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ॐ गीता दर्शन भाग-60
यह असंगत है बात। यह तो सिर्फ एक उपाय है कि जो व्यक्ति सब यह जो ज्योतिषी को हाथ दिखाने वाला आदमी है, यह कछ भाग्य पर छोड़ देता है. उसने सब कछ पा लिया। उससे कछ भाग्यवादी नहीं है। भाग्यवादी पंडितों के पास नहीं जाएगा. तांत्रिकों भी छीना नहीं जा सकता। उसकी शांति परम हो जाएगी। उसका | के पास नहीं जाएगा। क्योंकि भाग्यवादी यह कह रहा है कि जो होने आनंद अखंड हो जाएगा। और अगर भगवान है, तो भगवान उसे | | वाला है, वह होगा; उसमें बदलने का भी कोई उपाय नहीं है। मिल जाएगा। जो भी है, वह उसे उपलब्ध हो जाएगा। क्योंकि ___ एक तांत्रिक कह रहा है कि यह मंत्र पूरा कर लो, यह पूजा करवा
अनुपलब्धि की भाषा ही उसने छोड़ दी है। और अगर भगवान उसे | दो, यह पांच सौ रुपये खराब कर दो, ऐसा करो, तो-भाग्य बदल न भी मिले, तो भी उसे बेचैनी नहीं होगी। यह मजा है। उसे कोई जाएगा। जो बदल सकता है, वह भाग्य ही नहीं है। जो नहीं बदल बेचैनी ही नहीं है। वह कहेगा कि जो भाग्य में है, वह होगा। सकता...।
लेकिन यह बात बड़ी गहरी है। आप यह मत समझना कि आप और ध्यान रहे, जो नहीं बदल सकता, उसको जानने का कोई भाग्यवादी हैं, क्योंकि आप चौरस्ते पर बैठे हुए किसी ज्योतिषी | उपाय नहीं हो सकता। क्योंकि जानने से भी बदलाहट शुरू हो जाती को हाथ दिखाते हैं। इसलिए आप भाग्यवादी हैं, यह आप मत | | है। जानना भी एक बदलाहट है। सोचना। अगर भाग्यवादी ही होते, तो चौरस्ते के ज्योतिषी पर जो __ अगर आपको यह पता चल जाए कि कल सुबह आप मर चार आने लेकर आपका भाग्य देखता है, उस पर आपका भरोसा | जाएंगे, तो कल सुबह तक की जो जिंदगी बिना पता चलने में रहती, नहीं हो सकता।
वही नहीं हो सकती पता चलने के बाद। फर्क हो जाएगा। वह जो भाग्यवादी का हाथ तो परमात्मा देख रहा है। उसको बीच के बोध आपको आ गया कि मैं मर जाऊंगा कल सुबह, वह आपकी दलालों की जरूरत नहीं है। और चार आने में यह दलाल क्या | | पूरी रात को बदल देगा। यह रात वैसी ही नहीं हो सकती अब, जैसी बताएगा? कितना बताएगा? और आपको पता नहीं है कि यह भी | कि बिना पता चले आप सोए होते। अब आप सो नहीं सकते। बेचारा दूसरे ज्योतिषी को हाथ दिखाता है!
भाग्यवादी तो मानता है कि जो भी होगा, वह होगा। कुछ करने मैंने सुना है कि दो ज्योतिषी पास ही पास रहते थे। सुबह जब | का उपाय नहीं है। करने वाले की कोई सामर्थ्य नहीं है। विराट की अपने धंधे पर निकलते थे, तो एक-दूसरे से पूछते थे, मेरे बाबत | लीला है; मैं उसका एक अंग मात्र हूं। एक लहर हूं सागर पर। मेरा आज क्या खयाल है? आज कैसा धंधा रहेगा?
अपना कुछ होना नहीं है। एक ज्योतिषी एक बार मेरे पास आया। एक मित्र ले आए थे। ऐसी समझ एक विधि है, एक उपाय है। ऐसी समझ में जो गहरा ज्योतिषी बहुत कीमती था। और एक हजार एक रुपया लेकर ही | उतर जाता है, उसे फिर कुछ भी नहीं खोजना है। परमात्मा भी नहीं हाथ देखते था। मेरे मित्र पीछे पड़े थे कि हाथ दिखाना ही है। एक | खोजना है। परमात्मा खुद उसे खोजता हुआ उसके पास चला हजार एक रुपया वे दे देंगे। मैंने कहा कि अगर हाथ दिखाना है, तो | आता है। रुपये मैं दूंगा। तुम्हें नहीं देने दूंगा।
पर सोचकर! बाकी सब आप खोजें और परमात्मा आपको हाथ मैंने दिखाया। हाथ देखकर उन्होंने बहुत-सी बातें कहीं। खोजे, ऐसा नहीं होगा। बाकी सब खोजना है, तो परमात्मा भी फिर वे रुपए की राह देखने लगे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि आप आपको ही खोजना पड़ेगा। कुछ भी नहीं खोजना है, तो वह इतना भी मेरे हाथ से न समझ सके कि यह आदमी रुपए नहीं देगा | आपको खोज लेगा। आप इतनी मेहनत कर रहे हैं! अपना हाथ देखकर घर से निकले __ अब हम सूत्र को लें। थे? सुबह खयाल कर लिया करें कि कितना मिलेगा कि नहीं | | इस प्रकार शांति को प्राप्त हुआ जो पुरुष सब भूतों में द्वेषभाव मिलेगा। ये तो नहीं मिलने वाले। ये आपके भाग्य में नहीं हैं। | से रहित एवं स्वार्थरहित सबका प्रेमी है और हेतुरहित दयालु है तथा
वह आदमी रोने-धोने लगा कि पांच सौ भी दे दें। फिर सौ पर | | ममता से रहित एवं अहंकार से रहित और सुख-दुखों की प्राप्ति में भी राजी हो गया, कि मैं इतनी दूर आया हूं! मैंने कहा, भाग्य इतनी | सम और क्षमावान है अर्थात अपराध करने वाले को भी अभय देने आसानी से नहीं बदला कि हजार से पांच सौ पर आ गया, सौ पर | | वाला है तथा जो योग में युक्त हुआ योगी निरंतर लाभ-हानि में आ गया! भाग्य में तेरे है ही नहीं!
| संतुष्ट है तथा मन और इंद्रियों सहित शरीर को वश में किए हुए मेरे
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