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________________ 0 कर्म-योग की कसौटी व मैं बाहर हो गया। लेकिन ऐसे जो लोग हैं, जो कहते हैं, कर्तव्य पूरा करना है, ___ कर्म-योग का अर्थ है कि मैंने सब परमात्मा पर छोड़ दिया और इनका चेहरा उदास होगा, आनंद से भरा हुआ नहीं होगा। ये ढो रहे मैं केवल वाहन रह गया। अब मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं है। सब | हैं बोझ। इनके मन में भीतर तो कहीं चल रहा है कि ये पत्नी-बच्चे जिम्मेवारी उसकी है। मैं बाहर हूं। मैं एक साक्षी-मात्र हो गया। | सब समाप्त हो जाते, तो बड़ा अच्छा होता। हत्या का मन बहुत गहरे समभाव पैदा होगा। सफलता आएगी तो ठीक, असफलता आएगी में है। या यह भूल न की होती, तो बड़ा अच्छा होता। फंस गए, तो तो ठीक। और आपके भीतर रंचमात्र भी फर्क नहीं पड़ेगा। आप | अब ढोना है, तो ढो रहे हैं। कर्तव्य अपना पूरा कर रहे हैं। इसको वैसे ही रहेंगे सफलता में, वैसे ही असफलता में। ऐसी समबुद्धि लोग कहते हैं, कर्म-योग कर रहे हैं! पैदा हो रही हो, बढ़ रही हो, तो समझना कि कर्म-योग ठीक है; यह कर्म-योग नहीं है। यह तो एक तरह की नपुंसकता है। न तो आप धोखा नहीं दे रहे हैं। | भाग सकते हैं और न रह सकते हैं। दोनों के बीच में अटके हैं। और तीसरी बात, जैसे ही कोई व्यक्ति सभी कुछ परमात्मा पर | संन्यासी होने की भी हिम्मत नहीं है कि छोड़ दें; कि ठीक है, जो छोड़ देता है, यह सारा जगत उसे स्वप्नवत दिखाई पड़ने लगता गलती हो गई. हो गई। अब माफ करो: अब जाते हैं। वह भी है, नाटक हो जाता है। तभी तक यह असली मालूम पड़ता है, जब | | हिम्मत नहीं है। यह भी हिम्मत नहीं है कि जो है, उसका पूरा आनंद तक लगता है कि मैं। और जब मैं सभी उस पर छोड़ देता हूं, तो | लें, उसको परमात्मा की कृपा समझें, अहोभाव मानें। यह भी सारी बात नाटक हो जाती है। आप दर्शक हो जाते हैं; आप कर्ता | | हिम्मत नहीं है। दोनों के बीच में त्रिशंकु की तरह अटके हैं। इसको नहीं रह जाते। कहते हैं, कर्तव्य कर रहे हैं। ___ध्यान रहे, जब तक मैं कर्ता हूं, तब तक जगत और है। और जब | ___ ध्यान रहे, यह कर्तव्य शब्द बहुत गंदा है। इसका मतलब होता मैंने सब परमात्मा पर छोड़ दिया, तो कर्ता वह हो गया। अब आप | | है, बोझ ढो रहे हैं। कौन रहे? आप सिर्फ दर्शक हो गए। एक फिल्म में बैठे हुए हैं। दो तरह के लोग हैं। एक तो जो अपनी पत्नी को प्रेम करते हैं, एक फिल्म देख रहे हैं। नाटक चल रहा है, आप सिर्फ देख रहे हैं। इसलिए नौकरी कर रहे हैं। वे नहीं कहेंगे कभी कि हम कर्तव्य कर आप सिर्फ देखने वाले रह गए हैं। रहे हैं। वे कहेंगे, हमारी खुशी है। जिस स्त्री को चाहा है, उसके तो तीसरी बात, जैसे ही आप सब परमात्मा पर छोड़ देते हैं और | | लिए एक मकान बनाना है; एक गाड़ी लानी है। उसके लिए एक कर्म-योग में प्रवेश करते हैं, जगत स्वप्न हो जाता है, एक खेल हो । | बगीचा लगाना है। जिसको चाहा है, उसे सुंदरतम जगह देनी है। जाता है। आप सिर्फ देखने वाले रह जाते हैं। इसलिए हम आनंदित हैं। और कर्तव्य शब्द उपयोग वे नहीं करेंगे। तो तीसरी बात, अगर आप में साक्षीभाव बढ़ रहा हो, शांति बढ़ बच्चे हमारे हैं। हम खुश हैं उनकी खुशी में। उनकी आंखों में रही हो, समभाव बढ़ रहा हो, साक्षीभाव बढ़ रहा हो, तो आप | आती हुई ताजगी और उनकी आंखों में आता उल्लास हमें आनंदित जानना कि ठीक रास्ते पर हैं; धोखे का कोई उपाय नहीं है। और करता है, इसलिए हम मेहनत कर रहे हैं। यह मेहनत हमारी खुशी अगर यह न बढ़ रहा हो, तो समझना कि आप धोखा दे रहे हैं। और | | है, कर्तव्य नहीं है। यह भी आदमी अच्छा है। कम से कम एक बात अगर यह न बढ़ रहा हो और आप बहुत चेष्टा कर रहे हों, फिर भी | | तो अच्छी है कि खुश है। . न बढ़ रहा हो, तो समझना कि यह आपके स्वभाव के अनुकूल नहीं | | एक दूसरा आदमी है, जो कहता है कि हमने सब परमात्मा पर है। चेष्टा करके देख लेना। अगर बढ़ने लगे गति इन तीन दिशाओं | छोड़ दिया है। इसलिए परमात्मा की आज्ञा है कि बच्चों को बड़ा में, तो समझना कि आपके अनुकूल है। अगर न बढ़े, तो किसी | करो, तो हम कर रहे हैं। खुश है, क्योंकि परमात्मा की आज्ञा पूरी और दिशा से चेष्टा करना। कर रहा है। यह भी आनंदित है। यह भी कर्तव्य नहीं निभा रहा है। लेकिन लोग क्या समझते हैं कर्म-योग से? लोग समझते हैं, | यह परमात्मा की जो मर्जी, उसको पूरा कर रहा है। और अपने को अपने कर्तव्य को निभाना कर्म-योग है। पत्नी है, बच्चे हैं; ठीक | | परमात्मा पर छोड़ दिया है। एक पत्नी के प्रेम में आनंदित था; यह है। अब उलझ गए संसार में, तो नौकरी करनी है; धंधा करना है; परमात्मा के प्रेम में आनंदित है। लेकिन दोनों आनंदित हैं। इनमें कमाकर खिला-पिला देना है। अपना कर्तव्य पूरा करना है। कर्तव्य कुछ भी नहीं है।
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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