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________________ O गीता दर्शन भाग-60 और जिंदा दीया हमेशा उपलब्ध है। लेकिन आप हमेशा मरे हुए | मैंने सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन अपने बेटे के साथ बगीचे में घूम दीयों के आस-पास मंडराते हैं। फिर आपका दीया नहीं जलता, तो रहा था। तो उसके बेटे ने पूछा कि पिताजी, सूरज किसने बनाया? आप पूछते हैं, नरसी हुए, मीरा हुई, कबीर हुए, दादू हुए, कुछ हुआ। मुल्ला ने एक क्षण तो सोचा। क्योंकि कोई भी बाप यह स्वीकार नहीं? वे अभी भी हैं। उनके नाम कुछ और होंगे। उन्हें खोजें। और करना मुश्किल अनुभव करता है कि मुझे पता नहीं है। लेकिन ऐसे उनकी बातें मत सुनें; उनसे जीवन की कला सीखें; अपने को | मुल्ला ईमानदार आदमी था। उसने कहा कि नहीं, मेरा मन तो उत्तर बदलने की कीमिया सीखें। और साहस करें थोड़ा बदलने का। | देने का होता है, लेकिन आज नहीं कल तू पता लगा ही लेगा। थोड़ी-सी बदलाहट भी आपको जिंदगी में इतने रस से भर देगी | इसलिए मैं तुझसे साफ ही कह दूं। मुझे पता नहीं है। . फिर आप और बदलने के लिए राजी हो जाएंगे। घूम रहे थे। फिर उस बच्चे ने पूछा कि ये वृक्ष कौन बड़े कर रहा अभी आपकी जिंदगी में सिवाय दुख और पीड़ा के कुछ भी नहीं | है? मुल्ला ने कहा कि मुझे पता नहीं है। फिर उस लड़के ने पूछा है। सिवाय उदासी और निराशा के कुछ भी नहीं है। सिवाय विषाद | कि रात को चांद निकलता है, तो उसका एक ही पहलू हमें हमेशा और संताप के कुछ भी नहीं है। अभी आप एक जीते-जागते नरक | | दिखाई पड़ता है। दूसरा पहलू क्यों दिखाई नहीं पड़ता? मुल्ला ने हैं। इसमें कछ प्रकाश की किरण कहीं से भी मिलती हो. तो लाने कहा. मझे पता नहीं है। की कोशिश करें। और कहीं से भी कुछ फूल खिल सकते हों, तो बार-बार लड़के ने यह सुनकर कि मुझे पता नहीं, मुझे पता नहीं, खिलाएं। लड़का उदास हो गया। उसके उदास चेहरे को देखकर मुल्ला ने लेकिन कहीं से भी आपको फूल की खबर आए, तो पहले तो | | पूछा, बेटा पूछ। दिल खोलकर पूछ। पूछेगा नहीं, तो सीखेगा कैसे? आप यह शक करते हैं कि फूल असली नहीं हो सकता। क्या कारण कुछ भी पता नहीं है, फिर भी पूछेगा नहीं तो सीखेगा कैसे! हम है? आप इतने नरक से भरे हैं कि आप मान ही नहीं सकते कि कहीं | | सब सिखा रहे हैं, बिना इसकी फिक्र किए कि हमें पता है या नहीं है। स्वर्ग हो सकता है। स्वर्ग बहुत-से हृदयों में अभी भी है, लेकिन धार्मिक व्यक्ति इस बात से शुरुआत करता है कि मुझे पता नहीं आपके पास आंख, खुला मन, सीखने का भाव चाहिए। | है और अब मैं सीखने निकलता हूं। फिर वह विनम्र होगा, फिर वह दुनिया में गुरु तो सदा उपलब्ध होते हैं, लेकिन शिष्य सदा | झुका हुआ होगा। फिर जहां से भी सीखने को मिल जाए, वह उपलब्ध नहीं होते। इससे गडबड होती है। ये नरसी और कबीर सीखेगा। और दादू असफल जाते हैं, क्योंकि गुरु हो जाना तो उनके हाथ में सीखने वालों की कमी है, इसलिए कबीर, दादू असफल चले है; लेकिन शिष्य तो आपके हाथ में है। जाते हैं। और जो हम उनसे सीखते हैं, वह शब्द हैं, ज्ञान नहीं तो दुनिया में गुरु भी हो, लेकिन उसे शिष्य न मिल पाएं, तो | सीखते; उनके शब्द सीख लेते हैं। मुसीबत हो जाती है। कोई सीखने को तैयार नहीं है। सब सिखाने कबीर के पद याद हो जाते हैं। तुलसी की चौपाइयां याद हो जाती को तैयार हैं। क्योंकि सीखने के लिए झुकना पड़ता है। आप भी हैं। लोग तोतों की तरह दोहराते रहते हैं। जब तक वह अनुभव सिखाने को तैयार हैं। आप भी लोगों को सिखाते रहते हैं बिना | आपको न हो जाए, जो उन पदों में छिपा है, तब तक वे पद तोते की इसकी फिक्र किए कि आप क्या सिखा रहे हैं। तरह हैं। अच्छा है मत दोहराएं। क्योंकि तोता होना अच्छा नहीं है। __ अगर आपका बेटा आपसे पूछता है, ईश्वर है ? तो आप में इतनी | जब तक जान न लें, तब तक चुप रहें। और जो ताकत है, वह बोलने हिम्मत है कि आप कहें कि मुझे पता नहीं है? आप कहते हैं, है, | | में न लगाकर, खोजने में लगाएं। तो कबीर सफल हो सकते हैं। बिलकुल है। और अगर आप नास्तिक हैं, कम्युनिस्ट हैं, तो आप कहते हैं, नहीं है, बिलकुल नहीं है। लेकिन एक बात पक्की है कि आप जवाब मजबूती से देते हैं, बिना इस बात की फिक्र किए कि | एक मित्र ने पूछा है कि मनुष्य तो अपने भाग्य को आपको कुछ भी पता नहीं है। या तो हां कहते हैं, या न कहते हैं। लेकर जन्मता है, तो अगर खोज भाग्य में होगी लेकिन आप यह नहीं कहते कि नहीं, मुझे पता नहीं है। मैं सिखाने भगवान की, तो हो जाएगी। नहीं होगी, तो नहीं में असमर्थ हूं। होगी! 1101
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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