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________________ O परमात्मा का प्रिय कौन म ह बात मतलब की भी हो सकती है और खतरनाक | ने कहा कि और यह भी हो सकता है, यह न बचे। तो नसरुद्दीन ने 1 भी। मतलब की तो तब, जब जीवन के और हर पहलू कहा कि अगर तुम बचा सको तो, और तुम मार डालो तो, जो भी पर भी यही दृष्टि हो। फिर सुख को भी मत खोजें। | खर्च होगा, वह तो मैं चुकाऊंगा ही।। मिलना होगा, मिल जाएगा। फिर दुख से भी मत बचें; क्योंकि फिर डाक्टर इलाज में लग गया। सात दिन बाद पत्नी मर गई। भोगना है, तो भोगना ही पड़ेगा। फिर जिंदगी में जो कुछ भी हो, | काफी खर्च हुआ। डाक्टर ने बिल भेजा। तो नसरुद्दीन ने कहा कि उसको स्वीकार कर लें; और जो न हो, उसको भी स्वीकार कर लें | ऐसा करें कि हम गांव के पुरोहित के पास चले चलें। डाक्टर ने कि वह नहीं होना है। तो फिर मैं आपको कहता हूं कि भगवान को कहा, क्या मतलब? नसरुद्दीन ने कहा, मैं गरीब आदमी हूं, यह भी मत खोजें। भगवान आपको खोजता हुआ आ जाएगा। लेकिन | बिल पुरोहित जैसा कह देगा, वैसा कर लेंगे। फिर भाग्य की इतनी गहरी निष्ठा चाहिए कि जो होगा, ठीक है। पुरोहित के पास नसरुद्दीन गया। पुरोहित के सामने नसरुद्दीन ने सिर्फ भगवान के संबंध में यह बात और धन के संबंध में खोज | | कहा कि डाक्टर बोलो, हमारी क्या शर्त थी? तो डाक्टर ने कहा, जारी रखें, तो फिर बेईमानी है। धन के संबंध में खोज जारी रखें, | शर्त थी हमारी कि मैं बचाऊं या मारूं, दोनों हालत में तुम मूल्य और उसमें तो कहें कि पुरुषार्थ के बिना क्या होगा! और खोजेंगे । कि पुरुषाथ काबना क्या होगा! और खोजेंगे चुकाओगे। नहीं तो मिलेगा कैसे! और जो लोग खोज रहे हैं, उनको मिल रहा | | तो नसरुद्दीन ने कहा, तुमने मेरी पत्नी को बचाया? तो डाक्टर है। तो ऐसे हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे, तो गंवा देंगे। तो धन की तो | | ने कहा कि नहीं। तो नसरुद्दीन ने कहा, तुमने मेरी पत्नी को मारा? खोज जारी रखें, क्योंकि धन पुरुषार्थ के बिना कैसे होगा! और जब | तो डाक्टर ने कहा कि नहीं। तो नसरुद्दीन ने कहा कि किस समझौते भगवान को खोजने का सवाल आए, तब कहें कि सब भाग्य की | | के बल पर ये पैसे मांग रहे हो? किस हिसाब से? न तुमने बचाया, बात है। होगा, तो हो जाएगा। नहीं होगा, तो नहीं होगा। तो फिर | न तुमने मारा। और मैंने कहा था, बचाओ या मारो, दोनों हालत में धोखा है, आत्मवंचना है। पैसे चुका दूंगा। तो मैं मानता हूं कि अगर भाग्य को कोई पूरी तरह स्वीकार कर हम भी ऐसा रोज-रोज करते रहते हैं। कुछ कानूनी व्यवस्थाएं ले, तो उसे भगवान को खोजने की जरूरत नहीं है। भगवान ही उसे खोजते रहते हैं। खोजेगा। लेकिन भाग्य को पूरा स्वीकार करने का अर्थ समझ लेना। __यह खयाल आपको भगवान को खोजते वक्त ही आया, कि फिर कुछ भी मंत खोजना। फिर खोजना ही मत। फिर यह बात ही भाग्य, या पहले भी कभी आया? छोड़ देना कि मेरे हाथ में करने का कुछ भी है। फिर तो जो भी हो, __असल में जिसकी खोज से बचना है, उसको हम भाग्य पर छोड़ होने देना। जो भी हो, होने देना। अपनी तरफ से कुछ करना ही मत। देते हैं। और जिसे खोजना ही है, उसे हम अपने हाथ में रखते हैं। . अगर कोई व्यक्ति इतने भाग्य पर अपने को छोड़ दे, तो समर्पण | | मगर इसमें ऐसा भी लगता है कि हम तो खोजना चाहते हैं, लेकिन हो गया। उसे भगवान का पता न भी हो, तो भी भगवान उसे मिल भाग्य में ही न हो, तो क्या कर सकते हैं! ही गया, इसी क्षण मिल गया। कोई बाधा न रही। एक तरफ राजी हो जाएं। और पूरी तरह राजी हो जाएं। और कोई लेकिन यह कानूनी बात न हो। यह कोई लीगल तरकीब न हो | तरकीबें न निकालें। तो परमात्मा को खोजना भी जरूरी नहीं है। हमारी। क्योंकि हम बड़े कानूनविद हैं। और हम ऐसी तरकीबें भाग्य परमात्मा को खोजने की गहरी व्यवस्था है। शायद आपने निकालते हैं, जिनका हिसाब नहीं है! इस तरह न सोचा होगा। भाग्यवाद का भाग्य से कोई संबंध नहीं है। __ मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी बीमार थी। मरने के | | भाग्यवाद का संबंध परमात्मा की खोज की एक विधि से है। इसलिए करीब थी। डाक्टर को नसरुद्दीन ने बुलाया। मरने के करीब थी| जो लोग कहते हैं कि सच में भाग्य है या नहीं, वे लोग समझ ही नहीं पत्नी, बीमारी खतरनाक थी, तो डाक्टर ने कहा कि इलाज जरा | | पा रहे हैं। यह तो एक डिवाइस है, यह तो एक उपाय है परमात्मा की महंगा है। | खोज का। यह तो जगत में परम शांति पाने की एक विधि है। नसरुद्दीन ने कहा कि कितना ही महंगा हो, मैं सब चुकाऊंगा; जो व्यक्ति सब कुछ भाग्य पर छोड़ देता है, उसे आप अशांत अपना सब घर बेचकर चुकाऊंगा। लेकिन इसे बचाओ। तो डाक्टर नहीं कर सकते। भाग्य सच में है या नहीं, यह सवाल ही नहीं है।
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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