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________________ गीता दर्शन भाग-60 और गुरु बनने का मजा इतना है कि आपको भी कोई मिल जाए, | आपके छोटे-से मस्तिष्क में कोई सात करोड़ सेल हैं, सात करोड़ तो आप भी बिना बताए नहीं मानते कि ऐसा करो, तो सब ठीक हो जीवंत कोष्ठ हैं! उन सात करोड़ जीवंत कोष्ठ की व्यवस्था पर सब जाएगा। आपको खुद को अभी हुआ नहीं है! | निर्भर है-आपका होना, आपकी चेतना, आपकी बुद्धि, सोच, मेरे पास रोज ऐसे लोग आ जाते हैं, जिनके सैकड़ों शिष्य हैं! | विचार, भाव-सब। अब वे मुझसे पूछने आ जाते हैं कि ध्यान कैसे करना? __ आप उलटा सिर खड़े हो गए, आपको पता नहीं कि उन सात तम इतने शिष्य कहां से इकट्रे कर लिए हो? तम्हें खद पता नहीं करोड कोष्ठों के साथ क्या हो रहा है। कि आपने प्राणायाम शरू है, तो तुम इन्हें क्या समझा रहे हो? तो वे कहते हैं, शास्त्रों को | कर दिया। आपको पता नहीं कि उन कोष्ठों के साथ क्या हो रहा पढ़कर! है। आपको पता नहीं कि उन कोष्ठों को कितने आक्सीजन की कृष्ण कहते हैं, मर्म को न जानकर किए हुए अभ्यास से तो परोक्ष | | जरूरत है। और जितनी आप दे रहे हैं, उतनी जरूरत है या नहीं है! ज्ञान श्रेष्ठ है। | क्योंकि ज्यादा आक्सीजन हो जाए, तो भी मूर्छा आ जाएगी। कम ऐसे अभ्यास में मत पड़ जाना, जिसको तुम जानते नहीं हो, हो जाए, तो भी मूर्छा आ जाएगी। जीवन एक संतुलन है, और क्योंकि अभ्यास आग से खेलना है। अभ्यास का मतलब है, कुछ बहुत बारीक संतुलन है। होकर रहेगा अब। और अगर तुम्हें पता नहीं है कि तुम क्या कर रहे ___ इसलिए कृष्ण कहते हैं कि बिना मर्म को जाने हुए अभ्यास में हो और क्या होकर रहेगा, तो तुम कहीं ऐसा न कर लो कि अपने | तो पड़ना मत, अर्जुन। उससे तो बेहतर परोक्ष ज्ञान है। को नुकसान पहुंचा लो। परोक्ष ज्ञान का अर्थ है. शास्त्र ने जो कहा है। शास्त्र ने जो कहा और जिंदगी बहुत जटिल है। ऐसे ही जैसे आपकी घड़ी गिर गई। | है, वह बेहतर है, बजाय इसके कि तू अभ्यास अपना करके, बिना खोलकर बैठ गए ठीक करने! तो घड़ी तो कोई बहुत जटिल चीज | मर्म को समझे, कुछ उपद्रव में पड़ जाए। उससे तो शास्त्र ने जो नहीं है। लेकिन घड़ी भी आप और खराब कर लोगे। वह घड़ीसाज | कहा है...। शास्त्र का अर्थ होता है, जिन्होंने जाना, जिन्होंने के पास ही ले जानी चाहिए। वह रुपए, दो रुपए में ठीक कर देगा। | अनुभव किया, और अपने अनुभव को लिपिबद्ध किया, कि उनके आप सौ, दो सौ की चीज ऐसे ही खराब कर लोगे। काम आ सके, जो जानते नहीं हैं। लेकिन जब घड़ी गिरती है, तो बुद्धिमान से बुद्धिमान आदमी का ___ इस बात को ठीक से समझ लें। मन खोलने का होता है। क्योंकि बुद्धिमान से बुद्धिमान आदमी भी जिन्होंने जाना, जिन्होंने अनुभव किया, प्रयोग किया, अभ्यास बचकाना है। वह बच्चा जो भीतर है, क्युरिआसिटी जो है, कि जरा | किया, प्रतीत किया, जो पहुंच गए, उनके वचन हैं। सिर्फ वचन खोलकर हम ही ठीक न कर लें. जरा हिलाकर। कहां जाना? तो नहीं हैं. उनके लिए. जो नहीं जानते हैं। इसमें फर्क है। क्योंकि वे जरा हिला लें! बोल सकते हैं, जैसा उन्होंने जाना। लेकिन अगर आपका ध्यान न कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हिलाने से ठीक हो जाती है। रखा जाए, तो उनका ज्ञान आपके लिए खतरनाक हो जाएगा। वह मगर इससे आप यह मत समझ लेना कि आप कलाकार हो गए। | इस भांति बोला गया है शास्त्र। जो अज्ञानी को खयाल में रखकर और आपको पता चल गया कि...। तो दूसरों की घड़ी मत हिलाने | | बोला गया है कि वह इससे उपद्रव न कर सके। लगना, नहीं तो बंद भी हो सकती है। कभी-कभी संयोग सफल हो जीसस ने छोटी-छोटी कहानियां कही हैं। और सभी बातें जाते हैं। कभी आपकी घड़ी बंद है। आपने जरा हिलाई। और आप | कहानियों में कही हैं। बड़ी मजे की बात है। और कहानियां इतनी समझे कि अरे! चल गई! नाहक दो-चार रुपए खराब करने पड़ते। | सरल हैं कि कोई भी समझ ले। और इतनी कठिन भी हैं कि बहुत अब हम भी जानकार हो गए। अब जहां भी घड़ी बंद दिखे, उसे | मुश्किल है समझना। पर कहानियों में इस ढंग से कहा है कि जो हिला देना। कहानी समझेगा, उसे पता ही नहीं चलेगा कि भीतर क्या छिपा है। संयोग कभी-कभी जीवन में भी सफल होते हैं। कभी-कभी | वह सिर्फ कहानी का मजा लेगा; बात खतम हो जाएगी। उसे कहानी उनसे लाभ भी हो जाता है। पर उनको विज्ञान नहीं कहा जा सकता। | कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। थोड़ी उसकी समझ बढ़ेगी। पर जिंदगी तो बहुत जटिल है। घड़ी में तो कुछ भी नहीं है। लेकिन जो कहानी में उतर सकता है गहरा, जितना गहरा उतर 98
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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