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ॐ गीता दर्शन भाग-60
लगाने आ रहा है।
के लिए इच्छा कर। इतनी भीड़ है, इतनी बड़ी दुनिया है, किसी को मतलब है कृष्ण ने कहा, और अगर त पाए कि एकदम से भाव कैसे करूं. आपसे! कोई आपको चोट पहुंचाने को उत्सुक नहीं है। और अगर और एकदम से मन को कैसे लगा दूं प्रभु में, और एकदम से कैसे कोई पहुंचा भी देता है, तो वह चोट आपको इसलिए पहुंचती है कि | डूब जाऊं, लीन हो जाऊं; अगर तुझे ऐसा प्रश्न उठे कि कैसे, तो
आप घाव तैयार रखे हैं। नहीं तो पता भी नहीं चलता। ठीक था, | फिर अभ्यासरूप-योग के द्वारा मुझको प्राप्त करने की इच्छा कर। किसी ने गाली दी और आप अपने रास्ते पर चले गए।
यह बात समझ लेने जैसी है। बद्ध को लोगों ने गालियां दी हैं। तो बद्ध ने कहा है कि जब तम दो तरह के लोग हैं। एक तो वे लोग हैं, जिनको यह कहते से गाली देते हो, तब मैं सोचता हूं कि तुम किसको गाली दे रहे हो! ही कि डूब जाओ, डूब जाएंगे। वे नहीं पूछेगे, कैसे? इस शरीर को? तो यह तो मिट ही जाएगा। और जो मिट ही जाने छोटे बच्चे हैं। उनसे कहो कि नाचो और नाच में डूब जाओ। तो वाला है उसके साथ गाली का क्या लेना-देना! तुम मुझको गाली | वे यह नहीं पूछेगे, कैसे? नाचने लगेंगे और डूब जाएंगे। और अगर दे रहे हो? तुम्हें मेरा क्या पता होगा? तुम्हें अपना ही पता नहीं है। कोई बच्चा पूछे कैसे, तो समझना कि बूढ़ा उसमें पैदा हो गया, वह तो मैं सोचता हूं और हंसता हूं कि क्या हो गया है!
अब बच्चा है नहीं। कैसे का मतलब ही यह है कि पहले कोई स्वामी राम कहते थे कि कोई उन्हें गाली दे दे, तो वे हंसते हुए | तरकीब बताओ, तब हम डूबेंगे। डूब सीधा नहीं सकते। इसका आते थे और कहते थे, आज बाजार में बड़ा मजा आ गया। राम | मतलब यह हुआ कि डूबने और हमारे बीच में कोई बाधा है, को लोग गालियां देने लगे। और हम खड़े होकर हंसने लगे कि | जिसको तोड़ने के लिए तरकीब की जरूरत होगी। . अच्छे फंसे राम! और चाहो नाम, उपद्रव होगा!
बच्चा डूब जाएगा; नाचने लगेगा। बच्चा जानता ही है। खेल में जब वे पहली दफा अमेरिका गए, तो लोग समझे नहीं कि वे डूब जाता है। बच्चे को खेल से निकालना पड़ता है, डुबाना नहीं किसको राम कहते हैं। वे खुद को ही राम कहते थे, खुद के शरीर | पड़ता। बच्चा डूबा होता है; मां-बाप को खींच-खींचकर बाहर को। वे कहते कि राम को आज बड़ी भूख लगी है; हम बड़े हंसने | | निकालना पड़ता है, कि निकल आओ। अब चलो। और वह है कि लगे। या राम को लोगों ने गालियां दीं, और हम हंसने लगे। तो | | खिंचा जा रहा है। खेल में डूबा हुआ था। ये मां-बाप उसे कहां खाने लोग पूछते कि आप किसकी बात कर रहे हैं? तो वे कहते, इस राम | की, पीने की, सोने की, व्यर्थ की बातें कर रहे हैं! वह लीन था। की। इसको जब गाली पड़ती है, तो हम पीछे खड़े होकर हंसते हैं | | उस लीनता में वह अस्तित्व के साथ एक था। चाहे वह गुड्डी हो, कि देखो, अब क्या होता है! अब यह राम क्या करता है! यह | | चाहे वह कोई खिलौना हो, चाहे कोई खेल हो। वह जानता है। अहंकार अब क्या करता है!
बच्चे कभी नहीं पूछते कि खेल में कैसे डूबें? आपने किसी बच्चे __ अगर आप पीछे खड़े होकर हंसने लगें, तो फिर यह कुछ भी को सुना है पूछते कि खेल में कैसे डूबें? वह डूबना जानता है। वह नहीं कर सकेगा। यह गिर ही जाएगा। यह करता ही तब तक है, पूछता नहीं। जब तक आप मानते हैं कि यही मैं हूं। जब तक यह | । जो लोग बच्चों की तरह ताजे होते हैं-थोड़े से लोग, और उनकी आइडेंटिफिकेशन है, यह तादात्म्य है, तभी तक इसकी पीड़ा है। | संख्या रोज कम होती जाती है वे लोग सीधे डूब सकते हैं।
अहंकार से हटकर देखें। अहंकार से हटते ही आप नरक से हट | | पुरानी कहानियां हैं साधकों की। तिलोपा ने अपने शिष्य नारोपा गए। अहंकार से हटते ही स्वर्ग का द्वार खल गया। अहंकार से हटते | | को कहा कि तू आंख बंद कर और डूब जा। और नारोपा ने आंख ही इस जगत में आपका न कोई संघर्ष है, न कोई प्रतिस्पर्धा है। | बंद कर ली और डूब गया। और ज्ञान को उपलब्ध हो गया। अहंकार से हटते ही यह जगत आपको स्वीकार कर लेगा, जैसे आप | बड़ा मुश्किल मालूम पड़ता है। इतना मामला आसान! हम भी हैं। अहंकार से हटते ही आप परमात्मा की आंखों में ऊपर उठ गए। आंख बंद करते हैं। और कोई कितना ही कहे, डूब जाओ, आंख अब हम सूत्र को लें।
| बंद हो जाती है, विचार चलते रहते हैं। डूबने का कुछ पता नहीं और यदि तू मन को मेरे में अचल स्थापन करने के लिए समर्थ | चलता। बल्कि आंख बंद करके और ज्यादा चलने लगते हैं। आंख नहीं है, तो हे अर्जुन, अभ्यासरूप-योग के द्वारा मेरे को प्राप्त होने | खुली रहती है, थोड़े कम चलते हैं। बाहर उलझे रहते हैं, तो थोड़ा