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FO परमात्मा का प्रिय कौन
ही विलीन हो जाएगी। और पिता के जाने के बाद उस पर भरोसा | चाहे वह कितनी ही सुंदरी रही हो, आम्रपाली क्यों न रही हो, वह भी न आएगा कि वह थी।
कितनी ही सुंदरी रही हो जगत की, दो हजार साल पहले हुई हो और इसलिए हम सबको संदेह है कि बुद्ध कभी सच में हुए? क्राइस्ट | | मर गई, आप उससे शादी करने को राजी न होंगे। कि होंगे? आप सच में हुए या कहानी है? क्योंकि वह जो घटना है, वह इतनी दो हजार साल पहले की सुंदरतम स्त्री से शादी न करके आज मौजूद अनहोनी है कि दिखाई तो पड़ती नहीं कहीं। तो शक पैदा होता है।। | जिंदा स्त्री से, चाहे वह उतनी सुंदर न भी हो, उससे शादी करना तो लगता है कि कहानी ही होगी।
| पसंद करेंगे। क्यों? इसलिए जिंदा संत को मानने में हमें ज्यादा कठिनाई होती है, लेकिन अगर जिंदा गुरु हो, तो आप उसको नहीं मान सकते। दो बजाय मुर्दा संत को मानने के। क्योंकि मुर्दा संत को मानने में हजार साल पुराना मरा हुआ गुरु हो, उसको ही मान सकते हैं। कुछ अड़चन इसलिए नहीं होती कि हमारे पास कोई प्रमाण भी नहीं होता मामला गड़बड़ दिखता है। कि उसको हम कहें कि नहीं, यह नहीं हुआ।
असल में गुरु से आप बचना चाहते हैं। मरा हुआ गुरु अच्छा जिंदा संत को मानने में बड़ी कठिनाई होती है। क्योंकि हम है, वह आपका पीछा नहीं कर सकता। जिंदा गुरु आपको दिक्कत पच्चीस कारण निकाल सकते हैं कि इस कारण से शक होता है। में डालेगा। इसलिए मरा गुरु ठीक है। आप जो चाहें, मरे गुरु के इस कारण से शक होता है। तुमको भी भूख लगती है। तो फिर साथ कर सकते हैं। जिंदा गुरु के साथ आप जो चाहें, वह नहीं कर हममें तुममें फर्क क्या है? तुमको भी सर्दी लगती है; तुमको भी सकते। वह जो चाहता है आपके साथ, वही करेगा। इसलिए मुर्दा बुखार आ जाता है। फिर हममें तुममें फर्क क्या है ? फिर कुछ ज्ञान | गुरु के साथ दोस्ती बन जाती है। वगैरह नहीं हुआ। जैसे कि बुखार ज्ञान से डरता हो! जैसे कि मौत | __मुर्दा पत्नी कोई नहीं चाहता, मुर्दा पति कोई नहीं चाहता। मुर्दा ज्ञानी को घटित न होती हो!
गुरु सब चाहते हैं। क्योंकि गुरु से लोग बचना चाहते हैं, बचाव मौत भी ज्ञानी को घटित होती है। फर्क मौत में नहीं पड़ता, फर्क | कर रहे हैं। ज्ञानी में पड़ता है। आपको भी मौत आती है, ज्ञानी को भी मौत - नरसी हैं, कबीर हैं, इनकी क्या फिक्र करते हैं! आज भी लोग आती है। आपको जब मौत आती है, तो आप भयभीत होते हैं। | वैसे ही मौजूद हैं। लेकिन उनकी बात आप दो-तीन सौ साल बाद ज्ञानी को जब मौत आती है, तो भयभीत नहीं होता। फर्क मौत में | करेंगे, जब वे मर जाएंगे। नहीं पड़ता, फर्क ज्ञानी में पड़ता है।
उनको खोजिए, जो जिंदा हैं। आपके बीच अभी भी, जमीन कभी हां, अगर मौत न आए, तो हम मान लें कि यह आदमी हो गया | | भी खाली नहीं है। उसमें हमेशा एक अनुपात में उतने ही लोग सदा परम ज्ञान को उपलब्ध। लेकिन मौत तो आती है बुद्ध को भी। कृष्ण ज्ञान को उपलब्ध होते हैं हर युग में। लेकिन आपकी आंखें अंधी भी मरते हैं। शरीर तो खोता है उसी तरह, जिस तरह हमारा खोता | हैं। उनको आप देख नहीं पाते। आप तो दो हजार साल जब प्रचार है। और शरीर से गहरी हमारी आंख नहीं जाती कि भीतर कुछ और चलता है किसी की कहानी का, तब उसे देख पाते हैं। आपके भी है।
मानते-मानते वह आदमी खो गया होता है, तब आप मान पाते हैं। तो बुद्ध मिट जाते हैं जमीन से, कहानी रह जाती है। और फिर और जब वह होता है, तब आप उसे मान नहीं पाते। कहानी पर धीरे-धीरे हमें शक भी आता है। लेकिन अब दो हजार | जीसस को जिन्होंने सूली दे दी, वे ही अब दो हजार साल बाद साल पुरानी कहानी से झगड़ा भी कौन करे!
| पूजा कर रहे हैं। इसलिए परिणाम नहीं हो पाता। ___ पर आपको खयाल है कि जिंदा गुरु का हमेशा विरोध होता है! जिंदा गुरु की तलाश करें। जिंदा भक्त को खोजें। और एक ही बुद्ध जिंदा होते हैं, तो विरोध होता है; बुद्ध मर जाते हैं, तो कोई बात ध्यान रखें कि आपको इसकी चिंता नहीं करनी है कि वह विरोध नहीं करता।
भक्त, है भक्त या नहीं। आपको यही चिंता करनी है कि उसके एक और मजे की बात है कि लोग मरे हुए गुरु को मानते हैं। सान्निध्य में मुझमें भक्ति उतरती है या नहीं। उतरे, तो समझना कि कोई मरी हुई पत्नी से विवाह नहीं करता! आप जिंदा पत्नी चाहेंगे, है। न उतरे, तो कोई और खोज लेना। लेकिन जिंदा दीए की तलाश अगर विवाह करना है। दो हजार साल पहले कोई औरत हुई हो, | करें, ताकि आपका बुझा दीया जल सके।
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