SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ गीता दर्शन भाग-60 आदमी किस-किस बात के लिए क्या-क्या तर्क नहीं खोज | अहंकार सफलता की मांग करता है। निरहंकार सफलता की मांग सकता है! ऐसी कोई बात आपने सुनी, जिसके विपरीत तर्क न ही नहीं करता। खोजा जा सके? या ऐसी कोई बात सुनी, जिसके पक्ष में तर्क न सफलता का मतलब क्या है? सफलता का मतलब है कि मैं खोजा जा सके? तर्क का अपना कोई पक्ष नहीं है, न कोई विपक्ष दूसरों से आगे। सफलता का मतलब है कि क्या मैं दूसरों को है। तर्क तो नंगी तलवार है। उससे मित्र को भी काट सकते हैं, शत्रु असफल कर सकूँगा? सफलता का मतलब है, क्या मैं दूसरों को को भी काट सकते हैं। और चाहें तो अपने को भी काट सकते हैं। | पीछे छोड़कर उनके आगे खड़ा हो सकूगा? सफलता का अर्थ है, तलवार का कोई आग्रह नहीं है कि किसको काटें। | महत्वाकांक्षा, एंबीशन। ये सब तो अहंकार के लक्षण हैं। अहंकार इसलिए जरा तलवार सम्हालकर हाथ में लेना। उससे क्या काट | कहता है कि मुझे आगे खड़े होना है, नंबर एक होना है। नंबर दो रहे हैं, थोड़ा सोच लेना। बहुत-से लोग अपने ही तर्क से खुद को | | में बड़ी पीड़ा है। पंक्ति में पीछे खड़ा हूं, क्यू में, तो भारी दुख है। काट डालते हैं। जितना पीछे है. उतनी पीड़ा है। नंबर एक होना है। तर्क का उपयोग करना, अगर वह अनुभव की तरफ ले जाए। ___ अहंकार की खोज महत्वाकांक्षा की खोज है। और जब मुझे नंबर तर्क का उपयोग करना, अगर वह जीवन की गहराई की तरफ ले | एक होना है, तो दूसरों को मुझे हटाना पड़ेगा; और दूसरों को मुझे जाए। तर्क का उपयोग करना, अगर वह शिखरों का दर्शन कराए। | रौंदना पड़ेगा; और दूसरों के सिरों का मुझे सीढ़ियों की तरह उपयोग तर्क का उपयोग करना, अगर वह गहराइयों में उतारे। अगर तर्क करना पड़ेगा; और दूसरों के ऊपर, छाती पर चढ़कर मुझे आगे गहराइयों में उतरने से रोकता हो, तो ऐसे तर्क को कुतर्क समझना; | जाना पड़ेगा। सिंहासनों के रास्ते लोगों की लाशों से पटे हैं। छोड़ देना, क्योंकि वह आत्महत्या है। तो अहंकार की तो खोज ही यही है कि मैं सफल हो जाऊं। तो मेरी बात बुद्धि से समझें। लेकिन वह बात केवल बुद्धि की नहीं | | आपको खयाल में नहीं है। जब आप पूछते हैं कि अगर मैं है। बुद्धि का हम उपयोग कर रहे हैं एक माध्यम की तरह, एक | निरहंकारी हो जाऊं, तो क्या मैं सफल हो सकूँगा? इसका मतलब साधन की तरह। वह बात भाव की है। और जब तक आपके भाव हआ कि आप निरहंकारी भी सफल होने के लिए होना चाहते हैं। में न आ जाए, तब तक यात्रा अधूरी है। और यात्रा शुरू ही करनी तो आप चूक गए बात ही। हो, तो मंजिल तक जाने की चेष्टा करनी चाहिए। क्योंकि तभी निरहंकारी होने का अर्थ यह है कि सफलता का मूल्य अब मेरा रहस्य खुलता है। मूल्य नहीं है। मैं कहां खड़ा हूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं पंक्ति में सबसे पीछे खड़ा हूं, तो भी उतना ही आनंदित हूं, जितना प्रथम खड़ा हो जाऊं। आखिरी प्रश्न। एक मित्र ने पूछा है कि क्या यह ___जीसस ने कहा है, इस जगत में जो सबसे पीछे खड़े हैं, मेरे प्रभु संभव है कि अहंकार से भरे हुए इस जगत में कोई के राज्य में वे सबसे प्रथम होंगे। लेकिन इस जगत में जो सबसे व्यक्ति निरहंकारी होकर जी सके और सफल भी हो | | पीछे खड़े हैं! सके ? क्या जहां सारे लोग अहंकार से भरे हैं, वहां निरहंकार का मतलब है कि पीछे खड़े होने में भी मुझे उतना ही निरहंकारी होकर जीना धारा के विपरीत तैरना न मजा है। मेरे मजे में कोई फर्क नहीं पड़ता। वह मेरे खड़े होने में है। होगा? क्या इससे अड़चन, कठिनाइयां, असफलताएं मेरे होने में मेरा मजा है। न आएंगी? लाओत्से ने कहा है, मुझे कभी कोई हरा न सका, क्योंकि मैं लड़ने के पहले ही हारा हुआ हूं। मेरा कोई कभी अपमान न कर सका, क्योंकि मैंने अपने मान की कोई चेष्टा नहीं की। और ड़ा समझें। पहली तो बात कि क्या अहंकार से भरे हुए सभाओं में जहां लोग जूते उतारते हैं, वहां मैं बैठ जाता हूं, ताकि इस जगत में कोई व्यक्ति निरहंकारी होकर सफल हो | कभी किसी को उठाने का मौका न आए। तो लाओत्से ने कहा है सकता है? निरहंकार सफलता की मांग नहीं करता। कि मेरी विजय असंदिग्ध है। मुझे कोई हरा नहीं सकता, क्योंकि मैं
SR No.002409
Book TitleGita Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy