वह जो विस्मरण है, उसके कारण स्मृति काम करती है। यह जो| | फिर आप बम
फिर आप बस के बाहर हैं। आप क्या करें? . विरोध है अस्तित्व का, इसे समझ लें।
यह आपका ही निर्णय है कि आप यह खेल खेल रहे हैं। अस्तित्व ध्रुवीयता से, पोलेरिटी से चलता है। यहां अगर धन | छोटे बच्चों को आपने खेल खेलते देखा है? लुकने-छिपने का विद्युत चाहिए, तो ऋण विद्युत के बिना नहीं हो सकती। यहां अगर | | खेल खेलते हैं। खुद की ही आंखें बंद करके बच्चा खड़ा हो जाता पुरुष चाहिए, तो स्त्री के बिना नहीं हो सकता। यहां स्त्री चाहिए, है, ताकि दूसरे छिप जाएं और फिर वह उन्हें खोज सके। तो पुरुष के बिना नहीं हो सकती। यहां दिन चाहिए, तो रात होगी। आप खुद ही अपने से छिप रहे हैं और खोज रहे हैं। यह आपकी
और जन्म चाहिए, तो मौत होगी। यहां विपरीत मौजूद रहेगा। और मौज है। और जिस दिन आप इससे ऊब जाएंगे, खेल खतम करना विपरीत से ही सारी व्यवस्था है।
आपके हाथ में है। जब तक आप कहते हैं कि मैं खतम तो करना चेतना स्मरण कर सकती है, क्योंकि विस्मरण कर सकती है। चाहता हूं, लेकिन खतम होता नहीं है, तब तक समझना कि आप यह चेतना का गुण है। वह आपकी चेतना चाहे तो स्मरण कर बेईमानी की बात कह रहे हैं। सकती है कि कौन है। जिस दिन स्मरण करेगी, उस दिन परमात्मा आज तक ऐसा कभी हुआ नहीं कि किसी ने खतम करना चाहा हो जाएगी। और चाहे तो विस्मरण कर सकती है। जब विस्मरण | हो और खेल चला हो। जो खतम करना चाहता है, उसी वक्त खतम कर दे, तो संसार का एक साधारण हिस्सा हो जाएगी। केवल बात हो जाता है। क्योंकि आपका ही निर्णय खेल का आधार है। इतनी है कि आपको कैसे पुनर्मरण आ जाए।
लेकिन आपकी तरकीब ऐसी है कि आप खेलना भी चाहते हैं,
और खतम करने का मजा भी लेना चाहते हैं। खेलने का भी मजा, लेकिन, पूछा है एक और मित्र ने कि आखिर इस | खतम करने का भी मजा। संसार का भी सुख, और परमात्मा का खेल की परमात्मा को जरूरत क्या है?
भी आनंद। संसार का भी धन, और निर्वाण का भी सुख! सब साथ
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